चिराग पासवान को साथ लाने की एक और कोशिश, 5 जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती मनाएगी RJD

आरजेडी ने 5 जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती मनाने का फैसला लिया है. इसी दिन आरजेडी का 25वां स्थापना दिवस भी है. रामविलास पासवान की जयंती के बहाने आरजेडी चिराग पासवान को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही है.

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चिराग पासवान (फाइल फोटो) चिराग पासवान (फाइल फोटो)

रोहित कुमार सिंह

  • पटना,
  • 26 जून 2021,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST
  • 5 जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती
  • इसी दिन आरजेडी का भी 25वां स्थापना दिवस

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में टूट के बाद अलग-थलग पड़े चिराग पासवान को अपने साथ लाने की कवायद में जुट गई है. अभी तक तो आरजेडी के नेता चिराग को महागठबंधन में शामिल कराने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब आरजेडी ने चिराग को खुश करने के लिए एक और नई तरकीब बनाई है. 

5 जुलाई को एलजेपी के संस्थापक रहे दिवंगत नेता रामविलास पासवान का जन्मदिन है. चिराग को साथ लाने के लिए आरजेडी ने इस मौके को भुनाने की कोशिश में जुट गई है. आरजेडी ने तय किया है कि 5 जुलाई को उनकी पार्टी रामविलास पासवान की जयंती मनाएगी. 

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5 जुलाई की तारीख आरजेडी के लिए भी खास है. वो इसलिए क्योंकि इस दिन आरजेडी का 25वां स्थापना दिवस है. इसी दिन रामविलास पासवान का भी जन्मदिन है, इसलिए आरजेडी ने फैसला किया है कि स्थापना दिवस के कार्यक्रम से पहले रामविलास पासवान की जयंती का कार्यक्रम बनाया जाएगा. सूत्रों की मानें तो आरजेडी रामविलास पासवान की जयंती मनाकर चिराग को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही है.

जानिए पांच वजह, क्यों तेजस्वी चाहते हैं चिराग को महागठबंधन में शामिल कराना?

पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी को तकरीबन 6 फ़ीसदी वोट और 26 लाख वोट मिले थे. ऐसे में तेजस्वी की कोशिश यही है कि चिराग के पास जो 6 फ़ीसदी पासवान वोट बैंक है उसको अपनी तरफ खींचा जाए, जिसका फायदा उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव और फिर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सके.

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चिराग निकालेंगे आशीर्वाद यात्रा
चाचा पशुपति पारस के साथ लोक जनशक्ति पार्टी पर दावेदारी के विवाद के बीच चिराग पासवान 5 जुलाई को हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा पर निकलने वाले हैं. आशीर्वाद यात्रा के दौरान चिराग बिहार के सभी जिलों का दौरा करेंगे और ये संदेश देने की कोशिश होगी कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी वो खुद हैं. यात्रा के दौरान चिराग अपने दलित वोट बैंक को भी मजबूत करने की कोशिश करेंगे.

 

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