बिहार: पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के लिए शुरू हुआ नामांकन

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के लिये मंगलवार से नामांकन  शुरू हो गया. पहले चरण के नामांकन का कल यानी (बुधवार) आखिरी दिन है. पंचायत चुनावों में आमतौर पर मुखिया पद को लेकर होड़ दिखती है लेकिन इस बार वार्ड सदस्यों के नामांकन में ज्यादा भीड़ दिख रही है .

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बिहार में दूसरे चरण के मतदान के लिये नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. बिहार में दूसरे चरण के मतदान के लिये नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है.

सुजीत झा

  • पटना,
  • 08 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:04 AM IST
  • वार्ड सदस्यों के नामांकन में दिख रही ज्यादा भीड़
  • एक और दो अक्टूबर को होगी मतगणना

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के लिए मंगलवार से नामांकन  शुरू हो गया. पहले चरण के नामांकन का बुधवार को आखिरी दिन है. पंचायत चुनावों में आमतौर पर मुखिया पद को लेकर होड़ दिखती है लेकिन इस बार वार्ड सदस्यों के नामांकन में ज्यादा भीड़ दिख रही है क्योंकि सरकार ने पंचायत के वार्ड सदस्यों को बहुत से अधिकार वार्ड के विकास के लिए दिए हैं. पहले पूरे पंचायत के विकास का ज़िम्मा मुखिया का होता था लेकिन अब वार्ड सदस्य भी अपने वार्ड में महत्वपूर्ण हो गए हैं.

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नाम वापसी की आखिरी तारीख 18 सितंबर

दूसरे दौर के मतदान के लिए चल रहे नामांकन में वार्ड सदस्य के उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा दिख रही है. दूसरे चरण का मतदान 29 सितंबर को होना है जिसके लिये नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. दूसरे चरण के नामांकन की प्रक्रिया 13 सितंबर तक चलेगी. जबकि नामांकन पत्रों की जांच 16 सितंबर तक होगी. नाम वापसी की आखिरी तिथि 18 सितंबर है. मतदान 29 सितंबर को सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक होगा. मतगणना 1 और 2 अक्टूबर को निर्धारित है.

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दूसरे चरण के चुनाव के दौरान 34 ज़िलों के 48 ब्लॉक में वोट डाले जाएंगे. जिसमें पटना, बक्सर, रोहतास, नालंदा, कैमूर, भोजपुर, गया, नवादा, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, सारण, सिवान, गोपालगंज, वैशाली, मुजफ्फरपुर और पूर्वी चंपारण ज़िले शामिल है. दूसरे चरण के मतदान में अधिकांश ज़िले नक्सल प्रभावित है. लेकिन प्रशासन किसी भी प्रकार की गड़बड़ी रोकने के लिये मुस्तैद है.

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तारीख बदलने की उठी थी मांग

हालांकि दूसरे चरण का मतदान जिस दिन है, उस दिन जितिया पर्व है. बिहार में ये पर्व काफी व्यापक तौर पर मनाया जाता है. महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिये ये पर्व करती हैं. इस पर्व के मद्देनजर लोगों की मांग थी कि मतदान की तिथि बदली जाए, इस दिन महिलाओं का उपवास होता है. लेकिन सोमवार को जारी अधिसूचना में आयोग ने कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया है.

 

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