मुजफ्फपुर बालिका गृह रेप केसः शुरू से ही पुलिस की भूमिका शक के घेरे में

देखा जाए तो 2013 में हुई इस घटना को दबाने के लिए ब्रजेश ठाकुर ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया था. भागने वाली 4 लड़कियों में दिल्ली, इटावा, मधुबनी के फुलपरास और मुजफ्फरपुर की अहियापुर की रहने वाली थीं. बालिका गृह में बच्चियों से रेप के खुलासे के बाद 2013 का ठंडे बस्ते में दबा यह मामला भी खुल गया है.

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फोटो साभार- नदीम आलम फोटो साभार- नदीम आलम

सुजीत झा / वरुण शैलेश

  • पटना,
  • 31 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन शोषण के मामले में नए-नए खुलासे हो रहे हैं. बालिका गृह में 42 में से 34 लड़कियों का यौन शोषण किया गया, लेकिन इसकी शुरुआत उसी समय हो गई थी जब 2013 में यह बालिका गृह अस्तित्व में आया था. इसकी शुरुआत 2013 में ही हुई तब पहली दफा एक साथ 4 लड़कियों को भगाने की बात सामने आई थी. तब बालिका गृह संचालक और पुलिस की मिलीभगत से मामले को दबा दिया गया.

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संचालक के आवेदन पर नगर थानाध्यक्ष ने सिर्फ सनहा दर्ज किया. नगर थाने की पुलिस ने केस के अनुसंधान में दिलचस्पी नहीं ली और मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. मुजफ्फुरपुर के नगर थाना में बालिका गृह के अधीक्षक की तरफ से 15 दिसम्बर 2013 को दिए गए. आवेदन में 4 बच्चियों के भागने की बात थी. 16 दिसंबर 2013 को तत्कालीन नगर थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार ने उक्त आवेदन पर सिर्फ सनहा दर्ज किया. उन्होंने मामले की गंभीरता को दरकिनार कर किसी अधिकारी को जांच में नहीं लगाया.

बता दें कि 2013 में हुई इस घटना को दबाने के लिए ब्रजेश ठाकुर ने अपने रसूख का इस्तेमाल किया था. भागने वाली 4 लड़कियों में दिल्ली, इटावा, मधुबनी के फुलपरास और मुजफ्फरपुर की अहियापुर की रहने वाली थीं. बताया जाता है कि ये सभी बालिका गृह की छत से फांदकर भागी थीं. बालिका गृह में बच्चियों से रेप के खुलासे के बाद 2013 का ठंडे बस्ते में दबा यह मामला भी खुल गया है.

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जांच के लपेटे में नगर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार भी आ गए हैं. जिन्होंने लड़कियों के भागने पर सिर्फ सनहा किया था. इस मामले में तत्कालीन नगर थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार की भूमिका को संदिग्ध पाते हुए मुजफ्फरपुर के टाउन डीएसपी ने 24 जूलाई 2018 को ही थानाध्यक्ष पर कार्रवाई के लिए मुजफ्फरपुर एसएसपी को रिपोर्ट भेजी है.

वहीं तत्कालीन नगर थानाध्यक्ष जितेन्द्र कुमार नें कहा कि उन्होंने आवेदन के अनुरूप ही कार्रवाई की. थानाध्यक्ष ने कहा कि उन्हें जो याद है उसके अनुसार जो लड़कियां भागी थीं, वह फिर वापस आ गई थीं. मुजफ्फरपुर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बालिकागृह के मामले में पुलिस ने शुरू से ही लापरवाही बरती है. पुलिस अगर 2013 से ही सक्रिय रहती तो यह घटना नहीं घटती जांच में पुलिस और संचालक की मिलीभगत की भी बात सामने आई है. राज्य सरकार की पहल पर सीबीआई ने केस की जांच शुरू की है. संभव है कि आरोपी थानाध्यक्ष से भी पूछताछ हो. क्योंकि मुजफ्फरपुर पुलिस ने अपनी जांच में उन्हें भी दोषी माना है.

तेजस्वी पर साधा निशाना

बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव पर पलट वार करते हुए ट्वीट किया है. उन्होंने कहा कि जिन पर छेड़खानी का आऱोप है वो बेटी बचाव का नारा दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद के दोनों बेटों पर छेड़छाड़े के आरोप हैं.

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