बिहार चुनाव से पहले एयरपोर्ट की मांग तेज होने से सीमांचल की सियासत में उबाल

पूर्णिया से हवाई सेवा शुरू होने पर सीमांचल और कोसी के सात जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा. यही वजह है कि एयरपोर्ट की मांग पर सीमांचल एकजुट नजर आ रहा है.

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पूर्णिया एयरपोर्ट की मांग तेज पूर्णिया एयरपोर्ट की मांग तेज

दीपक कुमार

  • पटना ,
  • 04 जून 2020,
  • अपडेटेड 1:29 PM IST

  • पूर्णिया के चूनापुर में एक सैन्य हवाई अड्डा है
  • 2014 में इस हवाई अड्डे का विस्तार होना था
  • इसका विस्‍तार कर पूर्णिया एयरपोर्ट बनना है

पूर्णिया, एक ऐसा जिला जो हाल ही में 250 साल का हुआ है. बिहार में पूर्णिया पहला ऐसा जिला है जिसने 250 साल पूरे किए तो इसकी चर्चा मेनस्‍ट्रीम मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक हुई. इस जिले की 250वीं सालगिरह‍ पर बॉलीवुड और कला जगत की तमाम हस्तियों ने बधाई दी. लेकिन इन दिनों पूर्णिया किसी और वजह से चर्चा में है.

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अब इस जिले की चर्चा एयरपोर्ट को लेकर हो रही है. सीमांचल के सबसे बड़े जिला पूर्णिया में एयरपोर्ट बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. इसका फैलाव पूर्णिया समेत सीमांचल के अन्‍य जिलों में होने लगा है. ये मांग ऐसे समय में हो रही है जब बिहार में विधानसभा चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं. बहरहाल, आइए इस पूरे प्रकरण को विस्‍तार से समझते हैं.

क्‍या है पूरा मामला

दरअसल, पूर्णिया के चूनापुर में एक सैन्य हवाई अड्डा है. ये सैन्‍य हवाई अड्डा 1960 के दशक से है. कहते हैं कि भारत और चीन के बीच जंग को देखते हुए इस सैन्‍य हवाई अड्डे को बनाया गया. साल 2014 में इस सैन्य हवाई अड्डा का विस्तार कर पूर्णिया एयरपोर्ट बनाए जाने की बात शुरू हुई. इसके लिए करीब 53 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया जाना था.

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सरकारी खजाने में 20 करोड़ की रकम

जमीन अधिग्रहण के लिए सरकारी खजाने में 20 करोड़ की रकम भी जमा है. लेकिन ये मामला कोर्ट में जाने की वजह से करीब 6 साल बाद आज भी लंबित है. इस देरी की वजह से लोगों में नाराजगी है. सोशल मीडिया समेत अन्‍य जगहों पर हर क्षेत्र के लोग पूर्णिया एयरपोर्ट की मांग को बुलंद कर रहे हैं. आपको बता दें कि पूर्णिया से हवाई सेवा शुरू होने पर सीमांचल और कोसी के सात जिलों के लोगों को लाभ मिलेगा. अभी उन्हें दिल्ली जाने के लिए बागडोगरा जाना पड़ता है. इससे पैसे के साथ समय भी ज्‍यादा लगता है.

बिहार की राजनीति पर क्‍या होगा असर?

अब सवाल है कि इस मांग का बिहार की राजनीति पर क्‍या असर पड़ेगा. आइए इसे भी समझ लेते हैं. किसी वक्‍त में राजद के गढ़ पूर्णिया समेत सीमांचल में बीजेपी और जेडीयू का बर्चस्‍व बढ़ता जा रहा है. खासतौर पर पूर्णिया जेडीयू के लिए बेहद अहम जिला है. साल 2014 की मोदी लहर में भी इस जिले से जेडीयू को लोकसभा सीट मिली थी.

ये पढ़ें- हवाई सफर पर मोदी सरकार ने बनाया प्लान, 6 नए एयरपोर्ट की होगी नीलामी

इस लोकसभा सीट से जेडीयू के संतोष कुशवाहा ने बीजेपी के उदय सिंह को हराकर जीत हासिल की थी. यहां ये जानना जरूरी है कि 2014 लोकसभा चुनाव में जेडीयू और बीजेपी दोनों पार्टियां अलग होकर चुनाव लड़ी थीं और इस चुनाव में जेडीयू को सिर्फ 2 सीट मिली थी. इनमें से एक सीट पूर्णिया की थी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी ये सीट जेडीयू के खाते में गई है.

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विधानसभा का क्‍या है हाल?

पूर्णिया लोकसभा सीट में आने वाली विधानसभा सीटें अमौर, बैसी, कस्बा, बनमनखी, रुपौली, धमदाहा और पूर्णिया हैं. साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 7 विधानसभा सीटों में से 3 सीटें बीजेपी, 2 सीटें जेडीयू और 1-1सीटें राजद और कांग्रेस के खाते में गई थीं. ये वो वक्‍त था जब बिहार में बीजेपी और जेडीयू अलग-अलग चुनाव लड़ रही थीं. बीते कुछ समय से ये जिला बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के लिए भी काफी फेवरेट है. लेकिन एयरपोर्ट की मांग नीतीश कुमार के लिए एक नई समस्‍या खड़ी कर सकती है.

सरकार से नाराजगी का फायदा किसे?

वहीं, विधानसभा चुनाव में राजद गठबंधन भी कड़ी टक्‍कर देती है. इसके अलावा बीते कुछ समय से राजद नेता तेजस्‍वी यादव भी पूर्णिया समेत सीमांचल के लिए लगातार संघर्ष करते नजर आ रहे हैं. जाहिर सी बात है अगर पूर्णिया के लोगों ने बीजेपी और जेडीयू गठबंधन से नाराजगी दिखाई तो इसका फायदा राजद के गठबंधन को मिल सकता है. बहरहाल, देखना अहम होगा कि पूर्णिया एयरपोर्ट को लेकर लोगों की ये मांग बिहार की सियासत पर क्‍या असर डालने वाली है.

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