बिहार की वो सीट जिसने BJP को सोचने पर कर दिया मजबूर

सीवान के दरौंदा विधानसभा उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं. इस सीट पर बीजेपी के बागी और निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे व्यास सिंह को जीत मिली है.

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व्‍यास सिंह ने अजय सिंह को दी मात व्‍यास सिंह ने अजय सिंह को दी मात

दीपक कुमार

  • पटना ,
  • 25 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 8:52 AM IST

  • बिहार के दरौंदा से निर्दलीय उम्‍मीदवार को मिली जीत
  • सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह जेडीयू से थे उम्‍मीदवार

हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा के साथ ही बिहार में 5 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे भी आ गए हैं. इन पांचों विधानसभा सीटों में से एक सीट पर एआईएमआईएम के प्रत्याशी, दो सीटों पर राजद और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी विजयी हुए हैं. हालांकि इनमें से एक ऐसी भी विधानसभा सीट है जिसने पटना से लेकर दिल्ली तक के बीजेपी आलाकमान को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है.

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कौन सी है वो सीट

इस सीट का नाम दरौंदा है. यह विधानसभा बिहार के चर्चित जिला सीवान संसदीय क्षेत्र में आता है. दरअसल, इस विधानसभा सीट पर एनडीए गठबंधन की ओर से जेडीयू के अजय सिंह मैदान में थे. वहीं राजद ने उमेश सिंह को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन इन दोनों को मात देते हुए निर्दलीय प्रत्याशी करणजीत उर्फ व्यास सिंह ने बाजी मार ली. निर्दलीय चुनाव जीतने वाले व्यास सिंह बीजेपी के बागी नेता हैं.

बीजेपी के पूर्व सांसद भी विरोध में

अहम बात यह है कि व्यास सिंह को बीजेपी के पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव का भी समर्थन था. उन्होंने खुलकर निर्दलीय व्यास सिंह के लिए प्रचार किया और जेडीयू के अजय सिंह को हराने की अपील की. यहां बता दें कि ओमप्रकाश यादव अभी सीवान में बीजेपी के सबसे बड़े नेता हैं.

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दरौंदा में चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी और जेडीयू की फूट सामने आ गई थी. पूर्व सांसद ओमप्रकाश यादव समेत अन्य कई बीजेपी नेता जेडीयू के उम्मीदवार अजय सिंह का खुलकर विरोध कर रहे थे. बीजेपी और जेडीयू के नेताओं के बीच जमकर तू-तू, मैं-मैं भी हुई. बीजेपी के स्थानीय नेताओं का कहना था कि अजय सिंह  अपराधी छवि के हैं और जेडीयू एनडीए गठबंधन का धर्म नहीं निभा रही है.

बीजेपी आलाकमान पर लगे आरोप

बीजेपी के कई स्थानीय नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी आलाकमान जेडीयू के आगे नतमस्तक हो गई है. वहीं बिहार बीजेपी के बड़े नेताओं में शुमार सुशील मोदी और मंगल पांडे ने अजय सिंह के लिए चुनाव प्रचार किया. यही नहीं, बीजेपी के बागी उम्मीदवार व्यास सिंह को पार्टी से निकाल भी दिया गया.

इससे पहले चुनाव प्रचार के आखिरी दिन दरौंदा पहुंचे सुशील मोदी ने मंच से कड़ी चेतावनी दी थी कि अगर व्यास सिंह ने नामांकन वापस नहीं लिया तो उन्हें कड़ी सजा देंगे. बीजेपी आलाकमान की सख्ती के बाद भी पार्टी के स्थानीय नेताओं का विरोध जारी रहा. इसका नतीजा यह हुआ कि व्यास सिंह को जीत मिली तो वहीं जेडीयू उम्मीदवार अजय सिंह हार गए.   

सुशील मोदी के बदले सुर

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कौन है अजय सिंह

अजय सिंह सीवान जेडीयू के सबसे बड़े नेता हैं. इसके साथ ही सीवान की वर्तमान सांसद कविता सिंह के पति भी हैं. अजय सिंह की मां जगमातो देवी भी लंबे समय तक विधायक रहीं. साल 2011 में जगमातो देवी के निधन के बाद दरौंदा सीट पर उपचुनाव हुआ था. तब जदयू ने अजय सिंह को टिकट नहीं दिया था क्योंकि उनपर कई आपराधिक मामले दर्ज थे. इसके बाद पितृपक्ष में ही अजय सिंह ने कविता सिंह से शादी की और पार्टी ने उन्हें चुनावी मैदान में उतारा.

2015 विधानसभा चुनाव में भी कविता सिंह को जीत मिली. विधायक के बाद 2019 लोकसभा चुनाव में कविता सिंह जेडीयू के टिकट पर मैदान में उतरीं. यहां भी उन्होंने जीत हासिल की. इसके बाद  कविता सिंह ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसी वजह से यह सीट खाली हुई थी.

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