सफदरजंग हॉस्पिटल का कमाल: महिला के शरीर से सबसे बड़ा एड्रिनल ट्यूमर निकाला, वो भी बिना बड़ा चीरा लगाए

हॉस्पिटल की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार ये सर्जरी काफी रिस्की थी. ट्यूमर का आकार इतना बड़ा था कि वह शरीर के तीन बेहद जरूरी अंगों इन्फीरियर वेना कावा, लीवर और दाहिनी किडनी से चिपका हुआ था. ऐसे में ऑपरेशन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती थी कि ट्यूमर को पूरी तरह हटाया जाए, लेकिन साथ ही इन जरूरी अंगों को कोई नुकसान भी न पहुंचे. 

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Team of doctors and staff from Safdarjung hospital did robotic surgery Team of doctors and staff from Safdarjung hospital did robotic surgery

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 28 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST

दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल ने रोबोट‍िक सर्जरी के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है. यहां डॉक्टरों की टीम ने 36 साल की महिला के शरीर से एक विशाल एड्रिनल ट्यूमर को रोबोटिक सर्जरी की मदद से हटाने में सफलता पाई है. ऑपरेशन के तीन दिन बाद ही मह‍िला मरीज को ड‍िस्चार्ज भी कर दिया गया. सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संदीप बंसल ने बताया कि 18.2 x 13.5 सेंटीमीटर का यह ट्यूमर दुनिया का सबसे बड़ा एड्रिनल ट्यूमर है, जिसे रोबोटिक तकनीक से बिना शरीर को ज्यादा काटे हटाया गया. 

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बेहद जोखिम भरा था ऑपरेशन

हॉस्पिटल की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार ये सर्जरी काफी रिस्की थी. ट्यूमर का आकार इतना बड़ा था कि वह शरीर के तीन बेहद जरूरी अंगों इन्फीरियर वेना कावा, लीवर और दाहिनी किडनी से चिपका हुआ था. ऐसे में ऑपरेशन के दौरान सबसे बड़ी चुनौती थी कि ट्यूमर को पूरी तरह हटाया जाए, लेकिन साथ ही इन अहम अंगों को कोई नुकसान भी न पहुंचे. 

तीन घंटे चली सर्जरी, मरीज तीन दिन में डिस्चार्ज

डॉ. वासुदेव ने बताया कि इस जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम देने में रोबोटिक सर्जरी की 3D विजन और सटीक नियंत्रण ने अहम रोल निभाया. करीब तीन घंटे तक चली इस सर्जरी के बाद मरीज की हालत स्थिर रही और उसे महज तीन दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. 

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मुफ्त में हुआ इलाज, लाखों रुपये की सर्जरी

डॉ. संदीप बंसल ने कहा कि ये उपलब्धि सफदरजंग हॉस्पिटल की मेडिकल एक्सपर्टीज़ और हर मरीज को मुफ्त में अत्याधुनिक इलाज देने की प्रतिबद्धता का सबूत है. जहां निजी अस्पतालों में इस तरह की सर्जरी पर लाखों रुपये खर्च होते, वहीं सफदरजंग में यह बिल्कुल मुफ्त में की गई. इस ऐतिहासिक सर्जरी को अंजाम देने वाली टीम में डॉ. पवन वासुदेवा (प्रोफेसर और यूरोलॉजी विभाग प्रमुख), डॉ. नीरज कुमार, डॉ. अविषेक मंडल, डॉ. सुशील, डॉ. भावना और डॉ. मेघा शामिल थे. 

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