आमतौर पर ब्रेस्ट कैंसर को महिलाओं से जोड़कर देखा जाता है लेकिन अब पुरुषों में भी यह खतरनाक बीमारी तेजी से फैल रही है. पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले यूं तो काफी कम दिखाई देते हैं लेकिन इसे इग्नोर नहीं किया जा सकता है. महिलाओं की तरह पुरुषों में भी ब्रेस्ट टिशू होते हैं जहां पर कैंसर पैदा करने वाले टिशू ग्रो हो सकते हैं. पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के मामले कम होने के कारण अक्सर लोग ब्रेस्ट में दिखाई या महसूस होने वाली गांठ या किसी भी संकेत को इग्नोर कर देते हैं जिससे यह बीमारी तेजी से बढ़ने लगती है. ऐसे में जरूरी है कि पुरुष ब्रेस्ट कैंसर को सिर्फ महिलाओं की बीमारी ना समझें और इस खतरनाक बीमारी की गंभीरता को समझते हुए इनके संकेत, बचाव के तरीके और इस बीमारी के फैलने के कारणों को समझें. मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और हेमेटो-ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. जेहान धाभर से जानते हैं मेल ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी-
डॉ. जेहान धाभर ने Aajtak.in से बात करते हुए बताया, मर्दों में ब्रेस्ट कैंसर दुर्लभ होता है, जो कुल ब्रेस्ट कैंसर के लगभग 1-2% मामलों पर ही पाया जाता है, जबकि शेष 98% से अधिक मामले महिलाओं में होते हैं. भले ही पुरुषों में ब्रेस्ट टिशू महिलाओं जैसा विकसित नहीं होता, मगर पुरुषों के पास भी ब्रेस्ट के डक्ट्स होते हैं, जहां कैंसर होने का खतरा हो सकता है.
मेल ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण?
डॉ. जेहान धाभर ने Aajtak.in से बात करते हुए पुरुषों में दिखाई देने वाले ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहा कि, पुरुषों में भी महिलाओं के समान ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण दिखाई देते हैं . लेकिन कई बार लोग निप्पल के आसपास बनने वाली गांठ को इग्नोर कर देते हैं और जब स्थिति गंभीर हो जाती है तब डॉक्टर से संपर्क करते हैं लेकिन तब तक यह मामला हाथ से निकल चुका होता है.
ये हैं पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण-
आर्मपिट में गांठ बनना.
चेस्ट के आसपास की स्किन ऑरेंज या पीली नजर आना.
चेस्ट और निप्पल के आस पास लाल, परतदार या पपड़ीदार स्किन.
चेस्ट और अंडरआर्म में दर्द टेंडरनेस.
निप्पल से खूनी डिस्चार्ज होना.
अंदर की ओर धंसा हुआ निप्पल.
डॉ. जेहान धाभर ने बताया कि एडवांस स्टेज में कैंसर की यह गांठ अल्सर का रूप ले लेती है और निप्पल और उसके आसपास की स्किन को खाने लगती है, जिसके चलते उस जगह पर घाव बनने लगता है और वह घाव कभी ठीक नहीं हो पाता.
मेल ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर
लाइफस्टाइल – अधिकतर मर्दों की खराब लाइफस्टाइल (फिजिकल एक्टिविटी ना करना, ज्यादा देर तक एक ही जगह पर बैठे रहना) मोटापे (obesity) को बढ़ावा देती है, और मोटापा ब्रेस्ट कैंसर का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है.
जैविक और अनुवांशिक (Genetic) कारण – परिवार में अगर महिला सदस्यों को ब्रेस्ट या ओवेरियन कैंसर हुआ हो, तो मर्दों में भी इसके होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके पीछे BRCA1 और BRCA2 नामक जीन म्यूटेशन होते हैं, जो कैंसर की संभावना बढ़ाते हैं. यह स्थिति पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है. जिन पुरुषों में BRCA1 और BRCA2 टेस्ट पॉजिटिव आता है उनमें ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और पैंक्रियाटिक कैंसर होने का खतरा सबसे ज्यादा पाया जाता है.
शराब (Alcohol) और तंबाकू का सेवन – जो लोग लगातार हफ्ते में पांच या उससे ज्यादा बार शराब पीते हैं, उनमें हार्मोनल संतुलन में गड़बड़ी होती है जिससे ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है. तंबाकू और धूम्रपान से भी इसका खतरा बढ़ जाता है.
पुरुषों में कैसे किया जाता है ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट?
सर्जरी- पुरुषों में भी ब्रेस्ट कैंसर का ट्रीटमेंट उसी तरह किय़ा जाता है जैसे महिलाओं में किया जाता है. शुरुआती स्टेज में ऑपरेशन के जरिए इसका ट्रीटमेंट किया जाता है. इस दौरान निप्पल और उसके आसपास बनी गांठ को निकाला जाता है. इस दौरान ब्रेस्ट के भी टिशू को हटा दिया जाता है. साथ ही अंडरआर्म में लिम्फ नोड्स और चेस्ट की मसल्स को भी हटा दिया जाता है. इसके बाद मरीज को कीमोथेरेपी, रेडिएशन और हार्मोनल थेरेपी दी जाती है.
रेडिएशन- ब्रेस्ट कैंसर को ठीक करने के लिए रेडिएशन की मदद ली जाती है जिसमें एक्स-रे के जरिए कैंसर कोशिकाओं को मार दिया जाता है. सर्जरी के दौरान आपकी चेस्ट की दीवार या स्किन के पास मौजूद छोटे ट्यूमर कोशिकाओं को हटाने में रेडिएशन से मदद मिलती है. रेडिएशन बची हुई कैंसर कोशिकाओं को खत्म कर देता है ताकि कैंसर फिर से ना बढ़ें.
कीमोथेरेपी- कीमोथेरेपी में आपके शरीर में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है. लोकल ट्यूमर (जो फैल नहीं पाया) के लिए, आपको ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए सर्जरी से पहले कीमो दिया जा सकता है. या आपको सर्जरी के बाद रेडिएशन और कीमो की ज़रूरत हो सकती है ताकि ट्यूमर के फिर से बढ़ने या शरीर में कहीं और वापस आने की संभावना कम हो सके.
हार्मोन थेरेपी- डॉक्टर एस्ट्रोजन के लेवल को कम करने या उसके असर को रोकने के लिए हार्मोन थेरेपी का उपयोग करते हैं. अगर कैंसर कोशिकाएं बढ़ने के लिए एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन का सहारा लेते हैं, तो हार्मोन थेरेपी से मदद ली जाती है.
क्या ज्यादा प्रोटीन इनटेक से भी बढ़ सकता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा?
डॉ. जेहान धाभर ने बताया कि प्रोटीन डाइट या प्लांट बेस्ड प्रोटीन का ब्रेस्ट कैंसर से कोई लेना-देना नहीं होता है लेकिन अगर आप रोजाना 60 से 70 ग्राम सोया का सेवन करते हैं तो ये कैंसर को बढ़ाने में थोड़ी मदद कर सकता है क्योंकि इसे रोजाना खाने से शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल बूस्ट होता है.
स्टेरॉयड और प्रोटीन पाउडर से बढ़ सकता है ब्रेस्ट कैंसर का खतरा?
डॉ. जेहान धाभर ने बताया कि जो लोग जिम में बॉडी बनाने के लिए स्टेरॉयड और प्रोटीन पाउडर का सेवन जरूरत से ज्य़ादा करते हैं उनमें प्रोस्टेट कैंसर का खतरा काफी ज्यादा होता है. ब्रेस्ट कैंसर पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है.
ब्रेस्ट कैंसर से दूर रहने के लिए किन बातों का रखें ध्यान?
डॉ. जेहान धाभर ने बताया, 'परिवार में ब्रेस्ट या ओवेरियन कैंसर की हिस्ट्री होने पर हर छह महीने में ब्रेस्ट की सोनोग्राफी करानी चाहिए और लक्षणों के प्रति सचेत रहना चाहिए. मोटापे से बचें, रेगुलर एक्सरसाइज करें, ज्यादा फैट वाले और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से बचें. साथ ही, शराब और तंबाकू का सेवन न करें'.
दीपिका नेगी