अक्सर मामले सुनने में आते हैं कि कुत्ते ने इंसान को काट लिया और यदि सही ट्रीटमेंट या वैक्सीन नहीं लगवाई तो उसकी मौत हो गई. लेकिन कुछ दिन पहले गुजरात के भरूच जिले से एक मामला सामने आया था जिसमें एक कुत्ते ने भैंस को काट लिया था और भैंस की मौत हो गई थी. इस घटना के बाद से गांव के लोगों में डर का माहौल था क्योंकि गांव के लोग उस भैंस का दूध पीते थे. सेफ्टी को देखते हुए करीब 38 लोगों रेबीज वैक्सीन लगवाने के लिए हॉस्पिटल पहुंचे थे. अब ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि क्या किसी जानवर को रेबीज हुआ है तो क्या उसके दूध से रेबीज उन तक पहुंच सकता है?
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पशुपालन विभाग के सहायक आयुक्त डॉ. अधिराज मिश्रा का कहना है, 'रेबीज वायरस सामान्यतः संक्रमित पशु की लार के संपर्क में आने फैलता है. वैसे तो दूध या मांस जैसे प्रोडक्ट्स से संक्रमण की संभावना बहुत कम होती है लेकिन इसे पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता. यदि किसी जानवर में रेबीज की पुष्टि हो जाए तो उससे प्राप्त प्रोडक्ट्स का उपयोग करना बेहद खतरनाक हो सकता है. भले ही दूध को उबाल लिया जाए या मांस को अच्छी तरह पकाया जाए फिर भी वायरस के पूरी तरह नष्ट होने की श्योरिटी नहीं होती.'
लक्षण देर से भी दिख सकते हैं
डॉ. अधिराज के अनुसार, 'रेबीज के लक्षण कभी-कभी कई महीनों बाद दिखाई देते हैं जिनमें 6 महीने से लेकर एक साल तक का भी समय लग सकता है इसलिए यदि किसी व्यक्ति को शंका हो कि उसने संक्रमित दूध या मांस का सेवन किया है तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके एंटी-रेबीज वैक्सीन लगवानी चाहिए.'
पशु को काटने पर क्या करें?
यदि किसी पशु को कुत्ता काट ले तो उसे तुरंत अन्य जानवरों से अलग कर देना चाहिए. जानवरों के डॉक्टर से उसकी जांच कराकर उचित वैक्सीन लगवाना भी काफी जरूरी है. वहीं यदि यह स्पष्ट हो जाए कि पशु संक्रमित है तो उसके संपर्क से बचें और उससे प्राप्त प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना भी बंद कर दें.'
भारत में रेबीज की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में होने वाली रेबीज से जुड़ी कुल मौतों में से लगभग 35 प्रतिशत भारत में होती हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में पशु-जनित संक्रमण के मामलों की अधिकता के कारण जागरूकता और सतर्कता बेहद आवश्यक है.
आजतक हेल्थ डेस्क