अक्सर आपने किडनी की जांच कराने वाले कई लोगों से सुना होगा कि उनका क्रिएटिनिन लेवल बढ़ा हुआ है. इसके कारण वे लोग डॉक्टर्स से मिलते हैं और फिर डॉक्टर उन्हें क्रिएटिनिन लेवल कम करने के तरीके बताते हैं या फिर मेडिसिन देते हैं. दरअसल, क्रिएटिनिन का बढ़ा हुआ लेवल किडनी पर काफी गलत प्रभाव डालता है इसलिए हमेशा इसका सही रेंज में होना जरूरी है. अगर इसका लेवल बढ़ता है तो इसका संकेत होता है कि आपकी किडनियां सही से काम नहीं कर रही हैं जिससे शरीर में जहर (टॉक्सिन्स) जमा होने लगते हैं. तो आइए क्रिएटिनिन के बारे में वो सब जान लीजिए जो जरूरी है.
क्रिएटिनिन मसल्स में बनने वाला एक अपशिष्ट पदार्थ है जिसे हेल्दी किडनियां फिल्टर करके आसानी से बाहर निकाल देती हैं. लेकिन जब क्रिएटिनिन का लेवल तय सीमा से बढ़ जाता है तो यह संकेत होता है कि किडनी अच्छे से काम नहीं कर रही हैं. ऐसे में किडनी में टॉक्सिन्स जमा होने से किडनी पर दबाव पढ़ता है.
Serum creatinine and renal function रिव्यू में बताया गया कि क्रिएटिनिन सिर्फ किडनी की फिल्टरिंग क्षमता पर ही निर्भर नहीं करता, बल्कि शरीर में इसका लेवल मसल मास, डाइट और मेटाबॉलिज्म से भी प्रभावित होता है इसलिए सिर्फ सीरम क्रिएटिनिन को देखकर किडनी की क्षमता (GFR) का अनुमान लगाना हमेशा सटीक नहीं होता. लेकिन बढ़ा हुआ क्रिएटिनिन किडनी फंक्शन पर खतरे का शुरुआती इशारा जरूर देता है. डॉक्टरों के मुताबिक, समय पर पहचान, सही जांच और जीवनशैली में बदलाव से इस बढ़ते खतरे को रोका जा सकता है.
क्रिएटिनिन हमारे शरीर में क्रिएटिन नामक कंपाउंड के टूटने से बनता है जो मसल्स को एनर्जी देने में मदद करता है. सामान्य परिस्थितियों में किडनियां इसे आसानी से बाहर निकाल देती हैं जिससे शरीर में लिक्विड्स का बैलेंस बना रहता है. लेकिन जब किडनी पर कोई चोट, इंफेक्शन, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या दवाओं का साइड इफेक्ट पड़ता है तो क्रिएटिनिन की मात्रा खून में बढ़ने लगती है. कुछ मामलों में डिहाइड्रेशन, अधिक प्रोटीन खाना, स्ट्रेन वाली एक्सरसाइज या कुछ मेडिकेशन भी क्रिएटिनिन को अस्थायी रूप से बढ़ा सकती हैं.
हेल्दी वयस्कों में क्रिएटिनिन का सामान्य स्तर 0.6–1.3 mg/dL के बीच रहता है. पुरुषों में यह थोड़ा ज्यादा और महिलाओं में थोड़ा कम होता है क्योंकि यह मसल्स की मात्रा पर डिपेंड करता है और आप तो जानते ही हैं कि महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा कम मसल मास होता है.
लगातार थकान, पैरों में सूजन, सांस फूलना, पेशाब में बदलाव, सिरदर्द, धुंधली नजर और कमर के पास दर्द किएटनिन बढ़ने के संकेत हो सकते हैं. अक्सर लोग इन संकेतों को अनदेखा कर देते हैं जबकि यह किडनी पर बढ़ते दबाव का संकेत हो सकता है. किडनी समस्याएं अक्सर चुपचाप बढ़ती हैं, पर समय रहते की गई जांच आपकी सेहत बचा सकती है
डॉक्टर क्रिएटिनिन की जांच के लिए खून का सीरम क्रिएटिनिन टेस्ट कराते हैं. कई बार 24 घंटे की यूरिन टेस्ट भी कराई जाती है ताकि किडनी वास्तव में कितना क्रिएटिनिन फिल्टर कर रही हैं, यह पता चल सके. क्रिएटिनिन लेवल में अस्थायी बढ़ोत गंभीर समस्या का संकेत नहीं होती लेकिन लगातार बढ़ा हुआ लेवल खतरे का संकेत हो सकता है.
क्रिएटिनिन के बढ़े हुए लेवल को यदि समय पर नियंत्रित न किया जाए तो ये क्रॉनिक किडनी डिजीज, किडनी फेलियर, हार्ट प्रॉब्लम्स और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन जैसे गंभीर जोखिम पैदा कर सकता है. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि पर्याप्त पानी पिएं, प्रोटीन और नमक नियंत्रित मात्रा में लें, डायबिटीज और बीपी को नियंत्रित रखें और किडनी पर असर डालने वाली दवाएं बिना डॉक्टर की सलाह के न लें.
आजतक हेल्थ डेस्क