सुई नहीं, सांस से मिलेगा इंसुलिन... डायबिटीज मरीजों के लिए राहत की खबर, कैसे करेगी काम?

सिप्ला ने भारत में इनहेलेबल इंसुलिन 'अफ्रेजा' (Afrezza) लॉन्च करने की घोषणा की है. यह नाक से लेने वाली इंसुलिन है. ये कैसे काम करेगी, इस बारे में आर्टिकल में जानेंगे.

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अभी तक इंजेक्शन से इंसुलिन को लेते थे. (Photo: Pixabay) अभी तक इंजेक्शन से इंसुलिन को लेते थे. (Photo: Pixabay)

आजतक हेल्थ डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST

India's first inhalable insulin: इंसुलिन टाइप 1 और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हाई ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने के लिए दिया जाता है. इंसुलिन अभी तक मार्केट में इंजेक्शन के रूप में आता है जो जो डायबिटीज के मरीजों को तब दी जाती है, जब उनका शरीर खुद पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता या बनी हुई इंसुलिन का ठीस से उपयोग नहीं कर पाता. इंजेक्शन से दी गई इंसुलिन सीधे शरीर में जाकर वही काम करती है जो सामान्य इंसुलिन करती है, यानी शुगर को खून से निकालकर कोशिकाओं के अंदर भेजती है, जिससे डायबिटीज के मरीजों में शुगर लेवल संतुलित रहता है.

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लेकिन अब डायबिटीज के करोड़ों मरीजों के लिए एक बदलाव आ रहा है क्योंकि दवा कंपनी सिप्ला (Cipla) ने भारत में 'अफ्रेजा' (Afrezza) लॉन्च करने की घोषणा की है. यह दुनिया का इकलौता 'रैपिड-एक्टिंग' इनहेल्ड इंसुलिन है, जिसे मरीज सुई के बजाय सांस के जरिए शरीर में पहुंचा सकेंगे. इससे उन लोगों की समस्या दूर हो जाएगी जो इंजेक्शन से डरते हैं. 

40 प्रतिशत लोग ही ले रहे ट्रीटमेंट

भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं, जिनमें से 10-15 प्रतिशत को इंसुलिन थैरेपी की जरूरत है. लेकिन उनमें से केवल 40 प्रतिशत से कम मरीज ही रेगुलर ट्रीटमेंट ले रहे हैं. मार्केट रिसर्च फर्म IQVIA का अनुमान है कि भारत में इंसुलिन का उपयोग करने वाले लोगों की कुल संख्या लगभग 50.48 लाख है.

कब लेनी होगी ये दवा?

अमेरिका की मैनकाइंड कॉर्पोरेशन द्वारा बनाया गया अफ्रेजा 2015 में यूएस में लॉन्च हुआ था. भारत में सेंट्रल ड्रग स्टेंडर्ड कंट्रोल कोर्पोरेशन (CDSCO )से इसे पिछले साल दिसंबर में अप्रूवल मिला था. 

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यह दवा सिंगल-यूज कार्ट्रिज से छोटे इनहेलर डिवाइस के जरिए ली जाती है. इसके लेने के लिए डॉक्टर के मुताबिक अपनी डोज सिलेक्ट करें, इनहेलर में लोड करें, सांस लें और कार्ट्रिज निकाल दें. 

बिना सुई वाली ये दवा आमतौर पर दिन के सबसे भारी भोजन के साथ शुरू किया जाता है. यह पारंपरिक इंजेक्शन के मुकाबले बहुत तेज़ी से शुगर कंट्रोल करता है.

फेफड़ों तक तुरंत पहुंचता है पाउडर

सिप्ला के ग्लोबल चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर (COO) अचिन गुप्ता ने बताया कि यह थैरेपी इंजेक्शन के डर, 'मुश्किल रूटीन और सोशल स्टिग्मा (नकारात्मक धारणा) जैसी मुश्किलों को दूर करती है. लॉन्च के साथ पूरे देश में एक अवेयरनेस कैंपेन शुरू हो रहा है जिसमें एम्पैथेटिक स्टोरीटेलिंग और पेशेंट-सपोर्ट प्रोग्राम शामिल हैं. टेक्नोस्फीयर तकनीक से पाउडर इंसुलिन फेफड़ों से ब्लडस्ट्रीम में तेजी से अवशोषित होता है जो सबक्यूटेनियस इंजेक्शन से तेज काम करता है. इसका उद्देश्य लोगों के मन से इंजेक्शन का डर निकालना और डायबिटीज मैनेजमेंट को आसान बनाना है.'

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