फैक्ट चेक: दो साल पुरानी तस्वीर को पुलवामा हमले से जोड़कर किया जा रहा है शेयर

पुलवामा आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी खबरे रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं. सोशल मीडिया पर एक फोटो खूब शेयर किया जा रहा जिसमें  एक व्यक्ति की पीठ पर पिटाई के गहरे निशान दिख रहे हैं. फोटो में किए दावे के जरिए इसे पुलवामा हमले से जोड़ने की कोशिश की जा रही है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
पुलवामा आतंकी हमले मामले में हिरासत में लिए गए संदिग्धों से पूछताछ के बाद का फोटो
सच्चाई
वायरल फोटो करीब दो साल पुराना है. इसका पुलवामा आतंकी हमले से कोई संबंध नहीं है

बालकृष्ण

  • नई दिल्ली,
  • 17 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:48 PM IST

पुलवामा आतंकी हमले के बाद सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी खबरे रुकने का नाम ही नहीं ले रहीं. सोशल मीडिया पर एक फोटो खूब शेयर किया जा रहा जिसमें  एक व्यक्ति की पीठ पर पिटाई के गहरे निशान दिख रहे हैं. फोटो में किए दावे के जरिए इसे पुलवामा हमले से जोड़ने की कोशिश की जा रही है. दावा है कि यह वही संदिग्ध है जिसे जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हमले के बाद हिरासत में लिया है और अब पीट-पीट कर इससे पूछताछ की जा रही है. बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले के संबंध में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने शुक्रवार को सात संदिग्धों को हिरासत में लिया था.

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वीडियो के कैप्शन में लिखा है - "देर शाम कश्मीर में 15 आतंकी हिरासत में लिए गए. उनमें से एक आतंकी की मेहमान नवाज़ी देखें. जंग शुरू हो गई है, जय हिन्द."

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही इस फोटो का हिरासत में लिए संदिग्धों से कोई संबंध नहीं है. यह फोटो अगस्त 2016 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बल और स्थानीय लोग के बीच हुई झड़प के बाद का है.   

इस फोटो को फेसबुक यूजर घनश्याम प्रजापत जेतपर ने एक पब्लिक ग्रुप  "कट्टर मोदी समर्थक ग्रुप से जुड़े और अपने 51 साथियों को जोड़े"  में शेयर किया था. इस ग्रुप के करीब चार लाख से ज्यादा सदस्य हैं.

फोटो को रिवर्स सर्च करने पर हमें यह फोटो avax.news नाम की एक वेबसाइट पर मिली. फोटो के साथ दी गई जानकारी में बताया गया है कि यह फोटो अगस्त 2016 में श्रीनगर में ली गई थी. घायल युवक के मुताबिक यह चोटें उसे सुरक्षा बल के पीटने के बाद लगी थी. खबर में फोटो क्रेडिट रॉयटर के फोटोग्राफर कैथल मैकनोटन को दिया गया है.

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रॉयटर की वेबसाइट पर यह तस्वीर  अगस्त 2016 को डाली गई थी. पड़ताल में यह निष्कर्ष निकला कि ​वायरल हो रही तस्वीर पुलवामा हमले के बाद पकड़े गए संदिग्ध की नहीं बल्कि वर्ष 2016 में घाटी में सुरक्षा बल और स्थानीय लोगों के बीच हुई झड़प के बाद की है.

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