फैक्ट चेक: बुरका पहने शख्स की पुरानी तस्वीर एंटी-CAA प्रोटेस्ट से जोड़कर वायरल

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर का शाहीन बाग में चल रहे एंटी-CAA विरोधी प्रदर्शन से कुछ लेना देना नहीं है. यह तस्वीर साल 2015 की है जब जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के जवानों ने बस स्टैंड पर गोलियां चलाने के आरोप में इस व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
बुरका पहन कर शाहीन बाग में हो रहे विरोध प्रदर्शन में पहुंचा यह व्यक्ति.
सच्चाई
वायरल तस्वीर करीब पांच साल पुरानी और कश्मीर के पुलवामा से है

अमनप्रीत कौर

  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:08 PM IST

सोशल मीडिया पर बुरका पहने एक आदमी की तस्वीर वायरल हो रही है. दावा किया जा रहा है कि दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे एंटी-CAA प्रोटेस्ट में यह व्यक्ति 500 रुपये और बिरयानी के लालच में बुरका पहन कर पहुंच गया.

सोशल मीडिया पर ऐसी चर्चा है कि यहां प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को हर दिन 500 रुपये और खाने में बिरयानी परोसी जा रही है.

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करीब एक महीने से ज्यादा समय से चल रहे इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई महिलाएं कर रही हैं, हालांकि इसमें पुरुष और बच्चे भी बड़ी संख्या में शामिल हैं.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम ने पड़ताल में पाया कि वायरल हो रही तस्वीर का शाहीन बाग में चल रहे एंटी-CAA विरोधी प्रदर्शन से कुछ लेना देना नहीं है. यह तस्वीर साल 2015 की है जब जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के जवानों ने बस स्टैंड पर गोलियां चलाने के आरोप में इस व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.

पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

फेसबुक यूजर "Kailash Nailwal" ने यह तस्वीर पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा: "शाहीन बाग मे सलमा का बुरखा पहनकर बलमा भी पहुंच रहे है, बिरयानी और 500 का सवाल है भई!"

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फेसबुक पर यह तस्वीर काफी वायरल हो रही है.

वायरल तस्वीर के साथ किए जा रहे दावे का सच जानने के लिए हमने इस तस्वीर को रिवर्स सर्च की मदद से ढूंढा. हमें कश्मीर की कुछ स्थानीय न्यूज वेबसाइट्स पर वायरल तस्वीर और न्यूज आर्टिकल मिले.

इन रिपोर्ट्स के अनुसार, एसओजी के जवानों ने पुलवामा बस स्टैंड पर लोगों पर फायरिंग कर रहे बुरका पहने इस व्यक्ति को गिरफ्तार किया था. यह घटना अक्टूबर 2015 की है. कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों ने भी इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था.

पड़ताल में यह साफ हुआ कि वायरल तस्वीर का शाहीन बाग में हो रहे एंटी-CAA विरोधी प्रदर्शन से कोई संबंध नहीं है. यह तस्वीर करीब पांच साल पुरानी है.

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