फैक्ट चेक: जिस वैज्ञानिक पर हुआ पहला कोरोना वैक्सीन ट्रायल, उसके मरने की उड़ी अफवाह

आर्टिकल News NT नाम की वेबसाइट पर छपा है, जिसमें दावा किया गया है कि एलीसा ग्रेनेटो नाम के वैज्ञानिक की कोरोना वायरस की वैक्सीन देने के दो दिन बाद मौत हो गई.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
ब्रिटेन में जिस पहले स्वयंसेवक पर कोरोना वायरस की वैक्सीन का ट्रायल किया गया, उसकी मौत हो गई.
सच्चाई
स्वयंसेवक एलीसा ग्रेनेटो, जो कि पेशे से वैज्ञानिक भी हैं, जीवित हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं.

चयन कुंडू

  • नई दिल्ली,
  • 27 अप्रैल 2020,
  • अपडेटेड 7:05 PM IST

सोशल मीडिया पर कई लोगों को उस समय झटका लगा, जब रविवार को एक समाचार वेबसाइट ने दावा किया कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के लिए पहले स्वयंसेवक की मौत हो गई है.

यह आर्टिकल “News NT ” नाम की वेबसाइट पर छपा है, जिसमें दावा किया गया है कि एलीसा ग्रेनेटो नाम के वैज्ञानिक की कोरोना वायरस की “वैक्सीन देने के दो दिन बाद मौत हो गई”.

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इस लेख में दावा किया गया है कि “वैक्सीन के उल्टा रिएक्शन करने की वजह से चार और स्वयंसेवकों की हालत खराब है.” वेबसाइट के इस आर्टिकल का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल हो रहा ​आर्टिकल अफवाह है. एलीसा ग्रेनेटो, जिन्हें ह्यूमन ट्रायल के लिए पहली कोरोना वायरस वैक्सीन दी गई थी, वे एकदम से स्वस्थ हैं.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

हूबहू यही कहानी एक अन्य वेबसाइट “The Nigerian News ” ने भी छापा है. फेसबुक पर तमाम लोगों ने इस गलत सूचना को शेयर किया है.

ट्विटर यूजर “Simon Jaysek ” ने “News NT” का आर्टिकल शेयर करते हुए लिखा, “कोरोना वायरस की वैक्सीन ट्रायल के लिए पहले स्वयंसेवक की मौत हो गई है”.

इसके जवाब में ट्विटर हैंडल “@surrey13” ने लिखा कि यह खबर गलत है. यूजर ने दावा किया कि एलीसा ग्रेनेटो ने अपने ट्विटर हैंडल @Prokaryota पर इस दावे का खंडन किया है और कहा है कि वे स्वस्थ हैं. हालांकि ग्रेनेटो का ट्विटर हैंडल प्रोटेक्टेड है, इसलिए उनकी पोस्ट वही लोग देख सकते हैं, जिन्हें उन्होंने अप्रूव किया हो.

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ट्विटर हैंडल “@surrey13” के मुताबिक, ग्रेनेटो ने एक ट्वीट का जवाब देते हुए लिखा है, “मेरी मौत पर एक फर्जी आर्टिकल घूम रहा है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं है... मैं एकदम ठीक हूं. कृपया इस लेख को शेयर न करें. हम उन्हें महत्व नहीं देना चाहते. इससे बेहतर है ​कोई अच्छा काम करें.”

कोरोना वायरस वैक्सीन का मनुष्य पर पहला परीक्षण 23 अप्रैल को दो व्यक्तियों पर किया गया था. ग्रेनेटो उनमें से एक हैं. उन्होंने बीबीसी को बताया, “मैं एक वैज्ञानिक हूं, इसलिए जहां तक संभव हो, मैं वैज्ञानिक प्रक्रिया में मदद करना चाहती थी.”

हमने पाया कि ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग ने भी इस गलत खबर का खंडन करते हुए ट्वीट किया है कि “सोशल मीडिया पर यह खबर चल रही है कि ब्रिटेन के कोरोना वायरस वैक्सीन परीक्षण में पहले स्वयंसेवक की मौत हो गई है, यह पूरी तरह से झूठ है.”

अंग्रेजी अखबार “Mirror ” ने भी इस खबर का खंडन करते हुए ​लिखा है कि ग्रेनेटो जिंदा हैं और स्वस्थ हैं.

AFWA ने पाया कि यह गलत सूचना पहली बार 25 अप्रैल को “investorshub ” के जरिये फैली, जो कि प्रेस रिलीज प्रकाशित करने वाली एक वेबसाइट है. बाद में यह खबर “News NT” ने छापी और सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे सच मानकर शेयर करना शुरू कर दिया.

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