2014 और 2019 में अपने बूते सत्ता में आने बीजेपी को अगर पांच साल सरकार में बने रहना है, तो उसे सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा. 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 272 का जादुई आंकड़ा छूने में नाकाम रही और 240 सीटों पर आकर उसकी गाड़ी अटक गई. हालांकि, बीजेपी दावा कर रही है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं.
बीजेपी के लिए 2024 इसलिए भी झटका हैं, क्योंकि पांच साल में उसका वोट शेयर एक फीसदी से ज्यादा कम हो गया है. 2019 में बीजेपी को 37.7% वोट मिले थे. जबकि, इस बार बीजेपी को 36.6% वोट मिले हैं.
एक फीसदी के आसपास वोट शेयर कम होने से बीजेपी को 64 सीटों का नुकसान हो गया. इस बार के चुनाव में बीजेपी की केरल में एंट्री हो गई, लेकिन हिंदी पट्टी वाले राज्यों में उसे बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.
नतीजों से पता चलता है कि दक्षिण को छोड़ दिया जाए तो पूर्व-पश्चिम और उत्तर ने बीजेपी को बहुत नुकसान पहुंचाया है. दक्षिण में भी बीजेपी सिर्फ एक सीट जीती, जबकिपूर्व-पश्चिम और उत्तर में उसकी 64 सीटें कम हो गईं.
कहां-कितना नुकसान?
- पूरब: इस क्षेत्र में बिहार, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, असम, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ आते हैं. यहां की 153 सीटों में से बीजेपी 75 सीटें ही जीत सकीं. 2019 में बीजेपी ने यहां की 77 सीटें जीती थीं. पूर्व में पड़ने वाले ओडिशा में ही बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है. ओडिशा में बीजेपी को पिछली बार के मुकाबले इस बार 12 सीटें ज्यादा मिली हैं.
- पश्चिमः यहां राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, दमन दीव-दादरा नगर हवेली, महाराष्ट्र और गोवा पड़ते हैं. यहां की 132 सीटों में से बीजेपी ने 79 सीटों पर जीत दर्ज की. जबकि, पिछली बार बीजेपी ने 103 सीटें जीती थीं. बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान महाराष्ट्र और राजस्थान में हुआ है. इन दोनों राज्यों में बीजेपी ने 24 सीटें गंवाई है. सिर्फ मध्य प्रदेश में उसे एक सीट का फायदा हुआ है. मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सभी 29 सीटें जीत ली हैं.
यह भी पढ़ें: NDA ने क्या खोया, INDIA ने क्या पाया... ग्राफिक्स में समझें 2024 का पूरा रिजल्ट
- उत्तरः इस क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, चंडीगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश आते हैं. इसी रीजन में बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. इन राज्यों की 126 सीटों में से बीजेपी 56 सीटें ही जीत सकी. जबकि, पिछली बार उसने 94 सीटें जीती थीं. इस रीजन में बीजेपी को कुछ नया नहीं मिला, उल्टा जो था उसे ही गंवाना पड़ा. बीजेपी को सबसे ज्यादा 29 सीटों का नुकसान उत्तर प्रदेश में हुआ है.
- दक्षिणः इस रीजन में पड़ने वाले पांच राज्य- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और तीन केंद्र शासित प्रदेश- लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में कुल 132 सीटें आतीं हैं. इनमें से बीजेपी ने 30 सीटें जीती हैं. पिछले चुनाव में 29 सीटें जीती थीं. इस बार बीजेपी की केरल में एंट्री हो गई है. केरल की थ्रिसूर सीट पर बीजेपी के सुरेश गोपी जीते हैं. बीजेपी को आंध्र और तेलंगाना में 7 सीटों का फायदा हुआ है, लेकिन कर्नाटक में उसने 8 सीटें गंवा भी दी.
यह भी पढ़ें: एक ने मांगा था इस्तीफा तो दूजे ने छोड़ा था 17 साल पुराना साथ... नायडू-मोदी-नीतीश के रिश्तों की कहानी
- जहां बीजेपी ने खोयाः राजस्थान की 10, गुजरात की 1, महाराष्ट्र की 14, कर्नाटक की 8, पंजाब की 2, चंडीगढ़ की 1, हरियाणा की 5, उत्तर प्रदेश की 29, लद्दाख की 1, बिहार की 5, मणिपुर की 1, पश्चिम बंगाल की 6 और झारखंड की 3 सीटें बीजेपी ने गंवा दी. यानी, इन राज्यों में बीजेपी ने कुल 86 सीटें गंवाई हैं.
- जहां बीजेपी ने पायाः मध्य प्रदेश की 1, आंध्र प्रदेश की 3, तेलंगाना की 4, अंडमान-निकोबार की 1, केरल की 1, ओडिशा की 11 और छत्तीसगढ़ की 1 सीट बीजेपी ने ज्यादा जीती है. यानी, इन राज्यों में बीजेपी को कुल 22 सीटें नई जीती हैं.
- न खोया, न पायाः गोवा, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली और दमन दीव, तमिलनाडु, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय और असम में बीजेपी को न तो कोई फायदा हुआ और न ही नुकसान हुआ. इन राज्यों में बीजेपी अपनी सीटें बचाने में कामयाब रही है.
सिंगल डिजिट से ट्रिपल डिजिट तक का सफर
- सिंगल डिजिटः 1980 में बनी बीजेपी ने पहला लोकसभा चुनाव 1984 में लड़ा था. तब बीजेपी सिर्फ दो सीट जीत सकी थी. पहली सीट गुजरात की मेहसाणा थी, जहां से एके पटेल सांसद बने. दूसरी आंध्र प्रदेश की हनमकोंडा थी, जहां से सी. जंगा रेड्डी सांसद बने. अटल बिहारी वाजपेयी चुनाव हार गए थे. लालकृष्ण आडवाणी ने चुनाव नहीं लड़ा था.
- डबल डिजिटः 1989 के चुनाव में बीजेपी ने डबल डिजिट में सीटें जीती थीं. उस चुनाव में बीजेपी 225 सीटों पर लड़ी थी और 85 सीटें जीत गई. बीजेपी ने केंद्र की वीपी सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दिया. इसी दौरान 1990 में आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली. आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया गया. नाराज बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया और वीपी सिंह की सरकार गिर गई.
- ट्रिपल डिजिटः 1991 के चुनाव में बीजेपी ने पहली बार 100 का आंकड़ा पार किया. इस चुनाव में बीजेपी ने 120 सीटें जीती थीं. इसके बाद 1996 में 161, 1998 में 182, 1999 में फिर 182, 2004 में 138 और 2009 में 116 सीटें जीतीं. 1999 से 2004 तक केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एनडीए की सरकार बनी. ये पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी, जिसने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था.
- फिर बहुमतः 2014 के चुनाव में बीजेपी पहली बार अपने दम पर बहुमत लेकर आई. तब बीजेपी ने 282 सीटें जीती थीं. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 2014 से भी बड़ी जीत हासिल की. 2019 में बीजेपी ने 303 सीटें जीतीं. हालांकि, 2024 के चुनाव में बीजेपी 240 सीटें ही जीत सकी.
aajtak.in