रेस्टोरेंट, होटल और सार्वजनिक जगहों पर पाबंदी... समझें असम में गोमांस बैन का पूरा फैसला

असम में अब बीफ पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा. होटल, रेस्टोरेंट या किसी भी पब्लिक प्लेस पर बीफ न तो परोसा जाएगा और न ही खाया जा सकेगा. इसका मतलब हुआ कि शादी-पार्टियों में भी बीफ नहीं परोसा जाएगा.

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा. (फाइल फोटो-PTI) असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा. (फाइल फोटो-PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

असम की हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. सरकार ने अब पूरे राज्य में बीफ पर बैन लगा दिया है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने X पर इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अब किसी भी होटल, रेस्टोरेंट या पब्लिक प्लेस पर बीफ नहीं परोसा जाएगा.

कहां-कहां होगा गोमांस पर बैन?

सभी जगह. सीएम सरमा ने बताया कि होटल, रेस्टोरेंट या किसी भी पब्लिस प्लेस पर बीफ न तो परोसा जाएगा और न ही खाया जाएगा. इस कानून के लागू होने के बाद होटल-रेस्टोरेंट और पब्लिक प्लेस में बीफ पर प्रतिबंध लग जाएगा.

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क्या शादी-पार्टियों में भी होगा बैन?

हां. शादी-पार्टियों में भी बीफ नहीं परोसा जाएगा. मुख्यमंत्री ने साफ किया है कि अगर किसी होटल, रेस्टोरेंट या पब्लिक प्लेस या किसी भी पब्लिक फंक्शन में बीफ नहीं परोसा जाएगा. फिर चाहे वो फंक्शन किसी भी तरह का हो.

क्या घरों में भी बैन होगा?

अभी होटलों-रेस्टोरेंट और पब्लिक प्लेस में बीफ खाने और परोसने पर पाबंदी लगाई गई है. हालांकि, घर में बैठकर कोई खाना चाहता है तो खा सकता है.

बीफ पर अब तक क्या कानून था?

असम में अब तक बीफ खाने और परोसने पर कोई मनाही नहीं थी. हालांकि, 2021 में असम कैटल प्रिजर्वेशन एक्ट लाया गया था. ये कानून उन इलाकों में स्लॉटर हाउस और बीफ की बिक्री पर रोक लगाता है, जहां हिंदू, सिख और जैन बहुसंख्यक हैं. इसके साथ ही मंदिर या सत्र (वैष्णव मठ) के पांच किलोमीटर के दायरे में भी इस पर प्रतिबंध था.

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इस कानून के दायरे में गाय, बैल, भैंस समेत सभी तरह के मवेशी आते हैं. हालांकि, कानून लागू होने के बाद भैंस को इससे बाहर कर दिया गया था. ये कानून किसी भी परिस्थिति में गोहत्या पर रोक लगाता है. हालांकि, दूसरे मवेशियों को मारा जा सकता है, लेकिन उसके लिए सर्टिफिकेट जरूरी है.

2021 का ये कानून बिना परमिट के असम के भीतर और दूसरे राज्यों से आने वाले बीफ और उससे जुड़े प्रोडक्ट के ट्रांसपोर्ट पर भी रोक लगाता है.

इस कानून के तहत, दोषी पाए जाने पर 3 से 8 साल की जेल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही दोषी पर 3 से 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जाता है.

अब पूरी तरह से बैन क्यों?

दरअसल, हाल ही में नगांव जिले के सामगुरी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए थे. इसमें बीजेपी की जीत हुई थी. समागुरी सीट पर 25 साल तक कांग्रेस का राज रहा था. पिछले महीने हुए उपचुनाव में बीजेपी के डिप्लू रंजन सरमा ने कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन के बेटे तंजील को हरा दिया था.

कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने दावा किया था कि मुस्लिम वोटरों को लुभाने के लिए बीजेपी ने यहां बीफ पार्टी करवाई थी. हुसैन का दावा था कि उनके पास बीफ पार्टी करवाने के सबूत भी हैं.

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इसके बाद सीएम सरमा ने सवाल किया था कि क्या अब तक कांग्रेस बीफ परोसकर समागुरी जीतती आ रही थी? उन्होंने कहा था कि अगर कांग्रेस बीफ पर बैन लगाने की वकालत करती है तो मैं पूरे राज्य में इस पर बैन लगा दूंगा. इसी वजह से हिमंता सरकार ने पूरे राज्य में बीफ पर बैन लगा दिया है.

क्या बीफ खाते हैं भारतीय?

नेशनल सैम्पल सर्वे की 2011-12 की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आठ करोड़ से ज्यादा लोग बीफ खाते हैं. यानी भारत की तकरीबन साढ़े 7 फीसदी आबादी बीफ खाती है.

सबसे ज्यादा बीफ मुसलमान खाते हैं. लगभग 6.34 करोड़ मुस्लिम बीफ खाते हैं. वहीं, 65 लाख ईसाई बीफ खाते हैं. जबकि 1.26 करोड़ हिंदू भी ऐसे हैं जो बीफ खाते हैं.

बीफ की सबसे ज्यादा खपत मेघालय में है. यहां की करीब 81 फीसदी आबादी बीफ खाती है. दूसरे नंबर पर लक्षद्वीप है, जहां की 77 फीसदी आबादी बीफ खाती है. नागालैंड की 58 फीसदी, सिक्किम की 31 फीसदी, जम्मू-कश्मीर की 30 फीसदी, केरल और अरुणाचल की 25-25 फीसदी, मणिपुर की 24 फीसदी, मिजोरम की 23 फीसदी और असम की 22 फीसदी आबादी बीफ खाती है.

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