Agenda Aaj Tak 2023: 'झेलम नदी के किनारे रात 11 बजे आइसक्रीम खाते मिल जाएंगे बच्चे', मनोज सिन्हा ने बताए कश्मीर में कैसे हुआ बदलाव

जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा ने एजेंडा आजतक के मंच पर कहा कि कश्मीर में अब नाइट लाइफ फिर से शुरू हो गई है. आप जब झेलम नदी के किनारे जाएंगे तो वहां बच्चे गिटार बजाते और आइसक्रीम खाते हुए मिल जाएंगे. किस जमाने में इंतजार होता था कि सूर्यास्त होने से पहले ही जल्दी घर चला जाए.

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Manoj Sinha (फोटो क्रेडिट-हार्दिक छाबड़ा) Manoj Sinha (फोटो क्रेडिट-हार्दिक छाबड़ा)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 14 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:53 PM IST

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा गुरुवार को एजेंडा आजतक के मंच पर पहुंचे. यहां उन्होंने बताया कि कैसे अनुच्छेद 370 और 35 ए हटने के बाद कश्मीर पूरी तरह से बदल गया है. उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में लाल चौक, पोलो व्यू मार्केट जैसे कई स्थान हैं, जो अर्बन ट्रांसफॉर्मेशन के नमूने के तौर पर देश ने पेश किए जा सकते हैं.

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एलजी मनोज सिन्हा ने आगे कहा कि कश्मीर में अब नाइट लाइफ फिर से शुरू हो गई है. आप जब झेलम नदी के किनारे जाएंगे तो वहां बच्चे गिटार बजाते और आइसक्रीम खाते हुए मिल जाएंगे. किस जमाने में इंतजार होता था कि सूर्यास्त होने से पहले ही जल्दी घर चला जाए. अब रात के 11-12 बजे तक लोग वहां घूम फिर रहे हैं.

कश्मीरी पंडितों को मिले ये अधिकार

एलजी ने कहा कि बदलाव में यह भी शामिल है कि अब कश्मीरी पंडित देश के किसी भी हिस्से में रहते हुए जम्मू कश्मीर का डोमिसाइल सर्टिफिकेट ले सकता है. इतना ही नहीं अब कश्मीरी पंडित वहा प्रॉपर्टी भी खरीद सकते हैं. जम्मू-कश्मीर में अब पिछड़े वर्ग के लोगों को पहली बार आरक्षण मिलने लगा है. वहां अब दलितों को पढ़ाई और नौकरी में रिजर्वेशन मिल रहा है. 

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शिया समुदाय ने 34 साल बाद मनाया मुहर्रम

जम्मू-कश्मीर के शिया समुदाय के बारे में बात करते हुए एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि मोहर्रम शिया समुदाय का सबसे प्रमुख त्योहार होता है. जम्मू-कश्मीर का शिया समुदाय 34 साल बाद वहां मोहर्रम पर जुलूस निकाल पाया है. उन्होने आगे कहा कि अब कोई आतंकी प्रधानमंत्री के साथ नहीं बैठता है. अब NIA के किसी छोटे अधिकारी के सामने भी वह कुर्सी पर नहीं बल्कि जमीन पर बैठता है. 

अब आतंकियों के जनाजे में नहीं जुटती भीड़

बता दें कि अब जम्मू-कश्मीर में किसी आतंकी के मारे जाने पर उसका जनाजा पूरे शहर में नहीं घुमाने दिया जाता है, बल्कि उसे आसपास दफनाने की व्यवस्था ही की जाती है. इस बारे में जब एलजी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में मरने वाले के परिवार की सहमति भी ली जाती है. ग्लेमराइज करने की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया है.

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