एजेंडा आजतक 2024 के 'नई सरकार, कितना असरदार' सेशन में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने आने वाले साल में अपनी सरकार का एजेंडा, धारा 370 से लेकर एलजी मनोज सिन्हा के साथ उनका कैसा रिश्ता है, इसपर भी अपनी बात रखी.
कश्मीरी पंडितों की वापस पर क्या बोले उमर अबदुल्ला
कश्मीरी पंडितों को दोबारा वापस कश्मीर में बसाने के मुद्दे पर बात करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि उन्हें घाटी में वापस आना चाहिए. हालांकि, वापस आने के लिए उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता है. उनसे उनकी सेंस ऑफ सिक्योरिटी को छीना गया था. ऐसे में बिना सेंस ऑफ सिक्योरिटी को वापस हासिल किए बिना वह कश्मीर में बसने को तैयार नहीं होंगे. बदकिस्मती से इस वक्त जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी नहीं है. जिस दिन सुरक्षा व्यवस्था हमारे हाथों में होगी, हम कोशिश करेंगे कि जो भी कश्मीरी पंडित वापस आना चाहते हैं, आ सकें.
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द मिले
जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इसकी अब पहल होनी चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने भी चुनावों के दौरान जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने का वादा किया है. मैंने भी दोनों लोगों से मुलाकात के दौरान इसपर अपनी बात रखी थी. उन्होंने फिलहाल तो उन्होंने इंकार नहीं किया है, जो हमारे लिए सकारात्मक बात है. साथ ही सरकार ने कोर्ट में भी वादा किया है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा जल्द बहाल कर देंगे.
इस मामले पर बात करते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन के लिए एक समय सीमा निर्धारित किया था, जिसके चलते चुनाव समय पर हो गया था. ऐसे में अगर कोर्ट जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए एक समय सीमा निर्धारित करता तो ये काम जल्द हो गया होता . फिलहाल अब वक्त आ गया है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए पहल हो.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार गलत
उमर अब्दुल्ला ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हैं अत्याचार की भी घोर आलोचना की है. उन्होंने कहा कि किसी भी देश में अल्पसंख्यक समुदायों को टार्गेट नहीं करना चाहिए. चाहे वह बांग्लादेश, पाकिस्तान या भारत ही क्यों ना हो. हमें यह भी देखना चाहिए कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हमारे मूल्क में भी अल्पसंख्यक समुदाय असुरक्षित महसूस कर रहे हैं.
कैसा है एलजी साहब के साथ रिश्ता
एलजी साहब से कैसा रिश्ता है, इस बात पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कहते हैं कि एलजी साहब से बीच-बीच में मुलाकात हो जाती है. एक नया सिस्टम ह, समझने में वक्त लग जाएगा. जब हमें मैंडेट मिला तो लगा कि इसे समझने में हमें वक्त लगेगा, लेकिन जो हमसे पहले हैं उन्हें ज्यादा कठिनाई हो रही . जहां तक मेरी बात है, मैं अपनी बाउंड्री की रिस्पेक्ट करता हूं. दूसरे को भी अपनी बाउंड्री की इज्जत करनी चाहिए. मैं तो एलजी के काम में किसी तरह का दखल नहीं देता हूं. ना देने का इरादा रखता हूं.
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