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एजेंडा आजतक 2017

ऑडिशन में चेस्ट घूर रहा था शख्स, विद्या को अपनी बॉडी पर कमेंट नहीं पसंद

aajtak.in
  • 01 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:51 PM IST
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तुम्हारी सुलु के लिए विद्या बालन की हर तरफ तारीफ़ हो रही है. एजेंडा आज तक 2017 के महामंच पर विद्या ने जीवन और करियर से जुड़े कई सनसनीखेज खुलासे किए. उन्होंने बताया कि उनके करियर में एक ऐसा दौर भी आया जब वो खूब रोईं.

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शुक्रवार को एजेंडा2017 के 'हमारी विद्या सेशन' में कहा, ' मेरी लगातार 5 फिल्में सुपहिट रही. फिर लगातार फिल्में फ्लॉप होने लगी. मेरे लिए जरूरी था. एक समय लगने लगता है कि जिस पर हाथ रखो वही सोना बन जाता है. ऐसा समय (बेहद खराब) भी देखना जरूरी था. उस वक्त बहुत धक्का पहुंचा. मैं बहुत रोती थी. मैं अपनी फैमिली को बहुत परेशान करती हूं, यह बोल-बोल कर कि फिल्म क्यों नहीं चली? आप कभी तय नहीं कर सकते कि फिल्म हिट और फ्लॉप क्यों हो रही है.

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एक सवाल के जवाब में विद्या ने कहा, 'मुझे सबसे ज्यादा खुशी एक्टिंग में ही मिलती है. ' विद्या ने आपबीती सुनाते कहा, ' आप जहां भी जाओ सब बॉडी के बारे में बात करते हैं. मोटी होना मेरे लिए कोई गाली नहीं है. लेकिन मुझे अच्छा नहीं लगता कि कोई मेरी बॉडी पर कमेंट करे. किसी के अपीयरेंस पर बोलने का किसी को कोई अधिकार नहीं है. जब महिला सफल होती है तो लोग आपको नीचे गिराते हैं.

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ऑडिशन के दिनों का जिक्र करते हुए विद्या ने कहा, 'एक बार टीवी के ऑडिशन के लिए मैं पापा के साथ गई थी. एक शख्स मेरी चेस्ट की तरफ घूर रहा था. मैंने उससे सीधे कहा, - आप क्या देख रहे हैं? इसके अलावा मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ.'

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विद्या ने माना कि हर इंडस्ट्री में समाज में होता है ये सब. इस इंडस्ट्री (एंटरटेनमेंट) में ज्यादा है.

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विद्या ने कहा, 'परिणीता के वक्त मैं 26 साल की थी. ये अलग था उस समय. उस समय हीरोइन रिटायर हो जाती थीं. उसके पहले मैंने ऐज, वीडियो किया. साउथ में फिल्में की जो रिलीज नहीं हुई.

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उस समय लोग मुझे कहते थे कि आपको लड़कियों के रोल करना चाहिए. मैंने ट्राई भी किया लेकिन मैं सफल नहीं हुई. मैं समझ गई कि मैं औरत के रोल के लिए ही पैदा हुई हूं.'

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विद्या ने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा कि मुझे कुछ अलग करना है. अपना अलग रास्ता बनाना है. जो मुझे अच्छा लगता है मैं वो करता हूं.

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जब मेरे ड्रेस पर चर्चा होती थी तब मुझे बहुत बुरा लगता था. जब मैं अपने पसंद की फिल्में करने लगी अपने पसंद के कपड़े पहनने लगी तब मैं दुनिया को भी अच्छी लगने लगी.

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