एक वक्त पर सुशांत सिंह राजपूत की पब्लिसिटी मैनेजर रहीं उनकी बेस्ट फ्रेंड और फिल्म पब्लिसिस्ट रोहिणी अय्यर ने सुशांत के लिए एक ओपेन पोस्ट लिखी है जिसमें उन्होंने सुशांत के नेचर और उसकी पर्सनैलिटी से जुड़ी कई दिलचस्प बातें बताई हैं. रोहिणी ने अपनी पोस्ट में उन लोगों को लताड़ा है जो आज ये कह रहे हैं कि सुशांत को काम नहीं मिल रहा था.
रोहिणी ने लिखा, "ये बातें कही जानी जरूरी हैं. मेरा बेस्ट फ्रेंड अब नहीं रहा, मुझे अब भी इस सच को स्वीकार करने में मुश्किल हो रही हैं और जब भी मैं उससे जुड़ी खबरें जानने के लिए अपना सोशल मीडिया चेक करती हूं तो मुझे सिर्फ ऑनलाइन लोगों की बजाए फिक्शन पढ़ने को मिलता है. मुझे गप्पें मारने वाले लोग मिलते हैं. लोग जो अपने एजेंडा को आगे बढ़ा रहे हैं, खुद को या अपनी नीतियों को प्रमोट कर रहे हैं. हर वो इंसान जो दो सेकंड का फेम पाना चाहता है वो उसकी जिंदगी पर कुछ न कुछ कह रहा है."
उन्होंने लिखा, "पहली बात तो ये कि उसे किसी के ओपिनियन या फेम से रत्ती भर फर्क नहीं पड़ता था. उसे इन लोगों के जरा सा भी फर्क नहीं पड़ता था जो आज ये प्रचार करते फिर रहे हैं कि वो उसके साथ टच में नहीं रह सके. रिकॉर्ड के लिए मैं ये भी बता दूं कि उसे टच में रहने की परवाह नहीं रहती थी. उसे दिखावटी दोस्तों, फोन कॉल्स और छोटी-छोटी बातों से नफरत थी."
रोहिणी ने लिखा कि तुमने उसे अस्वीकार नहीं किया बल्कि उसने हमेशा तुम्हारी पार्टियों को नकारा था. उसे किसी तरह के कैंप का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं थी, उसने अपना खुद का किंगडम बना लिया था. वो एक असली फाइटर था. उसने कड़ी धूप में रहकर भी अपने लिए आशियां बना लिया था. वो एक आउटसाइडर था और उसने एक इनसाइडर होने की कभी परवाह नहीं की थी. ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी फिल्मों के बाहर भी एक दुनिया थी.
उन्होंने लिखा, "उसने कामयाबी को हमेशा जूते की नोंक पर रखा. वो कभी नाकाम नहीं हुआ. उसके साथ काम करने वाले तमाम कलाकारों से ज्यादा हिट फिल्में उसने दी थीं. उसने तो कभी 100 करोड़ क्लब की परवाह भी नहीं की थी. वो न तो किसी क्लब का हिस्सा बनना चाहता था और न उसे इस चूहा दौड़ में कोई दिलचस्पी थी. वो एक अवॉर्ड फंक्शन से सिर्फ इसलिए बाहर चला आया था क्योंकि वो वहां बोर हो रहा था. वह भी उससे ठीक पहले जब उसके लिए बेस्ट एक्टर के अवॉर्ड की घोषणा की गई थी."
"उसका अटेंशन लेने के लिए आपको एक दो कौड़ी की ट्रॉफी से बहुत ज्यादा कुछ होने की जरूरत थी. वो कुदरत का करिश्मा था. उसकी कामियाबियों को गिनना मुश्किल है. वो तो बस अपने आप में एक क्वांटम फिजिक्स था. वह एक पागल जीनियस था उसने Sartre और Nietzsche को पढ़ा था. उसने astronomy और stoicism पढ़ी थी. वो पोइट्री लिखता था, गिटार बजाता था और वो अपने दोनों हाथों से लिख सकता था. "
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रोहिणी ने पढ़ाई लिखाई की तरफ सुशांत के आकर्षण के बारे में बताते हुए लिखा, "उसे इस ग्रह को बचाने की परवाह थी, दुनिया को बचाने की, मंगल पर जाने की, चैरिटी करने की, साइंस प्रोजेक्ट्स की और इनोवेशन्स की... उनकी जिनकी कोई तुलना नहीं हो सकती है. इसलिए प्लीज समझदार बनने और उसके टैलेंट को कमतर बताने की कोशिश मत करो, और न ही अपने एजेंडा को आगे बढ़ाने की."
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