मशहूर फिल्ममेकर शेखर कपूर ने साल 1983 में अपनी पहली फिल्म मासूम का निर्देशन किया था. उन्होंने जब ये फिल्म बनाई थी तो उन्हें फिल्ममेकिंग से जुड़ी कई सारी चीजों का अनुभव नहीं था और इसके चलते कई लोग उनकी फिल्म की स्क्रिप्ट में बदलाव करना चाहते थे लेकिन शेखर ने केवल अपने मन की सुनी और हाल ही में उन्होंने इसी से जुड़ा एक पोस्ट साझा किया है.
शेखर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने साफ किया है कि कई लोग उनकी पहली फिल्म मासूम की स्क्रिप्ट को बदलना चाहते थे लेकिन वे इस बात को लेकर बेहद खुश हैं कि वे उन आवाजों को शांत करने में कामयाब रहे जो उनकी इस फिल्म में बदलाव चाहते थे. उन्होंने ट्विटर पर अपनी फिल्म मासूम का पोस्टर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा - जो लोग मशहूर थे, अनुभवी थे और ज्ञानी थे, उन सभी ने मुझे कहा कि इस फिल्म में ना तो ड्रामा है और ना ही कोई विलेन है. मैं सीधा-सादा था, मेरे पास कोई ट्रेनिंग नहीं थी, मुझे फिल्ममेकिंग को लेकर कुछ पता नहीं था लेकिन मैं बागी था और यही मेरे लिए जरूरी था.
शेखर कपूर की फिल्म मासूम साल 1983 में रिलीज़ हुई थी. ये फिल्म एक ऐसे इंसान के बारे में है जिसकी जिंदगी बदल जाती है जब उसे पता चलता है कि अपने पुराने अफेयर के चलते उसका एक नाजायज बेटा भी है. इस फिल्म में नसीरूद्दीन शाह ने मुख्य भूमिका निभाई थी. इसके अलावा फिल्म में शबाना आजमी भी दिखाई दी थीं. इस फिल्म में जुगल हंसराज और उर्मिला मातोंडकर बाल कलाकार के तौर पर नजर आए थे. जुगल इसके बाद यशराज बैनर की फिल्म मोहब्बतें में भी दिखे थे हालांकि उनका फिल्मी करियर परवान नहीं चढ़ पाया था. इसके अलावा उर्मिला मातोंडकर बॉलीवुड में एक लंबी पारी खेलने में कामयाब रही थीं.
मासूम के बाद शेखर कपूर की दूसरी फिल्म मिस्टर इंडिया थी. ये फिल्म साल 1987 में रिलीज़ हुई थी. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड्स ध्वस्त कर दिए थे. इस फिल्म में अनिल कपूर, श्रीदेवी और अमरीश पुरी ने अपने किरदारों से गजब की लोकप्रियता हासिल की थी. इसके बाद साल 1994 में आई फिल्म फूलन देवी से शेखर ने इंटरनेशनल स्तर पर ख्याति पाई थी. फूलन देवी की कहानी एक दलित महिला को लेकर थी जिसने बीहड़ से पार्लियामेंट तक का सफर तय किया था. शेखर ने इसके अलावा एलिजाबेथ और एलिजाबेथ : द गोल्डन एज जैसी हॉलीवुड फिल्मों का भी निर्देशन किया है.
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