रामानंद सागर की रामायण का बड़ा ट्विस्ट आखिर आ गया है. अब माता कैकयी के वचन मांगने के बाद राम को वनवास का फरमाना सुना दिया गया है. एक तरफ राजा दशरथ गम में हैं तो वहीं दूसरी ओर सीता और लक्ष्मण राम के साथ जाने वन में जाने की जिद्द लेकर बैठे हैं. आइए बताएं गुरूवार को शो में क्या हुआ.
राजा दशरथ और रानी कैकयी राम को उनके कक्ष में आने का आदेश भिजवाते है. राजा दशरथ का मन विचलित है वो धर्मसंकट में फंसे हैं. वहीं दूसरी ओर सीता और राम बातचीत कर रहे हैं. देवी सीता श्रीराम से कहती है कि आज आपका राज तिलक होगा और फिर आप व्यस्त हो जाएंगे. ऐसे में मेरा स्थान क्या होगा? उसपर श्रीराम कहते हैं कि तुम्हारा स्थान हमेशा मेरे मन मे रहेगा सीते. तभी श्रीराम को संदेश आता है कि उन्हें महाराज दशरथ ने बुलाया है और श्रीराम कैकयी भवन में जाते है.
राम को बोली गई वनवास जाने की बात
अपने पिता की हालत देख राम चिंतित हो जाते हैं और महारानी कैकयी से पूछते है कि पिताश्री को क्या हुआ है. तभी कैकयी बताती हैं कि उन्होंने राजा दशरथ से मेरे दो वचन मांगे हैं. उन वचनों को पूरा करने में उन्हें संकट हो रहा है वो संकट में है. श्रीराम वो दो वचन जानना चाहते है कि आखिर वो वचन है क्या तभी रानी कैकयी, श्रीराम को वचन बताती हैं. पहला वचन ये कि राम की जगह भरत का राजतिलक हो और दूसरा ये कि राम मुनिवेश धारण करके 14 वर्ष के लिए वनवास जाए. ये सुनकर श्रीराम मुस्कुराते है और खुशी-खुशी उनकी बात मान लेते हैं. राम उसी क्षण वनवास जाने के लिए तैयार हो जाते हैं.
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सीता और लक्ष्मण भी जाएंगे साथ
श्रीराम माता कौशल्या और माता सुमित्रा से वन जाने की आज्ञा लेने आते है और सारी बात बताते है. ये सुनकर माता कौशल्या चकित रह जाती है और राम को वन जाने की अनुमति नहीं देती. ऐसे में श्रीराम अपनी मां को समझाते हैं और न चाहते हुए भी कौशल्या मान जाती हैं. परंतु देवी सीता श्रीराम के साथ वनवास पर जाने की बात करती हैं, जिसपर श्रीराम सीता को इसकी अनुमति नहीं देते. सीता कहती हैं कि अगर राम उन्हें वनवास पर नहीं ले जा सकते, तो वे उनकी चोटी को अग्नि देकर वन के लिए प्रस्थान कर सकते है. ऐसे में श्रीएम सीता को अपने साथ वनवास ले जाने के लिए मान जाते हैं.
लक्ष्मण क्रोधित होकर श्रीराम के पास आते हैं और रानी कैकयी और राजा दशरथ के बारे में अपशब्द कहते हैं. भाई राम, लक्ष्मण को समझाते हैं कि ये सब कहना गलत है और वो अपना क्रोध शांत करे. लक्ष्मण श्रीराम और भाभी सीता के साथ वनवास जाने की जिद्द करते हैं. इसपर पहले श्रीराम उन्हें मना कर देते हैं परंतु रानी सुमित्रा के कहने पर मान जाते हैं. श्रीराम के वनवास जाने की बात जानकर अयोध्यावासी नाराज हैं और इस फैसले के खिलाफ खड़े हो जाते हैं.
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राम के जाने से खुश मंथरा और कैकयी
दूसरी ओर मंथरा रानी कैकयी को आकार बताती है कि राम के साथ सीता और लक्ष्मण भी वनवास जाएंगे. ये सुनकर रानी कैकयी बहुत प्रसन्न होती हैं. श्रीराम, सीता और लक्ष्मण वन जाने के लिए महाराज की आज्ञा लेने आते हैं. राम, राजा दशरथ को बताते है कि उनके साथ सीता और लक्ष्मण भी जाएंगे. ये सुनकर राजा दशरथ बेहद दुखी होते हैं और राम के साथ खुद भी वन में जाने के लिए कहते है लेकिन श्रीराम उन्हें मना कर देते हैं.
न चाहते हुए भी राजा दशरथ को श्रीराम को वन जाने की आज्ञा देती पड़ती है. रानी कैकयी श्रीराम, सीता और लक्ष्मण को वन में जाने के लिए साधु वेश भूषा धारण करने को कहती हैं. साथ ही उन्हें मुनिवस्त्र भी प्रदान करती हैं. आगे के भाग में दिखाया जाएगा कि कैसे मुनिभेष धारण करके राम, लक्ष्मण और सीता वनवास के लिए अयोध्या से निकलते हैं.
इनपुट- पूजा त्रिवेदी
aajtak.in