'मुजफ्फरनगर..' फिल्म के निर्देशक बोले- 'किसानों की तरह डायरेक्टर भी आत्महत्या करने लगेंगे'

मुजफ्फरनगर दंगों पर फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर हरीश कुमार ने फिल्म के रिलीज का विरोध किए जाने को लेकर कहा, 'किसानों की तरह फिल्म डायरेक्टर भी आत्महत्या करने लगेंगे'.

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फिल्म 'मुजफ्फरनगर : द बर्निग लव' का पोस्टर फिल्म 'मुजफ्फरनगर : द बर्निग लव' का पोस्टर

पूजा बजाज

  • दिल्ली,
  • 12 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

बॉलीवुड इंडस्ट्री का काम पर्दे पर कम अब सियासी खबरों में ज्यादा दिखने लगा है. देश में एक के बाद एक फिल्मों के रिलीज को लेकर खूब राजनीति हो रही है. बॉलीवुड की कर्मिशि‍यल फिल्मों से लेकर सा‍माजिक मुद्दों पर बेस्ड फिल्मों के खि‍लाफ भी विरोधि‍यों ने मोर्चा खोल दिया है. पहले दीपिका पादुकोण स्टारर फिल्म पद्मावती और अब मुजफ्फरनगर दंगों पर बेस्ड फिल्म 'मुजफ्फरनगर : द बर्निग लव' के विरोध में कुछ लोग उतर आए हैं. जानें क्या है पूरा मामला:

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दरअसल डायरेक्टर हरीश कुमार ने साल 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों पर फिल्म 'मुजफ्फरनगर : द बर्निग लव' बनाई है. ये फिल्म इस साल 17 नवंबर को रिलीज होनी है. रिलीज से पहले ही उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कुछ असामाजिक तत्व इसका विरोध करने पर उतर आए हैं. निर्देश हरीश कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा है कि सांप्रदायिक दंगों के बुरे प्रभाव को उन्होंने फिल्म में दिखाने की हिम्मत की है. निर्देशक ने सवाल खड़ा किया है कि जब सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को देखने के बाद पास कर दिया है तो फिर इसका विरोध क्यों किया जा रहा है?

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डायरेक्टर ने कहा  कि यह फिल्मकार ही हैं जिनमें सांप्रदायिक दंगों के बुरे प्रभाव को दिखाने की हिम्मत होती है..यह कला है और इसे इसी नजर से देखा जाना चाहिए. सेंसर बोर्ड ने फिल्म देखी है और अगर कुछ गलत होता तो वे इसे रोक देते. यह कौन लोग हैं जो फिल्म की रिलीज रोकना चाह रहे हैं? फिर सेंसर बोर्ड के होने का अर्थ ही क्या रह जाता है?

आत्महत्या करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है

फिल्म के विरोध से आहत हरीश कुमार ने संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' का हवाला देते हुए कहा कि फिल्मकारों को आसानी से निशाने पर लिया जा सकता है और हमेशा से लिए जाते रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही होता रहा तो देश में फिल्म मेकर्स के लिए भी वही हालात हो जाएंगे जो कि आत्महत्या करने वाले किसान के होते हैं. हरीश बोले, 'एक किसान बिना बारिश और सरकारी सहायता के आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाता है. बिल्कुल ऐसा ही फिल्म इंडस्ट्री में फिल्मकारों के साथ हो रहा है.'

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मुजफ्फरनगर में फिल्म की रिलीज को लकेर आ रही दिक्कतों के बारे में उन्होंने कहा कि ऐसी अटकलें हैं कि कुछ लोग फिल्म को बैन कराने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने बताया, इससे पहले फिल्म के पोस्टर और स्टैंडी भेजे गए थे, लेकिन थिएटर मालिक हिचकिचा रहे हैं. हालांकि, किसी ने खुलेआम इन बातों को स्वीकार नहीं किया है, लेकिन मुझे बताया गया है कि उन्हें मेरी फिल्म नहीं दिखाने के लिए मजबूर किया जा रहा है.'

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