लेखक मनोज मैरता का आरोप- राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने मुझे धोखा दिया

लेखक मनोज मैरता का कहना है कि फिल्म 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर' की कहानी उन्होंने लिखी है, लेकिन वह राकेश ओमप्रकाश मेहरा के हाथों खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं.

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राकेश ओमप्रकाश मेहरा राकेश ओमप्रकाश मेहरा

महेन्द्र गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 29 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 11:12 PM IST

फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा पर एक लेखक ने धोखाधड़ी का आरोप लगाया है. लेखक मनोज मैरता का कहना है कि फिल्म 'मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर' की कहानी उन्होंने लिखी है, लेकिन वह राकेश ओमप्रकाश मेहरा के हाथों खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है- ''कहानी मेरी होने के बावजूद मुझे मेरे हिस्से के क्रेडिट से वंचित रखा गया.''

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मनोज ने आईएएनएस से कहा, "मैंने इस फिल्म की कहानी 2012 में लिखी थी.  कहानी के सिलसिले में 2014 में उनसे मुलाकात हुई और 21 अप्रैल 2015 को राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने मुझे फिल्म के राइटर के तौर पर साइन किया. वह उस वक्त फिल्म 'मिर्जिया' की शूटिंग कर रहे थे, इसलिए मेरी कहानी अटकी रही. मोदी के प्रधानमंत्री बनने और उनके स्वच्छता अभियान एवं शौचालयों को लेकर कैंपेन की वजह से हमें कहानी में थोड़े बदलाव करने पड़े."

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मनोज ने कहा, "राकेश ने 21 दिसंबर 2017 को फिल्म के निर्माण की घोषणा की. इस बीच उन्होंने (राकेश) खुद से कहानी में कुछ बदलाव किए, मसलन दिल्ली की झुग्गियों के बजाय मुंबई की झुग्गियों को रखा गया. इस पर जब मैंने उनसे पूछा तो उनका जवाब था कि दिल्ली शूटिंग फ्रेंडली नहीं है. मुंबई की झुग्गियां पर्दे पर अच्छा दिखती हैं."

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वह कहते हैं, "मुझे थोड़ा शक हुआ, लेकिन उन्होंने पूरा भरोसा दिलाया कि स्क्रिप्ट वही है. उन्होंने मुझे शूटिंग शुरू होने से ठीक एक दिन पहले स्क्रिप्ट दिखाई, जिसके कवर पर लिखा था, 'रिटर्न बाइ राकेश ओमप्रकाश मेहरा' मेरे एतराज पर उन्होंने कहा कि यह कहानी आपकी ही है, ये तो बस शूटिंग ड्राफ्ट है जो मैं हर फिल्म की शूटिंग के लिए बनाता हूं. मैं अगले दिन शूटिंग पर गया तो वहां कोई जानता ही नहीं था कि फिल्म का राइटर मैं हूं.  सब कहते थे कि राकेश जी ने फिल्म की कहानी लिखी है."

मनोज कहते हैं, "राइटर्स की कहानियां चोरी होने के किस्से सुने और देखे थे लेकिन कभी नहीं सोचा था कि एक दिन हम भी इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार होंगे. एक ऐसा निर्देशक जिसने 'रंग दे बसंती' जैसी देशभक्ति से ओत-प्रोत फिल्म बनाई, जिसने फिल्म में भ्रष्टाचार और बुराई से लड़ने की बड़ी-बड़ी बातें की थी, वह इस पर थोड़ा खुद तो अमल करते. "

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