जहां सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद आउटसाइडर्स और इनसाइडर्स की बहस तेज हुई है वही कई लोग ऐसे भी हैं जो सवाल कर रहे हैं कि अगर किसी आउटसाइडर का इंडस्ट्री में कनेक्शन्स के सहारे ही मौके मिलते हैं तो नवाजुद्दीन सिद्दीकी, मनोज वाजपेयी और इरफान खान जैसे आउटसाइडर्स इतने लोकप्रिय स्टार्स कैसे बन चुके हैं. ? हाल ही में मनोज वाजपेयी ने इस सवाल का जवाब दिया है.
मनोज वाजपेयी ने इस बारे में बात करते हुए कहा- हर किसी को पता है कि इस सवाल के मायने क्या हैं. मनोज वाजपेयी और जितने भी कलाकारों के नाम लिए जा रहे हैं, इन सबकी यात्रा विलक्षण रही है. हमें खुद विश्वास नहीं होता कि हमने कैसा समय बिताया है. ये यात्रा कहीं से भी आसान नहीं कही जा सकती है और जितनी भी फिल्मों का हम हिस्सा रहे हैं, उन्हें बनाने के लिए हमें कड़ा संघर्ष करना पड़ा है. ये आप कभी मत भूलना.
गैंग्स ऑफ वासेपुर से मिली मनोज और नवाज को शोहरत
गौरतलब है कि मनोज वाजपेयी साल 1996 में आई फिल्म बैंडिट क्वीन में छोटे से रोल में नजर आए थे. इसके बाद उन्होंने कुछ साल संघर्ष के बाद साल 1999 में सत्या फिल्म हासिल की थी. इस फिल्म में भीखू म्हात्रे के रोल के बाद मनोज काफी लोकप्रिय हो गए थे. हालांकि इसके बाद भी उन्हें फिल्में हासिल करने में संघर्ष करना पड़ता रहा.
लगभग एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद साल 2012 में आई फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर से मनोज वाजपेयी को जबरदस्त सफलता हासिल हुई थी. मनोज अब ऑफबीट फिल्मों के साथ ही साथ कई कमर्शियल फिल्मों का भी हिस्सा रह चुके हैं लेकिन इसके बावजूद अब भी उनकी कई फिल्मों को थियेटर्स मिलने में काफी मशक्कत का सामना करना पड़ता है. कुछ समय पहले रिलीज हुई उनकी फिल्म गली गुलियां और पिछले कुछ सालों में रिलीज हुई उनकी ऑफबीट फिल्में भले ही क्रिटिक्स को पसंद आई हों लेकिन इन फिल्मों को बॉक्स ऑफिस पर संघर्ष करना पड़ा है.
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