जब करण को गिराने के बाद छात्र ने पूछा- तू वाकई सनी देओल का ही बेटा है?

पिता सनी देओल और दादा धर्मेंन्द्र. जाहिर है करण देओल सुपरस्टार फैमिली में पैदा होने के चलते बचपन से ही चर्चा में रहे होंगे लेकिन रईस और मशहूर परिवार में पैदा होने के सिर्फ फायदे ही नहीं नुकसान भी हैं.

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करण देओल और सनी देओल करण देओल और सनी देओल

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 अगस्त 2019,
  • अपडेटेड 7:24 PM IST

सनी देओल के बेटे करण देओल फिल्म पल पल दिल के पास फिल्म से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत करने जा रहे हैं. जाहिर है, पिता के तौर पर सनी देओल और दादा के तौर पर धर्मेंद्र की वजह से वे काफी प्रोटेक्टिव माहौल में पले-बढ़े हैं. करण देओल अपनी प्रीविलेज्स को स्वीकारते भी हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने सुपरस्टार फैमिली में पैदा होने के नेगेटिव इफेक्ट्स के बारे में बात की है.

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फेसबुक पेज हयूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक इंटरव्यू में करण ने बताया, "स्कूल की मेरी पहली याद पहली क्लास से है. हमारा एक स्पोर्ट्स कंपटीशन हुआ करता था और मैं एक रेस में भाग ले रहा था. मैं वहां खड़ा था और कुछ बड़ी क्लास के बच्चों ने मुझे घेर लिया."

करण ने बताया, "एक ने मुझे उठाया और सबके सामने नीचे पटक दिया. फिर मुझसे पूछा तू वाकई सनी देओल का बेटा है? क्योंकि तू तो फाइट भी नहीं कर पा रहा. मुझे उस समय काफी शर्मिंदगी हुई थी."

करण ने कहा, "लेकिन इसके बाद भी मेरे लिए चीजें खास बेहतर नहीं हुई. या तो बच्चे मुझे जज करते या मेरा मजाक उड़ाते और यहां तक की टीचर्स भी ऐसा ही कर रहे थे. एक बार जब मैंने अपना असाइनमेंट ठीक से नहीं बनाया तो एक टीचर ने आकर मुझसे कहा था कि तुम सिर्फ अपने पिता के चेक सही लिख सकते हो और कुछ नहीं."

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करण ने कहा, इन सबके बीच मेरी मां ने मेरा बहुत समर्थन किया. वो मुझे कहती थीं कि वे ऐसा इसलिए बोल रहे हैं क्योंकि वे इंसान के तौर पर ऐसे ही हैं. लेकिन इनसे तुम्हारे कैरेक्टर पर कोई सवाल नहीं उठा सकता है. मां की बात सुनकर मुझे हिम्मत मिलती. मुझे एहसास हुआ कि कोई और नहीं बल्कि मुझे खुद अपने आपको साबित करना होगा.

करण ने कहा, "मुझे लगता है कि मेरे लिए टर्निंग प्वाइंट आया जब मेरे स्कूल में एक टैलेंट प्रतियोगिता हुई और मैंने उसमें भाग लेने का फैसला किया. इस शो के लिए मैंने काफी दिन अपने रैप पर मेहनत की. क्योंकि मैं उस समय तक केवल रैप में ही अच्छा था. मुझे याद है, मैं स्टेज पर पहुंचा था और लोगों का हुजूम वहां मौजूद था, लेकिन मैंने गहरी सांस ली और अपनी परफॉर्मेंस शुरू की और थोड़ी ही देर बाद ऑडियंस भी मुझे सपोर्ट कर रही थी."

"उस क्षण ने मेरी जिंदगी बदल दी थी. मुझे एहसास हुआ कि आपकी जिंदगी लोगों या परिस्थितियों के चलते नहीं, बल्कि अपने आप में विश्वास रखने के चलते चीजें बेहतर होती हैं. आप एक ढांचे में फिट होने के लिए नहीं बने हैं बल्कि अपनी खुद की आइडेंटिटी की तलाश करने के लिए बने हैं."

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