ये हैं अनुराग की फिल्मों के 7 दमदार संवाद, लगा 'हिंसा' का आरोप

अनुराग कश्यप का आज जन्मदिन है. इस मौके पर याद करते हैं उनकी फिल्मों के कुछ खास डायलॉग्स को.

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अनुराग कश्यप अनुराग कश्यप

हिमानी दीवान

  • नई दिल्ली,
  • 10 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

अनुराग कश्यप 10 सितंबर को 44 साल के हो गए हैं. बॉलीवुड में उन्हें एक अलग हटकर फिल्मकार के तौर पर जाना जाता है. गोरखपुर में जन्मे अनुराग ने जो फिल्में बनाईं, उनसे हिंदी सिनेमा की एक अलग ही दुनिया सामने आई. दर्शकों का एक तबका उनकी इन फिल्मों का ऐसा दीवाना हुआ कि फिर अनुराग की हर आने वाली फिल्म का इंतजार होने लगा. इसके पीछे वजह शायद यही है कि अनुराग सिनेमा को सिर्फ एक कला नहीं, अपना धर्म मानते हैं.

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आप खुद ही याद करके देखिए ब्लैक फ्राइडे (2007), देव डी (2009), गुलाल (2009), गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012), बॉम्बे टॉकीज (2013), अग्ली (2014), बॉम्बे वेलवेट (2015), रमन राघव 2.0 (2016) जैसी फिल्मों को.

मगर अनुराग की फिल्मों की सबसे खास बात थी उनके डायलॉग्स. अनुराग की फिल्मों ने उस मिथ को तोड़ा, जिसमें माना जाता रहा है कि सिर्फ हीरो के एक्शन करने पर ही हॉल में तालियां और सीटियां बनती हैं. अनुराग ने ऐसी फिल्में बनाईं, जिनके डायलॉग्स पर ही थियेटर तालियों से गूंज उठता है, लोग सीट से खड़े हो जाते हैं.

उनके जन्मदिन पर उनकी फिल्मों के ऐसे ही डायलॉग्स को फिर याद करते हैं-

 

बेटा तुमसे ना हो पाएगा

-गैंग्स ऑफ वासेपुर-2

तिग्मांशु धूलिया जिस तरह ये डायलॉग बोलते हैं, उसे कॉपी करना तो जरा मुश्किल सा है. लेकिन फिर भी लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन गया है ये डायलॉग. वैसे इस फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था. कहा गया था कि इस फिल्म में हिंसा के दृश्यों को काफी बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है, लेकिन फिर भी फिल्म को खूब  सराहा गया. इसके डायलॉग्स तो सुपर-डुपर हिट हुए. 

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दिल्ली में बिल्ली मार लो, खा लो, लेकिन पालो नहीं

-देव डी

देव डी के इस डायलॉग को अभय देओल ने जब बोला, तो फिर दिल्ली के हर युवा की जुबां पर चढ़ गया ये डायलॉग.

 

बाप का, भाई का, सबका बदला लेगा, तेरा फैजल

-गैंग्स ऑफ वासेपुर-2

इस डायलॉग को नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने कुछ इस तरह बोला कि फैजल का नाम घर-घर में पॉपुलर हो गया.

 

मना थोड़ी है, लेकिन परमिशन तो लेनी चाहिए ना

-गैंग्स ऑफ वासेपुर-1

हुमा कुरैशी का बोला गया ये डायलॉग तो जैसे लड़कियों का फेवरेट ही बन गया है.

 

एक साल काफी होता है मैनेजर से पपलू बनने के लिए.

ब्लैक फ्राइडे

अगर भूल गए हैं, तो आपको एक बार फिर के.के मैनन का वो अंदाज देखना चाहिए, जब उन्होंने ब्लैक फ्राइडे में ये संवाद बोला था.

करना है, तो करना है.

-सत्या

मनोज वाजपेयी की एक्टिंग का तो वैसे ही कोई सानी नहीं है. लेकिन इस सिंपल से डायलॉग में जैसे उन्होंने जान डाली, वो जरूर काबिले-गौर है.

 

नरक में हूं, पर स्वर्ग का रास्ता जानती हूं

-तलाश

आमिर खान की फिल्म तलाश के डायलॉग्स भी अनुराग कश्यप ने लिखे थे. ये डायलॉग करीना कपूर ने बोला था और बखूबी बोला था.

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