Review: 'नानू की जानू' डराती है, न हंसाती है

डायरेक्टर फराज हैदर ने 'वार छोड़ ना यार' फिल्म 2013 में बनाई थी, जिसे मिली जुली प्रतिक्र‍िया मिली थी . इस बार फराज ने हॉरर कॉमेडी के माध्यम से हंसाने और डराने की कोशिश की है. फिल्म में कई सालों के बाद अभय देओल दिखाई देने वाले हैं वहीं दूसरी तरफ अभिनेत्री पत्रलेखा भी नजर आने वाली है. जानें कैसी है फिल्म.

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नानू की जानू नानू की जानू

महेन्द्र गुप्ता

  • नई दिल्ली,
  • 20 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 11:23 AM IST

फिल्म का नाम : नानू की जानू

डायरेक्टर: फराज़ हैदर

स्टार कास्ट: अभय देओल ,पत्रलेखा राजेश शर्मा ,मनु ऋषि चड्ढा

अवधि:2 घंटा 13 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

रेटिंग: 2 स्टार

डायरेक्टर फराज हैदर ने 'वार छोड़ ना यार' फिल्म 2013 में बनाई थी, जिसे मिली जुली प्रतिक्र‍िया मिली थी . इस बार फराज ने हॉरर कॉमेडी के माध्यम से हंसाने और डराने की कोशिश की है. फिल्म में कई सालों के बाद अभय देओल दिखाई देने वाले हैं वहीं दूसरी तरफ अभिनेत्री पत्रलेखा भी नजर आने वाली है. जानें कैसी है फिल्म.

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कहानी

फिल्म की कहानी दिल्ली के रहने वाले नानू ( अभय देओल) की है, जिसका काम लोगों का मकान गलत तरीके से हथियाने का है. इस काम में नानू की मदद उसके बाकी दोस्त भी करते हैं. नानू की जिंदगी में बदलाव उस दिन से शुरू हो जाता है जब उसकी जानू उर्फ सिद्धि( पत्रलेखा) की एंट्री होती है. नानू जिस फ्लैट में रहता है उसमें तरह-तरह की गतिविधियां भी शुरू हो जाती है जिसे देखकर वह डर जाता है, एक समय पर किसी को भी डरा-धमकाकर फ्लैट हथियाने का काम करने वाला नानू ,अब भूत से डरने लगता है. कहानी में नानू की माता और जानू के पिता की भी मौजूदगी होती है जिसके साथ ही बहुत सारे मोड़ भी आते हैं, अंततः क्या होता है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

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कमजोर कड़ी

फिल्म का वन लाइनर तो काफी अच्छा था. ट्रेलर देखकर के लग रहा था कि कहानी काफी दिलचस्प होने वाली है लेकिन फिल्म देखने के दौरान खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसी वाली फीलिंग आने लगी. फिल्म की कहानी काफी कमजोर है और जिस तरह से सिलसिलेवार घटनाएं घटती हैं वह भी निराशाजनक ही है. वैसे तो फिल्म का मूड हॉरर कॉमेडी का है लेकिन बहुत कम पल ऐसे आते हैं जहां पर आप को डर लगता है या आप ठहाके मार कर हंस पाते हैं. और फिल्म का क्लाइमेक्स भी बहुत कमजोर है जिसे दुरुस्त किया जाता तो यह काफी क्रिस्प फिल्म कहलाती. फिल्म देखते वक्त ऐसा लग रहा था जैसे अभय देओल अभिनय और हावभाव के लिए बहुत ज्यादा प्रयास कर रहे हैं, फ्री फ्लो एक्टिंग नजर नहीं आ रही थी. फिल्म का स्क्रीनप्ले भी काफी कमजोर है.

आखिर क्यों देखें?

अभिनेत्री पत्रलेखा के काफी कम सीन है लेकिन उन्होंने सहज अभिनय किया है, वहीं मनु ऋषि चड्ढा की लाइनें आपके चेहरे पर मुस्कान लाती है, फिल्म के दौरान कई बार कुछ ऐसे पल सामने आते हैं जब आपको हल्की-फुल्की हंसी भी आती है.

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बॉक्स ऑफिस

फिल्म का बजट लगभग 10 करोड़ बताया जा रहा है और सब कुछ पहले 3 दिन की कमाई पर निर्भर होने वाला है साथ ही यह फिल्म टेलीविजन पर ज्यादा देखी जा सकती है.

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