फिल्मों में अपने अद्वितीय योगदान देने वाले महान अभिनेता दिलीप कुमार ने बुधवार 7 जुलाई को अपनी अंतिम सांसें ली. उनके निधन से हिंदी सिनेमा ने एक अनमोल सितारा खो दिया है. दिलीप कुमार फिल्मी हस्तियों के साथ जितने मिलनसार थे, उतने ही बेहतर रिश्ते उन्होंने सियासत के रखूखदारों से रखी है. लेकिन साठ के दशक के आरंभिक वर्षों में दिलीप कुमार को राजनीति में मोहभंग का सामना भी करना पड़ा, जब एक जासूसी प्रकरण के सिलसिले में उनके घर और दफ्तर पर दबिश दी गई.
यूसुफ़ ख़ान के तौर पर पेशावर के फल-कारोबारी गुलाम सरवर खान के यहां 11 दिसंबर 1922 को जन्मे दिलीप कुमार यूं ही नहीं लीजेंड बने. सिनेमा में उनके योगदान के अलावा भारत और पाकिस्तान के बीच तल्खी को कम करने में अपनी भूमिका निभाई है. लेकिन इस पाक मकसद के बावजूद दिलीप कुमार पर पाकिस्तानी जासूस होने का इल्जाम लगा था. आइए जानें दिलीप कुमार की जिंदगी के इस स्याह किस्से को.
दिलीप कुमार को मिली थी गिरफ्तारी की धमकी
दिलीप कुमार की कंपनी सिटीजन फिल्म्स के प्रोडक्शन विभाग के एक कर्मचारी का संबंध पड़ोसी देश से पाया गया था. वह पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) का था और इस महानायक ने उसे निरापद आदमी समझकर रख लिया था. छापेमारी में सरकार को दिलीप कुमार के घर कोई भी संदेहास्पद चीज नहीं मिली जिससे कि उन्हें आरोपित किया जा सके.
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सरकार ने तो अपनी कार्रवाई कर ली लेकिन इस घटना से दिलीप साहब बेहद आहत हुए. उन्हें यकीन हो गया कि मुसलमान होने कि मुसलमान होने के कारण उन पर जासूस होने का शक किया गया. इस मामले में नेहरूजी के जीवनकाल में ही सरकार ने संसद में बयान देकर स्पष्ट किया था कि 'अंतराष्ट्रीय गतिविधियों' से दिलीप कुमार का कोई संबंध नहीं है.
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