Film Review: कमजोर कहानी ने बिगाड़ दिया 'कॉफी विद डी' का टेस्ट

फिल्म में जाकिर हुसैन, सुनील ग्रोवर, पंकज त्रिपाठी और राजेश शर्मा जैसे हरफनमौला एक्टर्स होने के बावजूद भी आप इससे कनेक्ट नहीं कर पाते हैं और निराशा ही हाथ लगती है.

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'कॉफी विद डी' 'कॉफी विद डी'

आर जे आलोक

  • मुंबई,
  • 19 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 7:59 AM IST

फिल्म का नाम : कॉफी विद डी

डायरेक्टर: विशाल मिश्रा

स्टार कास्ट: सुनील ग्रोवर, अंजना सुखानी , पंकज त्रिपाठी, जाकिर हुसैन , दीपानिता शर्मा , राजेश शर्मा

अवधि: 2 घंटा 03 मिनट

सर्टिफिकेट: U/A

कई दिनों से फिल्म 'कॉफी विद डी' को अंडरवर्ल्ड से आ रही धमकी के बारे में खबरें आ रही थी, विशाल शर्मा के डायरेक्शन में टीवी की दुनिया के बहुचर्चित चेहरे सुनील ग्रोवर, जिन्हें आप गुत्थी या डॉक्टर मशहूर गुलाटी के नाम से जानते हैं, वो इस फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं.

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वैसे तो सुनील ने इसके पहले भी कई हिंदी फिल्मों जैसे 'गब्बर इज बैक', 'प्यार तो होना ही था', 'गजिनी', 'हीरोपंती' इत्यादि में काम किया है. वहीं डायरेक्टर विशाल मिश्रा ने इससे पहले 3 शार्ट फिल्म्स डायरेक्ट की थी और अभी कॉफी विद डी के बाद 2 और फिल्में रिलीज होने के लिये तैयार हैं. आइये फिलहाल फिल्म 'कॉफी विद डी' की समीक्षा करते हैं.

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कहानी:
यह मुम्बई में बेस्ड न्यूज एंकर अर्नब घोष (सुनील ग्रोवर) की कहानी है जो एक न्यूज चैनेल में प्राइम टाइम शो को होस्ट करता है लेकिन शो की टीआरपी गिरते रहने की वजह से उसके बॉस रॉय (राजेश शर्मा) ने उसे 2 महीने का वक्त दिया है की कुछ भी करके अर्नब शो की टीआरपी को ऊपर उठाये नहीं तो उसे नॉन प्राइम टाइम शो पर शिफ्ट कर दिया जाएगा.

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इस चिंता में जब अर्नब की वाइफ (अंजना सुखानी) उसे अंडरवर्ल्ड डॉन 'डी' (जाकिर हुसैन) के इंटरव्यू का आईडिया देती है जिसे अर्नब अपने बॉस को बताता है और वो हां कह देता है. अब कहानी में कई ट्विस्ट और टर्न्स आते हैं और आखिरकार अर्नब अपनी टीम के साथ डॉन का इंटरव्यू करने पहुंच जाता है. आगे क्या होता है इसका पता आपको फिल्म देखकर ही चलेगा.

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कमजोर कड़ियां:
फिल्म की सोच तो अच्छी है की एक न्यूज एंकर टीआरपी की खातिर अंडरवर्ल्ड डॉन का इंटरव्यू लेने चला जाता है लेकिन इस पूरे स्क्रीनप्ले को सटीक लिख पाने में राइटर नाकाम रहे हैं, जिसकी वजह से फिल्मांकन में वो बात सामने निकलकर नहीं आ पाती है.

फिल्म देखते वक्त कई सारे शब्दों पर सेंसर की कैंची भी चली है और कुछ जगहों की डबिंग भी सही तरीके से नहीं हो पायी है जिसकी वजह से कहानी काफी अधूरी और अजीब सी लगती है.

फिल्म में कहीं ना कहीं बजट की कमी थी जिसकी वजह से प्रोडक्शन वैल्यू काफी हल्की और कमजोर दिखाई पड़ती है.फिल्म का संगीत ठीक ठाक है लेकिन उनके फिल्मांकन के दौरान उन गानों से आप कनेक्ट नहीं कर पाते हैं.

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फिल्म की कहानी बहुत ही कमजोर है जिस पर बहुत सारा काम किया जाना चाहिए था. फिल्म की कास्टिंग में जाकिर हुसैन, सुनील ग्रोवर, पंकज त्रिपाठी और राजेश शर्मा जैसे हरफनमौला एक्टर्स होने के बावजूद भी आप इससे कनेक्ट नहीं कर पाते हैं और निराशा ही हाथ लगती है.

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बॉक्स ऑफिस :
वैसे मार्केटिंग और प्रोमोशन का खर्च मिलाकर फिल्म का बजट लगभग साढ़े पांच करोड़ बताया जा रहा है और फिल्म के म्यूजिक और सैटेलाईट राइट्स पहले से ही बिक चुके हैं, लिहाजा फिल्म अपने प्रोडक्शन कॉस्ट की भरपाई तो कर लेगी, अब देखना ये दिलचस्प होगा की इस फिल्म को मुनाफा कितना होता है.

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