'लापता लेडीज' से हूबहू मिलते सीन, हैरान 'बुर्का सिटी' के डायरेक्टर बोले- कई डायलॉग्स एक जैसे...

फिल्म की समानताओं पर बात करते हुए फ्रांसीसी फिल्म के डायरेक्टर फैब्रिस ब्रैक ने कहा कि वो सीन जिसमें दयालु पति अपनी पत्नी को अलग-अलग दुकानों में खोजता है, विशेष रूप से खुलासा करने वाला है. वो दुकानदारों को अपनी घूंघट वाली पत्नी की तस्वीर दिखाता है, ठीक उसी तरह जैसे मेरी शॉर्ट फिल्म में दिखाया गया है कि फिर दुकानदार की पत्नी बुर्का पहनकर बाहर आती है.

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Burqa City director points out similarities between his film and Laapataa Ladies. Burqa City director points out similarities between his film and Laapataa Ladies.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 अप्रैल 2025,
  • अपडेटेड 3:34 PM IST

आमिर खान प्रोडक्शन्स की फिल्म 'लापता लेडीज' पर कहानी चोरी करने के आरोप लग रहे हैं. फिल्म को फ्रांस की फिल्म बुर्का सिटी से चोरी किया हुआ बताया जा रहा है. इस बारे में हाल ही में लापता लेडीज के राइटर बिप्लब गोस्वामी ने पोस्ट कर बताया था कि फिल्म की कहानी को वो सालों पहले लिख चुके थे. उन्होंने इसके सबूत तक दिखाए. अब इस पर फ्रांसीसी फिल्म के डायरेक्टर फैब्रिस ब्रैक ने रिएक्ट किया है, वो खुद इस मेल खाते सिनेमा को देख हैरान हो गए हैं. 

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हैरान बुर्का सिटी के डायरेक्टर

इंडियन फिल्म प्रोजेक्ट से बातचीत में फैब्रिस ने कहा कि- सबसे पहले, फिल्म देखने से पहले ही, मैं इस बात से हैरान था कि फिल्म की पिच मेरी शॉर्ट फिल्म से कितनी मिलती-जुलती थी. फिर मैंने फिल्म देखी, और मैं ये देखकर हैरान था कि, हालांकि कहानी को भारतीय संस्कृति के अनुसार ढाला गया था, लेकिन मेरी शॉर्ट फिल्म के कई पहलू साफतौर से मौजूद थे. ये किसी भी तरह से एक डिटेल्ड रिपोर्ट नहीं है- दयालु, प्यार करने वाला, भोला पति जो अपनी पत्नी को खो देता है, दूसरे पति के साथ जो हिंसक और नीच है. पुलिस ऑफिसर वाला सीन भी बहुत प्रभावशाली है- एक भ्रष्ट, हिंसक और डराने वाला पुलिसकर्मी जो दो साइडकिक्स से घिरा हुआ है. बेशक, घूंघट वाली महिला की तस्वीर वाला पल भी एक है.

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बताया कौन-से सीन हैं एक जैसे

फिल्म की समानताओं पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि वो सीन जिसमें दयालु पति अपनी पत्नी को अलग-अलग दुकानों में खोजता है, विशेष रूप से खुलासा करने वाला है. वो दुकानदारों को अपनी घूंघट वाली पत्नी की तस्वीर दिखाता है, ठीक उसी तरह जैसे मेरी शॉर्ट फिल्म में दिखाया गया है कि फिर दुकानदार की पत्नी बुर्का पहनकर बाहर आती है. फिल्म का एंड भी सेम है, जहां हमें पता चलता है कि महिला ने जानबूझकर अपने अब्यूजिव पति से भागने का फैसला किया. फ्रांसीसी फिल्म मेकर ने आगे कहा कि इतना ही नहीं फिल्म का मैसेज भी सेम है, जो मेरे लिए भी हैरानी वाली बात है.

लापता लेडीज राइटर ने दिखाए थे सबूत

मालूम हो कि, बिप्लब ने पोस्ट शेयर कर बताया था कि वो 2014 में ही इस कहानी को रजिस्टर करा चुके थे. उन्होंने लिखा कि इस कहानी को आगे बढ़ाते हुए मैंने टू ब्राइड्स नाम से इसे 2018 में ऑफिशियल करवाया था. पोस्ट में उन्होंने इसके ऑफिशियल पेपर्स भी शेयर किए हैं. 

बिप्लब ने लिखा- लापता लेडीज की स्क्रीनप्ले कई सालों में बड़े पैमाने पर काम कर रही थी. मैंने सबसे पहले 3 जुलाई, 2014 को स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन के साथ फिल्म का डिटेल सिनॉप्सिस रजिस्टर कराया, जिसमें पूरी स्टोरी वर्किंग टाइटल ‘टू ब्राइड्स’ के साथ आउटलाइनिंग की गई.'

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'इस रजिस्टर सिनॉप्सिस में भी एक सीन है जिसमें साफ तौर से बताया गया है कि दूल्हा गलत दुल्हन को घर लाता है और घूंघट के कारण अपनी गलती का एहसास होने पर अपने परिवार के बाकी सदस्यों के साथ हैरान हो जाता है. यहीं से कहानी शुरू होती है. मैंने उस सीन के बारे में भी स्पष्ट रूप से लिखा था जिसमें परेशान दूल्हा पुलिस स्टेशन जाता है और पुलिस अधिकारी को अपनी लापता दुल्हन की एकमात्र तस्वीर दिखाता है, लेकिन दुल्हन का चेहरा घूंघट से ढका हुआ था, जिसके कारण ये एक कॉमेडी मोमेंट बन गया.'

भारतीय परंपरा पर की रिसर्च

गोस्वामी ने अपने बयान में आगे लिखा, 'गलत पहचान की वजह से घूंघट और भेस बदलने का कॉन्सेप्ट कहानी कहने का एक क्लासिकल फॉर्म है, जिसका इस्तेमाल विलियम शेक्सपियर, एलेक्जेंडर डुमास और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे कई राइटर्स ने किया है. लापता लेडीज इस गलत पहचान के रूप का उपयोग पूरी तरह से ओरिजिनल और यूनिक केरेक्टर, सेटिंग, नैरेटिव जर्नी और सोशल इम्पेक्ट के साथ करती है. स्टोरी, डायलॉग्स, केरेक्टर्स और सीन सभी सालों के रिसर्च और ईमानदार प्रतिबिंब का परिणाम हैं.'

राइटर ने अपने बयान में आगे कहा है, मैं भारतीय और वैश्विक संदर्भों में लैंगिक भेदभाव और असमानता, ग्रामीण सत्ता की गतिशीलता और पुरुष वर्चस्व की बारीकियों को समझने में गहराई से लगा हुआ था. हमारी कहानी, पात्र और डायलॉग 100% ओरिजिनल हैं. प्लेगेरिज्म के आरोप पूरी तरह से गलत हैं. ये आरोप न केवल एक राइटर के रूप में मेरे प्रयासों को कमजोर करते हैं, बल्कि पूरी फिल्म निर्माण टीम के अथक प्रयासों को भी कमजोर करते हैं. थैंक्यू.'

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