चेलों ने कैसे बढ़ा दी है योगी आदित्यनाथ की मुश्किल!

सुनील सिंह योगी आदित्यनाथ का नाम बहुत आदर से लेते हैं. लेकिन असलियत यह है कि गोरखपुर समेत कई सीटों पर जहां योगी आदित्यनाथ हेलीकॉप्टर में घूमकर प्रचार कर रहे हैं तो सुनील सिंह बीजेपी के कई उम्मीदवारों को चुनाव में धूल चटाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं.

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सुनील सिंह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हिन्दू युवा वाहिनी सुनील सिंह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हिन्दू युवा वाहिनी

बालकृष्ण

  • लखनऊ,
  • 28 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 6:09 PM IST

पहली नजर में सुनील सिंह भारतीय जनता पार्टी के ही कोई नेता लगते हैं. गले में रुद्राक्ष की माला और भगवा गमछा. बातचीत करने में भी सुनील सिंह योगी आदित्यनाथ का नाम बहुत आदर से लेते हैं. लेकिन असलियत यह है कि गोरखपुर समेत कई सीटों पर जहां योगी आदित्यनाथ हेलीकॉप्टर में घूमकर प्रचार कर रहे हैं तो सुनील सिंह बीजेपी के कई उम्मीदवारों को चुनाव में धूल चटाने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं.

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परदे के पीछे हो रहा है बीजेपी को हराने का खेल!
सुनील सिंह राजनीति के मैदान में नए खिलाड़ी हैं लेकिन योगी आदित्यनाथ से उनका रिश्ता 25 साल पुराना है. कुछ समय पहले तक सुनील सिंह योगी आदित्यनाथ की संस्था हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष थे और योगी के सबसे विश्वास पात्र लोगों में से थे. उन्हें भरोसा था कि गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ उन्हें सेवा का इनाम देंगे और विधानसभा चुनाव में टिकट दिलवा देंगे. लेकिन जब टिकट नहीं मिल पाया तो सुनील सिंह योगी आदित्यनाथ के सम्मान की लड़ाई लड़ने के नाम पर बागी हो गए. अब गोरखपुर और आसपास की 14 सीटों पर हिंदू युवा वाहिनी ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं. यही नहीं बताया जा रहा है कि कई सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों को हराने के लिए सुनील सिंह के लोग परदे के पीछे काम कर रहे हैं.

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बीजेपी में लगातार आदित्यनाथ का अपमान हो रहा
बागी रुख के चलते योगी आदित्यनाथ ने सुनील सिंह को हिंदू युवा वाहिनी के अध्यक्ष पद से हटा दिया है लेकिन सुनील सिंह का दावा है कि आदित्यनाथ का आशीर्वाद उनके साथ है. उनका कहना है कि बीजेपी में लगातार आदित्यनाथ का अपमान हो रहा है. ना तो उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया गया और ना ही लोकप्रिय नेता होने के बावजूद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किया गया. सुनील सिंह कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ को चुनाव संचालन समिति में भी नहीं रखा गया और बीजेपी के पोस्टरों में उनकी तस्वीर भी गायब है.

योगी नहीं जाते प्रचार करने!
अगर योगी आदित्यनाथ का बीजेपी में इतना ही तिरस्कार हो रहा है तो वह बीजेपी के स्टार प्रचारक क्यों बने हुए हैं? इस सवाल के जवाब में सुनील सिंह कहते हैं कि बीजेपी के नेताओं ने आदित्यनाथ पर शायद काला जादू कर दिया है. योगी का आशीर्वाद उनके साथ है इस बात को साबित करने के लिए सुनील सिंह बताते हैं कि जिन जगहों पर उन्होंने उम्मीदवार खड़े किए हैं वहां पर योगी आदित्यनाथ खुद चुनाव प्रचार के लिए नहीं जा रहे हैं.

यह सीट जीतना नाक का सवाल
गुरु से बगावत कर के मैदान में उतरने वाले सुनील सिंह अकेले शिष्य नहीं हैं. गोरखनाथ मंदिर जिसके पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ हैं, उसके ठीक बगल में गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा शुरू होती है. जाहिर है गोरखनाथ स्थान के ठीक बगल में होने की वजह से यह सीट जितवाना योगी आदित्यनाथ के लिए नाक का सवाल है. इस सीट से मौजूदा विधायक विजय बहादुर यादव भी एक समय उनके करीबी चेलों में से एक थे. उनको टिकट दिलाने से लेकर चुनाव जितवाने में भी योगी आदित्यनाथ की महत्वपूर्ण भूमिका थी. लेकिन बाद में विजय बहादुर यादव का योगी आदित्यनाथ से मतभेद हो गया और अब वह इसी सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.

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"योगी हटा दो तो ताकत कुछ भी नहीं"
विजय बहादुर यादव अब भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सीधे-सीधे बोलने से बचते हैं. लेकिन कुछ कुरेदे जाने पर इतना तपाक से कह देते हैं कि आदित्यनाथ के नाम से योगी हटा दिया जाए तो उनकी ताकत कुछ भी नहीं है. उनके कहने का मतलब यह है कि योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीश्वर हैं इसीलिए लोग उनकी इज्जत करते हैं. क्या वह योगी के खिलाफ बगावत कर के चुनाव जीत सकते हैं? इस सवाल पर विजय बहादुर सिंह कहते हैं कि लोगों को ऐसा विधायक चाहिए जो हर दुख दर्द में उनके साथ मौजूद हो और जिसे जरूरत पड़ने पर वो बांह पकड़ कर रोक सकें. आदित्यनाथ और उनके लोगों में यह खासियत नहीं है .

हिंदू युवा वाहिनी एक सांस्कृतिक संस्था
सुनील सिंह जैसे नेताओं के बारे में पूछने पर आदित्यनाथ यह कहते हैं कि हिंदू युवा वाहिनी एक सांस्कृतिक संस्था है और उसके नाम पर कोई चुनाव नहीं लड़ सकता.

कई लोगों का मानना है कि आदित्यनाथ खुद इस बात से नाराज हैं कि बीजेपी में उन्हें वह महत्व नहीं मिल रहा है जिसके वह हकदार हैं. इसलिए सुनील सिंह जैसे नेताओं से उनकी सचमुच हमदर्दी हैं.

9 में 3 सीट बीजेपी के पास
गोरखपुर और उसके आसपास के इलाकों में योगी आदित्यनाथ की पहचान एक कद्दावर हिंदुवादी नेता के तौर पर है. लेकिन यह भी सच है कि वह खुद लोकसभा का चुनाव भले ही आराम से जीत जाते हो विधानसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवारों को उस तरह से नहीं जितवा पाते. पिछले विधानसभा चुनाव में भी गोरखपुर की 9 सीटों में से बीजेपी सिर्फ 3 सीट जीत पाई थी.

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बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण
बीजेपी उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने की कोशिश में कितनी कामयाब होती है, वह काफी कुछ इस बात पर निर्भर करता अपने इलाके में इस बार योगी आदित्यनाथ का सिक्का चलता है या नहीं.

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