उत्तर प्रदेश में आचार संहिता लगते ही अब सरकारी मशीनरी पूरी तरह से चुनाव आयोग (Election Commission) के प्रति जवाबदेह होगी. जिलों में अफसरों के कामकाज पर राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो जाएगा. सीधे शब्दों में कहें तो किसी भी फैसले को लेने के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय का हस्तक्षेप नहीं होगा. किसी भी अफसर के तबादले चुनाव आयोग के आदेश के बाद ही होंगे.
आदर्श आचार संहिता लगने के बाद कैसे सरकारी मशीनरी के कामकाज में असर पड़ेगा समझते हैं. उत्तर प्रदेश में आदर्श आचार संहिता लागू होते ही नौकरशाही पर राजनीतिक हस्तक्षेप बंद हो गया है. जिले में तैनात डीएम और एसपी बिना किसी माननीय के हस्तक्षेप या दबाव के अब काम करेंगे. डीएम और एसपी की सीधी जवाब देही केंद्रीय चुनाव आयोग को होगी.
सभी जिलों के डीएम, एसपी, कमिश्नर अब डीजीपी, मुख्य सचिव, एडीजी लॉ एंड ऑर्डर और अपर मुख्य सचिव गृह को रिपोर्ट भेजेंगे. वह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के जरिए केंद्रीय चुनाव आयोग को भेजी जाएगी. जिले में किसी भी अफसर के तबादले का फैसला भी केंद्रीय चुनाव आयोग की अनुमति के बाद ही लिया जाएगा. अगर किसी परिस्थिति में अफसर को हटाना पड़ेगा तो उसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग को तीन अफसरों का पैनल जाएगा और पैनल मंजूर होने के बाद ही नए अफसर की तैनाती की जाएगी, वह फिर चाहे जिले का डीएम हो व एसपी हो कमिश्नर हो आईजी या फिर एडीजी.
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा
आचार संहिता लगने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा और डीजीपी मुकुल गोयल की मुख्य जिम्मेदारी होगी. रिटायरमेंट से 1 दिन पहले केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटे दुर्गा शंकर मिश्रा उत्तर प्रदेश के नए मुख्य सचिव बने है. 1984 बैच के दुर्गा शंकर मिश्रा की गिनती तेजतर्रार अफसरों में होती है. मेट्रो मैन ई श्रीधरन के बाद दुर्गा शंकर मिश्रा को दूसरा मेट्रो मैन कहा जाता है. भारत सरकार में आवास व शहरी कार्य मंत्रालय में सचिव रहते हुए दुर्गा शंकर मिश्रा ने 5 मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को अंजाम दिया. चुनावों का ऐलान होने के बाद अब जिलों में आदर्श आचार संहिता का कड़ाई से पालन कराने की जिम्मेदारी दुर्गा शंकर मिश्रा की होगी. सभी जिलों के डीएम एसपी व कमिश्नर निष्पक्ष व शांतिपूर्ण मतदान कराने के लिए दुर्गा शंकर मिश्रा को ही रिपोर्ट करेंगे.
डीजीपी मुकुल गोयल
आदर्श आचार संहिता का पालन, चुनाव आयोग के निर्देशों का कड़ाई से पालन कराने की जिम्मेदारी पुलिस पर होगी. ऐसे में पुलिस चीफ डीजीपी मुकुल गोयल की अहमियत बढ़ गई है. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद मुकुल गोयल को जुलाई 2021 में ही यूपी पुलिस की कमान सौंपी गई. इससे पहले सपा सरकार में लंबे समय तक एडीजी लोन बॉर्डर के पद पर मुकुल गोयल तैनात रहे थे. 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल की गिनती उन अफसरों में होती है जो सहजता के साथ कानून का कड़ाई से पालन कराते हैं. चुनाव आयोग के द्वारा चुनावी रैलियों और कोविड-19 नियमों का पालन सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी डीएम और एसपी की होगी ऐसे में आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन कानूनी मुद्दा होगा लिहाजा जेल में तैनात अधिकारियों सीधी जवाबदेही डीजीपी के प्रति होगी हर जिले की हर हरकत पर डीजीपी को नजर रखनी होगी.
अवनीश अवस्थी
अवनीश अवस्थी अगस्त 2019 से उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के सर्वे सर्वा हैं. अपर मुख्य सचिव ग्रह अवनीश अवस्थी लगभग 3 सालों से उत्तर प्रदेश के गृह विभाग को संभाल रहे हैं किस जिले में सांप्रदायिक संवेदनशीलता है कहां पर धार्मिक संवेदनशीलता किस अधिकारी कि क्या खूबी है क्या नाकामी अवनीश अवस्थी बखूबी जानते हैं जिले में अफसरों की तैनाती में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी का महत्वपूर्ण रोल रहा है.
एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार
अवनीश अवस्थी के साथ यूपी पुलिस के सेकंड कमांडर एडीजी लॉ एंड आर्डर प्रशांत कुमार की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है. आनंद कुमार के डीजी पद पर प्रमोशन होने के बाद प्रशांत कुमार को मई 2020 में एडीजी मेरठ से एडीजी लॉ एंड ऑर्डर बनाया गया. मेरठ में एडीजी रहते हुए पश्चिम उत्तर प्रदेश के तमाम माफियाओं के खिलाफ एनकाउंटर की मुहिम छेड़ने वाले प्रशांत कुमार लगभग डेढ़ साल से उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को देख रहे हैं. अब आचार संहिता लगने के बाद जिले में चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन, शांतिपूर्ण मतदान कराने की जिम्मेदारी जिले में कप्तान की होगी तो प्रदेश में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर सीधे स्थिति पर नजर रखेंगे.
आचार संहिता लगने के बाद डीजीपी और मुख्य सचिव को हर जिले के हालात से रूबरू कराने की जिम्मेदारी और स्थिति को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी इन्हीं दोनों अधिकारियों पर होगी.
संतोष शर्मा