उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बदले हुए सियासी समीकरण में कई दिग्गज नेताओं का खेल बिगड़ गया है. ऐसे में टिकट के लिए पाला बदलने का दांव भी उनका काम नहीं आ सका है. यही वजह है कि अब वो निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरकर किस्मत आजम रहे हैं. पहले चरण में कई ऐसे दिग्गज नेता हैं, जिन्होंने एक दल से दूसरे दल का दामन थामने के बावजूद टिकट न मिलने पर अब वो निर्दलीय किस्मत आजमा रहे हैं.
गुड्डू पंडित शिवसेना के चरण में
बुलंदशहर के दिग्गज नेता और सपा से लेकर बसपा तक से विधायक रहे श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित का सपा में एंट्री करने का दांव भी काम नहीं आ सका. गुड्डु पंडित डिबाई सीट से दो बार विधायक रहे चुके हैं. गुड्डू के भाई मुकेश शर्मा सपा सरकार में शिकारपुर सीट से विधायक थे, लेकिन बाद में बीजेपी का दामन थाम लिया था. ऐसे में गुड्डू पंडित ने हाल ही में सपा में एंट्री की थी और टिकट पाने के जुगत में थे, लेकिन सपा ने उनकी जगह डिबाई सीट से हरीश लोधी को प्रत्याशी बना दिया और दूसरी पार्टियों ने भी अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए. ऐसे में सारी प्रमुख पार्टियों से दरवाजे बंद होने के बाद गुड्डू पंडित ने शिवसेना के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर गए हैं.
गजेंद्र सिंह ने तीन दल बदले
बुलंदशहर के अनूपशहर सीट से विधायक रहे गजेंद्र सिंह ने टिकट के लिए कई दलों में पाला बदलने के बाद कही जाकर चुनावी मैदान में किस्मत आजमने उतरे हैं. बसपा से विधायक बने गजेंद्र सिंह ने पार्टी छोड़कर टिकट के लिए आरएलडी ज्वाइन किया, लेकिन अनूपशहर सीट गठबंधन में एनसीपी के खाते में चली गई. सपा ने एनएसीपी के नेता केके शर्मा को टिकट दे दिया, जिसके बाद गजेंद्र सिंह ने एक महीने में ही आरएलडी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस ने उन्हें अनुपशहर सीट से प्रत्याशी बना दिया, जिसके बाद यह सीट से चुनावी तैयारी कर रहे बुलंदशहर के कांग्रेस जिला अध्यक्ष शिवपाल सिंह ने पार्टी छोड़ दी.
अमित जानी निर्दलीय मैदान में उतरे
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव का सपा से गठबंधन का सबसे बड़ा झटका मेरठ के अमित जानी को लगा है. शिवपाल के करीबी अमित जानी मेरठ के सिवालखास सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी काफी लंबे समय से कर रहे थे. शिवपाल यादव का कार्यक्रम भी कराया था, लेकिन सिवालखास सीट आरएलडी के खाते में चली गई. गठबंधन ने यहां से पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद को प्रत्याशी बना दिया. ऐसे में अमित जानी ने शिवपाल की पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया.
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अमित जानी को कांग्रेस में शामिल कराया था. इसके बाद भी कांग्रेस ने अमित जानी को टिकट नहीं दिया और सिवालखास से जगदीश शर्मा को प्रत्याशी बना दिया. अमित जानी को शामिल कराने को लेकर कांग्रेस में विरोध शुरू हो गए थे, क्योंकि मायावती की मूर्ति तोड़ने का आरोप उन पर है. ऐसे मेंअमित जानी के लिए सभी राजनीतिक दलों के दरवाजे बंद होने के बाद वो सिवालखास सीट पर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हैं.
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