उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव 5 अगस्त को लखनऊ में साइकिल यात्रा निकालेंगे. अखिलेश यादव इस साइकिल यात्रा की अगुवाई करेंगे. सपा की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, 'बेलगाम महंगाई, किसानों पर काले कृषि कानूनों की मार, बेरोजगारी से बेहाल नौजवान, आरक्षण पर "संघी प्रहार", चरम पर अपराध और भ्रष्टाचार, आजम खां को जेल भेजे जाने के मुद्दों पर भाजपा की "डबल इंजन" सरकार के खिलाफ 5 अगस्त को सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लखनऊ में साइकिल यात्रा निकालेंगे.'
उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. योगी आदित्यनाथ को सियासी मात देने के लिए सपा से लेकर बसपा और कांग्रेस रणभूमि में उतर चुके हैं. तीनों ही दल की नजर एक दूसरे के कोर वोटबैंक पर है. कांग्रेस और बसपा की सक्रियता से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की सियासी चिंता बढ़ गई है, क्योंकि दोनों ही दलों के निशाने पर इन दिनों समाजवादी पार्टी है.
पिछले कुछ दिनों से बसपा प्रमुख मायावती और कांग्रेस नेताओं द्वारा उनकी पार्टी पर निशाने पर लिया जा रहा है. मायावती लगातार सपा सरकार के कार्यकाल पर सवाल खडे़ कर रही हैं. मायावती लगातार ट्वीट के जरिए सपा पर निशाना साध रही हैं. उन्होंने हाल में जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सरकारी तंत्र का इस्तेमाल करने के लिए बीजेपी पर हमला करते हुए कहा था कि ये 'चाल' पिछली सपा सरकार के तरीकों के समान है. इतना ही नहीं मायावती हर प्रेस कॉफ्रेंस में सपा को घेरने से पीछे नहीं रहती हैं.
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी सपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि उसके नेताओं के बयान निराशा को दर्शाते हैं क्योंकि लोगों ने उन्हें खारिज कर दिया है. यूपी कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम, आजम खान के बहाने अखिलेश यादव के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, जिसके चलते मुस्लिम वोटों को सपा से छिटकने का खतरा बढ़ रहा है.
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ऐसे में बसपा और कांग्रेस ने सपा के सियासी राह में मुश्किले खड़ी कर दी हैं. कांग्रेस नेता शाहनवाज आलम कहते हैं यूपी में कांग्रेस लड़ाई सत्ताधारी बीजेपी के साथ विपक्षी दल की निस्क्रियता को लेकर भी है. योगी सरकार के खिलाफ अखिलेश यादव न तो आजम खान जैसे अपने बड़े नेताओं की लड़ाई लड़ पा रहे हैं और न ही पार्टी कार्यकर्ताओं की.
अखिलेश के इसी ढुलमुल रवैए को देखते हुए कांग्रेस सूबे में विपक्षी दल के तौर पर अपनी भूमिका अदा करने का फैसला किया है, जिसमें सत्तापक्ष के साथ-साथ विपक्ष से उसे दोहरी लड़ाई लड़नी पड़ रही है. कांग्रेस की यूपी में सक्रियता से अखिलेश यादव बेचैन हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें इस बात को यह एहसास हो चुका है कि उनकी सियासी जमीन खिसक चुकी है और लोगों का भरोसा प्रियंका गांधी पर बढ़ता जा रहा है.
समर्थ श्रीवास्तव