विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

ADR की ओर से दाखिल याचिका पर बुधवार को वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड सत्ताधारी दल को चंदे के नाम पर रिश्वत देकर अपना काम कराने का जरिया बन गया है.

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 इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा. (फाइल फोटो) इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर आज सुप्रीम कोर्ट फैसला सुनाएगा. (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 मार्च 2021,
  • अपडेटेड 7:55 AM IST
  • ADR की ओर से दाखिल की गई थी याचिका
  • इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री मामले पर SC में फैसला आज
  • बुधवार को सुनवाई के दौरान सुरक्षित रखा था फैसला

सुप्रीम कोर्ट आज यानी शुक्रवार को चुनावी बॉन्ड (इलेक्टोरल बॉन्ड) की बिक्री पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर फैसला सुनाएगा. इससे पहले बुधवार को इस याचिका पर सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था.

ADR की ओर से दाखिल याचिका पर बुधवार को वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट में कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड सत्ताधारी दल को चंदे के नाम पर रिश्वत देकर अपना काम कराने का जरिया बन गया है. वहीं, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह चुनावी बॉन्ड योजना का समर्थन करता है. इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि हमेशा ये रिश्वत का चंदा सत्ताधारी दल को ही नहीं बल्कि उस दल को भी मिलता है, जिसके अगली बार सत्ता में आने के आसार प्रबल रहते हैं.

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चुनाव आयोग ने कोर्ट से कहा कि वो चुनावी बॉन्ड का समर्थन करते हैं क्योंकि अगर ये नहीं होगा तो राजनीतिक पार्टियों को नगद चंदा मिलेगा. चुनाव आयोग ने कहा कि वह चुनावी बॉन्ड योजना में और पारदर्शिता चाहता है. बहरहाल, चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. कोर्ट ने बुधवार को पक्षकारों से कहा था कि वो चाहें तो लिखित दलील कोर्ट के पास भिजवा सकते हैं.

इससे पहले कोर्ट में दलील देते हुए प्रशांत भूषण ने कहा था कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. आरबीआई का कहना है कि बॉन्ड्स का सिस्टम आर्थिक घपले का एक तरह का हथियार या जरिया है. कई लोग देश-विदेशों में पैसे इकट्ठा कर औने-पौने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकते हैं. ये दरअसल सरकारों के काले धन के खिलाफ कथित मुहिम की सच्चाई बयान करता है, बल्कि उनकी साख पर भी सवाल खड़े करता है.

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