मध्य प्रदेश में सत्ता का ऊंट किस करवट बैठेगा, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा पा रहा. बीजेपी और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है. यह टक्कर कितनी करीबी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दोपहर एक बजे तक कौन बाजी मारेगा, इसका इल्म कोई नहीं कर सकता. दोनों ही दल रुझानों में 109-109 सीटों के साथ बराबरी पर चल रहे हैं.
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कांग्रेस की बढ़ी सीटों पर बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय भी हैरान हैं. उन्होंने साफगोई से कहा कि उन्होंने राज्य में कांग्रेस को अंडरएस्टिमेट किया था. वहीं बीजेपी खुद को ओवरएस्टिमेट कर रही थी. विजयवर्गीय ने मनमुताबिक परिणाम न आने के लिए अपनी कमियां गिनाने के साथ-साथ कांग्रेस की तारीफ करने से भी नहीं चूके. उन्होंने इसका श्रेय कांग्रेस नेता कमलनाथ को देते हुए उनकी न सिर्फ तारीफ की, बल्कि ये भी कहा कि इस बार राज्य में कांग्रेस में बिखराव नहीं हुआ. इस बार कांग्रेस चुनाव में एकजुट होकर लड़ी. इसी के चलते परिणाम अभी तक बीजेपी के पक्ष में नहीं आए.
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बेटे को आगे बढ़ाने पर वंशवाद के सवाल पर विजयवर्गीय ने कहा कि मैं पिछले 4 साल से दिल्ली में हूं. मेरा बेटा ही वहां राजनीति करता है. पिछले 10 साल से बेटा राजनीति में सक्रिय है. उन्होंने कहा कि जिस समय टिकट दिया जा रहा था, उस समय मैं उस चयन प्रक्रिया में ही शामिल नहीं था. मैं चाहता था कि योग्यता के आधार पर उसका चयन हो. उसकी सीट पर मैंने प्रचार भी नहीं किया.
गौरतलब है कि एमपी में अभी तक तस्वीर साफ नहीं है कि कौन सत्ता पर काबिज होगा. कैलाश विजयवर्गीय ने इस परिस्थिति के लिए कांग्रेस नेता कमलनाथ की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने इस बार चुनाव से पहले पूरी तैयारी की. एमपी में चुनाव से पहले ही कांग्रेस के दो खेमों में बंटे होने की चर्चाएं थीं. एक खेमा ज्योतिरादित्य सिंधिया तो दूसरा कमलनाथ. लेकिन पूरे प्रचार के दौरान कभी इन दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला. दोनों ही नेता कांग्रेस को जिताने की बात करते रहे. संभवत: इसी का नतीजा रहा कि राज्य में कांग्रेस ने बीते 15 साल के बाद पहली बार इतना बेहतरीन प्रदर्शन किया.
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