आखिरी चरण की 57 सीटों पर चुनाव प्रचार थमा, वाराणसी समेत इन सीटों पर वोटिंग

Lok Sabha Chunav 2024 Phase 7 Voting: आखिरी चरण के चुनाव को लेकर सभी दलों के अपने-अपने दावे हैं. इस चरण में वाराणसी में भी चुनाव होगा, यह वही सीट है, जहां से पीएम मोदी फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल कीडायमंड हार्बर सीट से अभिषेक बनर्जी तो पाटलिपुत्र सीट से लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती चुनाव लड़ रही हैं.

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1 जून को आखिरी चरण का मतदान होना है (फाइल फोटो) 1 जून को आखिरी चरण का मतदान होना है (फाइल फोटो)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:50 PM IST

Lok Sabha Election Phase 7 2024 Voting: जैसे ही घड़ी की सुइयों में गुरुवार को शाम के 6 बजे, 18वीं लोकसभा का प्रचार खत्म हो गया. इस बार का चुनाव 7 चरणों में संपन्न हो रहा है. 16 मार्च को यानी आज से ठीक 75 दिन तक, रैलियों का शोर गूंजा. मुद्दों का तूफान उठा. बयानों के बाण चले. सियासी उठापटक. खटाखट. फटाफट. टकाटक, सब आया. सबने अपनी डफली, अपना राग सुनाया. अब 1 जून को एग्जिट पोल और 4 जून को 18वीं लोकसभा के नतीजों का इंतजार है. चुनावों का परिणाम जानने के लिए हर दिल बेकरार है.

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आखिरी चरण के चुनाव को लेकर सभी दलों के अपने-अपने दावे हैं. इस चरण में वाराणसी में भी चुनाव होगा, यह वही सीट है, जहां से पीएम मोदी फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल कीडायमंड हार्बर सीट से अभिषेक बनर्जी तो पाटलिपुत्र सीट से लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती चुनाव लड़ रही हैं. ऐसे में आखिरी चरण की वोटिंग में किन राज्यों में कितनी सीटे हैं, 57 सीटों पर किसका पडला, किस दल के लिए बड़ी चुनौती है, इसे रिपोर्ट के जरिए समझते हैं. 

आखिरी चरण के चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है, लेकिन सातवें चरण की 57 सीटों पर कई दिग्गज नेताओं की साख दांव पर है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के सामने अपनी सीटें बचाए रखने की चुनौती है. उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गठबंधन को ज्यादा से ज्यादा सीटें जिताने की चुनौती अखिलेश यादव और राहुल गांधी के सामने है. पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और सभी 13 सीटों पर अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान की साख दांव पर है तो वहीं आखिरी चरण के चुनाव में BJP के लिए 2019 जैसी जीत रिपीट करना टीम मोदी के लिए चुनौती है.

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आखिरी चरण में इन राज्यों की सीटों पर चुनाव

एक जून को कुल 57 सीटों पर वोटिंग होगी. 57 सीटों में बिहार की 8 सीटें, हिमाचल प्रदेश की 4 सीटें, झारखंड की तीन सीटें, ओडिशा की छह सीटें, पंजाब की 13 सीटें, यूपी के पूर्वांचल की 13 सीटें, बंगाल की नौ और चंडीगढ़ की एक सीट पर वोटिंग होगी. 2019 के आकड़ों को देखें तो बिहार की जिन आठ सीटों पर मतदान होगा, सभी सीटें एनडीए की झोली में गई थीं. अबकी बार क्या होगा, ये चार जून को पता चलेगा.

यूपी में पूर्वांचल की 13 सीटों पर वोटिंग होगी, 2019 में NDA ने 11 सीटें जीती थीं, जबकि समाजवादी पार्टी और BSP गठबंधन के खाते में सिर्फ दो सीटें गई थीं. वहीं बंगाल, पंजाब और ओड़िशा में बीजेपी की राह आसान नहीं है. सातंवे चरण में बंगाल की 9 सीटों पर वोटिंग होगी, 2019 में सभी 9 सीटों पर टीएमसी जीती थीं. बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था. ये सभी सीटें कोलकाता के आसपास की हैं, जो शहरी इलाका है. भले ही उत्तर भारत के राज्यों में बीजेपी को शहरों में ज्यादा वोट मिलते हैं लेकिन बंगाल में कहानी उलटी है, बीजेपी की ग्रामीण इलाके में अच्छी पैठ है.

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पंजाब में किसे मिलेगी जीत?

अगर बात पंजाब की करें तो यहां चुनावी लड़ाई बहुत दिलजस्पी है. दिल्ली और चंडीगढ़ में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन है, लेकिन पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक दूसरे के खिलाफ लड़ रही है. यही वजह है कि पंजाब में चार पार्टियों के बीच चुनावी लड़ाई है. मतलब आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, अकाली दल और बीजेपी. 2019 में बीजेपी का अकाली दल के साथ गठबंधन था, एनडीए को 13 में से 4 सीटों पर जीत मिली थीं, 2 सीट पर अकाली दल की जीत हुई और 2 पर बीजेपी. अबकी बार पंजाब में कोई गठबंधन नहीं सभी पार्टियां अकेले चुनाव लड़ रही है. ऐसे में पंजाब के चुनावी मु काबले में सभी पार्टियों की साख दांव पर है. 

ओडिशा में बीजेपी और बीजेडी आमने-सामने

अगर बात ओडिशा की करें तो चुनाव कांग्रेस भी लड़ रही है, लेकिन सीधी टक्कर BJD और बीजेपी के बीच में है. कुल छह सीटों पर वोटिंग होगी, 2019 में बीजेडी ने 4 सीटें जीती थीं, जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ दो सीटें आई थीं. इस बार बीजेपी को ओडिशा से काफी उम्मीद है. आखिरी चरण की वोटिंस से पहले मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सेहत एक बड़ा चुनावी मुद्दा है. वही मुद्दा जिसे लेकर बीजेपी ने गंभीर आरोप लगाए तो नवीन पटनायक ने सेहत को लेकर किए गए दावों को अफवाह करार दिया.

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