अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी छोड़ने का ऐलान किया है. रविवार को सिन्हा ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के साथ जाने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि यह सही मायने में एक राष्ट्रीय पार्टी है और उनके पारिवारिक मित्र लालू प्रसाद ने भी उन्हें ऐसा ही करने की सलाह दी.
उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव और आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जैसे नेता यही चाहते थे कि वे उनकी पार्टी में शामिल हों लेकिन उन्होंने साफ कह दिया था कि सिचुएशन (परिस्थिति) जो भी हो लेकिन चुनाव पटना साहिब से ही लड़ेंगे.
आडवाणी के साथ बुरा हुआ
शत्रुघ्न सिन्हा लंबे समय से मोदी सरकार की आलोचना कर रहे थे. उन्होंने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा कि बीजेपी, जिससे मैं लंबे समय से जुड़ा था, उसे छोड़ना मेरे लिए पीड़ादायक था लेकिन लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ जिस तरह से बर्ताव किया गया, उससे मैं आहत था. बीजेपी ने लोकसभा चुनावों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं आडवाणी और जोशी को इस बार चुनाव मैदान में नहीं उतारा है.
लालू ने दी सलाह
अभिनेता से नेता बने सिन्हा ने कहा कि पार्टी के बगैर किसी सहयोग के उन्होंने 2014 में पटना साहिब सीट से अपने दम पर जीत हासिल की थी. उनका मानना है कि इस बार वह जीत के ‘पहले के रिकॉर्ड’ को तोड़ सकते हैं. उन्होंने बीजेपी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी प्रमुख अमित शाह के नेतृत्व की आलोचना की और कहा कि इससे पहले पार्टी में ‘लोकशाही’ थी और अब ‘तानाशाही’ है.
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि हमारे पारिवारिक मित्र (आरजेडी प्रमुख) लालू प्रसाद ने भी सुझाव दिया ‘आप वहां (कांग्रेस में) जाएं’. हम लोग वहां आपके साथ हैं और राजनीतिक रूप से भी साथ बने रहेंगे. यह उनकी (लालू प्रसाद की) सहमति और उनके साथ समझौते के तहत हुआ. उन्होंने कहा कि मुख्य कारण यह है कि पटना साहिब सीट महागठबंधन के सीट बंटवारे में कांग्रेस के खाते में गई. उन्होंने कहा भी था कि परिस्थिति जो भी हो लेकिन लड़ूंगा उसी सीट से.
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