EXCLUSIVE: निषाद पार्टी से क्यों बिगड़ी सपा-बसपा की बात? संजय निषाद का खुलासा

निषाद पार्टी  के प्रमुख संजय निषाद ने कहा- निषाद वोटर उनके दल के साथ हैं. कोई दूसरी पार्टी निषाद वोटरों को बरगला नहीं सकती. पूर्वी यूपी की 15 सीटों पर निषाद जाति का प्रभाव है.

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संजय निषाद (फाइल फोटो) संजय निषाद (फाइल फोटो)

टीके श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 05 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 1:45 PM IST

पूर्वांचल जीतने के लिए बीजेपी ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है. निषाद पार्टी के नेता प्रवीण निषाद बीजेपी में गुरुवार को शामिल हो गए और गोरखपुर से उनके चुनाव में उतरने की पूरी संभावना है. पूर्वांचल की एक दर्जन से अधिक सीटों पर बीजेपी इससे फायदा होने का दावा कर रही है. लोकसभा चुनाव-2019 में जातीय समीकरण बनाए बिना पूर्वांचल में फतह करना मुश्किल है. यहां विकास, रोजगार और एयरस्ट्राइक जैसे मुद्दे जातीय गणित के आगे पीछे छूट जाते हैं. इन दिनों पूर्वांचल की सीटों पर निषाद समुदाय को साधने में हर एक दल जुटा है. पूर्वी यूपी की 15 सीटों पर निषाद जाति का प्रभाव है. aajtak.in ने निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद से कई मुद्दों पर खास बातचीत की.

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क्या निषाद वोटर्स बंट सकते हैं?

निषाद पार्टी के प्रमुख डाक्टर संजय निषाद का कहना है कि निषाद वोटर उनके दल के साथ हैं. कोई दूसरी पार्टी निषाद वोटरों को बरगला नहीं सकती है.

क्यों टूटा गठबंधन?

सपा से गठबंधन टूटने की वजह पर संजय निषाद ने कहा कि उपचुनाव में गोरखपुर सीट से प्रवीण निषाद जीते थे. सपा प्रवीण निषाद की जगह मुझे कैंडिडेट बनाना चाहती थी. साथ ही चुनाव चिन्ह साइकिल की जगह हम अपनी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ना चाहते थे. इसी को लेकर लंबे समय से हमारी सहमति नहीं बन पा रही थी.

जाटव मायावती के साथ हैं तो निषाद किसके साथ?

इस सवाल पर संजय निषाद कहते हैं - बीजेपी हमारे एजेंडे के साथ है. निषाद जाति का उत्थान हमारा उद्देश्य है. जिस तरह जाटव वोट मायावती का फिक्स वोट बैंक है, वैसे मेरा भी फिक्स वोट बैंक निषाद है.

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रामभुआल कितना प्रभावित करेंगे?

गोरखपुर से सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार रामभुवाल निषाद के सवाल पर संजय निषाद ने कहा कि निषाद जाति के लोग निषाद पार्टी के साथ हैं. हम बीजेपी को सपोर्ट कर रहे हैं. अन्य दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन पर निषाद समुदाय के लोगों की कोई सुनवाई नहीं होनी है. इसलिए निषाद समुदाय के लोग हमारे साथ रहेंगे.

2014 में 32 सीटों पर था एनडीए का कब्जा

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए होने वाले मतदान से ठीक एक हफ्ता पहले उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन को तगड़ा झटका लगा है. गोरखपुर उपचुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव जीतने वाले प्रवीण निषाद बीजेपी में शामिल हो गए. वहीं उनके पिता संजय निषाद एनडीए के साथ जुड़ गए हैं. इस नए गठबंधन से यूपी में बीजेपी को इसका सियासी फायदा मिल सकता है. 2014 में पूर्वांचल की 35 सीटों में से 32 पर एनडीए ने जीत दर्ज की थी.

पीस पार्टी के साथ मिलकर लड़े थे विधानसभा चुनाव

साल 2016 में संजय निषाद ने निषाद पार्टी जिसका पूरा नाम निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल की स्थापना की. यूपी में निषाद पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव पीस पार्टी के साथ मिलकर 80 सीटों पर लड़ा था. संजय निषाद राजनीति में कदम रखने से पूर्व इलेक्ट्रो होम्योपैथ का एसोसिएशन चलाते थे.

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