सपा-बसपा गठबंधन पर बरसे PM मोदी, कहा- तय हो चुकी है इनकी दोस्ती टूटने की तारीख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सपा-बसपा सोचते थे कि जो उनका वोट बैंक है, वह उनकी सुविधा के हिसाब से यहां-वहां ट्रांसफर हो जाएगा, वह पहले दो चरणों के मतदान में साबित हो चुका है कि उनके सारे खेल खत्म हो चुके हैं. उन्हें लगता था कि वोटरों के वे ठेकेदार हैं, लेकिन वोटरों ने उनकी तैयारी को खूंटी पर टांग दिया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फोटो-PTI)

वरुण शैलेश

  • एटा/बरेली,
  • 20 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 8:36 AM IST

उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव प्रचार में शनिवार को आरोप-प्रत्यारोप का दौर देखने को मिला. बसपा प्रमुख मायावती और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जहां केंद्र की बीजेपी सरकार पर निशाना साधा वहीं एटा और बरेली में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पलटवार किया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने सपा-बसपा गठबंधन पर करारा हमला किया. पीएम मोदी ने कहा कि जनता खोखली दोस्ती करने वालों का सच जानती है और इन दोनों की दोस्ती टूटने की तारीख 23 मई तय हो चुकी है.

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मोदी ने चुनावी रैली में 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हुए सपा-कांग्रेस गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा, 'खोखली दोस्ती करने वालों का सच आप अच्छी तरह जानते हैं. एक दोस्ती (सपा-कांग्रेस गठबंधन) तब हुई थी, जब यूपी विधानसभा चुनाव चल रहे थे, चुनाव खत्म हुआ तो दोस्ती खत्म होकर दुश्मनी में बदल गई. एक और दोस्ती (सपा-बसपा गठबंधन) हुई है, उसके टूटने की तारीख भी तय है. यह फर्जी दोस्ती 23 मई (लोकसभा चुनाव परिणाम का दिन) को टूट जाएगी.' उन्होंने कहा, 'उस दिन बुआ और बबुआ....ये दोनों अपनी दुश्मनी का पार्ट टू शुरू कर देंगे. एक दूसरे को तबाह करने की धमकियां देने लगेंगे.'

मोदी ने बसपा प्रमुख मायावती पर तंज कसते हुए कहा, 'प्रदेश में सपा के शासनकाल में बहन-बेटियों का स्कूल जाना भी मुश्किल हो गया था. यह पूरे देश ने देखा है. वाकई बहनजी आपका फैसला बहुत कठिन है, आपको ऐसे लोगों के लिए वोट मांगना पड़ा है. दोस्ती टूटने की तारीख मत भूलिएगा, 23 मई गुरुवार.'

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बता दें कि शुक्रवार को मैनपुरी में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के समर्थन में आयोजित रैली में मायावती ने गेस्ट हाउस कांड को याद करते हुए कहा था कि पार्टी के मूवमेंट के लिए कभी-कभी हमें कुछ कठिन फैसले लेने पड़ते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि सपा-बसपा सोचते थे कि जो उनका वोट बैंक है, वह उनकी सुविधा के हिसाब से यहां-वहां ट्रांसफर हो जाएगा, वह पहले दो चरणों के मतदान में साबित हो चुका है कि उनके सारे खेल खत्म हो चुके हैं. उन्हें लगता था कि वोटरों के वे ठेकेदार हैं, लेकिन वोटरों ने उनकी तैयारी को खूंटी पर टांग दिया है.

सपा-बसपा की नीयत एक जैसी

प्रधानमंत्री मोदी ने आरोप लगाया कि सपा-बसपा के नेताओं ने गरीबों के नाम पर राजनीति करके सिर्फ और सिर्फ अपना बैंक बैलेंस बढ़ाया है. सपा-बसपा के सिर्फ झंडे अलग रहे हैं, लेकिन नीयत एक जैसी ही है. सरकारें बदलती थी, गुंडे और कब्जा गिरोह भी बदलते थे. किसानों, दुकानदारों, व्यापारियों को लूटने का काम आमतौर पर होता था. अब दलितों पर अत्याचार कौन करता था, मैं पूछूंगा तो बहन मायावती जी के लिए बहुत मुश्किल हो जाएगा. मायावती आज वोट भी उन्हीं अत्याचार करने वालों के लिए मांग रही हैं.

बीजेपी उम्मीदवार राजवीर सिंह के लिए प्रचार करने आए प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपी को जात-पात में तोड़कर अपनी राजनीति चमकाने वाले यह भूल गए कि जब बात देश की सुरक्षा और विकास की आती है तो उत्तर प्रदेश ऐसी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब देता है. एक जमाना था, जब जनता ने इंदिरा जी समेत सबको घर भेज दिया था. दोबारा वही माहौल बना है, ये महामिलावटी सब घर बैठेंगे. मोदी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर हमला करते हुए कहा कि अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में अखिलेश ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों की सूची केंद्र को नहीं भेजी, क्योंकि वह तो खुद अपना बंगला सजाने में लगे थे. हां, सुना है कि उन्होंने टोटियां भी बड़ी शानदार लगवायी थीं. यूपी के ईमानदार करदाताओं की कमाई से चुन-चुनकर अपनी पसंदीदा टोटियां खरीदी गई थीं.

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प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या देश को आतंकवाद से मुक्ति मिलनी चाहिए. आतंकवाद खत्म होना चाहिए, आतंकवाद पूरी तरह नष्ट होना चाहिए. चुन-चुनकर साफ होना चाहिए. यह काम कौन करेगा? यह सपा वाले कर सकते हैं क्या, बसपा वाले कर सकते हैं क्या? दोनों मिलकर भी क्या आतंकवाद को जवाब दे सकते हैं? तो कौन करेगा? ये काम सिर्फ मोदी नहीं करेगा, आपका एक-एक वोट करेगा. हम सभी चौकीदार मिलकर ये करके रहेंगे.

विपक्ष मेरे पिछड़े होने का मजाक उड़ा रहा है

बरेली में जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोई नीच बोलता है, कोई कुछ गाली देता है, वैसे भी हम गरीबों को, पिछड़ों को सदियों से ये नामदारों की गालियां खाने की आदत हो गई है. मुझे भी हो गई है. लेकिन मैंने इनसे पूछना चाहता हूं कि आपने अपने परिवार का पिछड़ापन दूर करने के अलावा और कुछ किया क्या? उन्होंने कहा कि वे मेरे पिछड़ेपन का सर्टिफिकेट मांग रहे हैं, वे मेरे पिछड़े होने का मजाक उड़ा रहे हैं. हर चुनाव में जब इन्हें पराजय सामने दिखने लगती है तो ये खेल शुरू कर देते हैं.

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