उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन को एक और झटका लगा है. अखिलेश यादव के ऐलान के तीन दिन बाद ही निषाद पार्टी ने सपा-बसपा गठबंधन से खुद को अलग कर लिया है. पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने शुक्रवार को कहा कि हम गठबंधन के साथ नहीं है और निषाद पार्टी स्वतंत्र रूप से लोकसभा चुनाव लड़ेगी. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव के रवैये से हमारे कार्यकर्ता और कोर कमेटी नाराज है.
संजय निषाद ने कहा कि अखिलेश यादव ने कहा था कि वह हमारी पार्टी के लिए सीटों का ऐलान करेंगे. लेकिन उन्होंने अपने पोस्टरों में हमारी पार्टी का नाम और एक शब्द तक नहीं लिखवाया. संजय निषाद ने कहा कि अब हम स्वतंत्र हैं और हमारे सामने सभी विकल्प खुले हैं. निषाद पार्टी अकेले भी लड़ सकती हैं और अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकती है. इसके बाद देर शाम संजय निषाद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है, इससे साफ है कि जल्द निषाद पार्टी एनडीए का हाथ थाम सकती है.
अखिलेश ने किया था ऐलान
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने मंगलवार को ही निषाद पार्टी, राष्ट्रीय समानता दल और जनवादी सोशलिस्ट पार्टी के साथ समाजवादी पार्टी के गठबंधन का ऐलान किया था. सभी पार्टियां चुनाव में एक-दूसरे के उम्मीदवारों का सहयोग करेंगे. इस मौके पर अखिलेश ने कहा कि गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में भी हमने ऐसे गठबंधन किया था, जिस समीकरण को प्रदेश के बाबा मुख्यमंत्री भी समझ नहीं पाए थे.
गठबंधन के ऐलान के बाद अखिलेश ने दावा किया था कि उत्तर प्रदेश में 74 लोकसभा सीटों का सपना देख रही बीजेपी को हमारे गठबंधन के बाद एक सीट पाने के लिए भी सोचना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो गठबंधन हुआ है, उससे बीजेपी को सोचना पड़ेगा कि उसका खाता कैसे खुले. अखिलेश ने कहा कि हम घोषणापत्र पर काम कर रहे हैं और सोच रहे हैं कि समाज के हर वर्ग को बराबरी का हक मिले.
बता दें कि 2018 में हुए यूपी के उपचुनाव में सपा ने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद को टिकट दिया था. गोरखपुर उपचुनाव में सपा को बसपा का समर्थन मिला और प्रवीण निषाद ने बीजेपी की इस परंपरागत सीट को छीन लिया. निषाद पार्टी का गोरखपुर के इलाके में अच्छा जनाधार माना जाता है और आस-पास की सीटों पर भी इस पार्टी का प्रभाव है.
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