महाराष्ट्र के नागपुर में लोकसभा चुनाव के लिए 11 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. नागपुर में पहले चरण के तहत लोग अपने वोट का इस्तेमाल कर सकेंगे. नागपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी एक बार फिर किस्मत आजमा रहे हैं, वहीं कांग्रेस की ओर से नाना पटोले मैदान में हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की ओर से अब्दुल करीम मैदान में हैं तो वहीं बहुजन समाज पार्टी ने यहां से मोहम्मद जमाल को टिकट दिया है.
नागपुर वैसे तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गढ़ है, लेकिन यहां सबसे ज्यादा चुनाव कांग्रेस ने जीते हैं. वर्तमान में यहां से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सांसद हैं. उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में चार बार के सांसद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विलास मुत्तेमवार को चुनाव हराया था.
सीट का इतिहास
नागपुर लोकसभा सीट 1951 में अस्तित्व में आई थी. यहां अनुसूया बाई सबसे पहले 1952 में सांसद बनी. वो 1956 में चुनकर आई थी. इसके बाद 1962 में माधव श्रीहरि अणे यहां से निर्दलीय चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. इसके बाद 1967 में नरेंद्र देवघरे कांग्रेस को वापस सीट दिलाने में सफल रहे.
लेकिन नागपुर में विदर्भ को महाराष्ट्र से अलग करने को लेकर उठी आवाज ने कांग्रेस को यहां सत्ता से बाहर कर दिया. 1971 में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी के जामबुवंत धोटे चुनाव जीते. मालूम हो कि जामबुवंत धोटे अपने समर्थकों के बीच विदर्भ के शेर कहलाते थे. लेकिन 1977 के लोकसभा में उनकी हार हो गई. उन्हें कांग्रेस के गेव मनचरसा अवरी ने चुनाव हराया.
इसके बाद जामबुवंत धोटे कांग्रेस (I) से जुड़ गए. इसका फायदा उन्हें 1980 के चुनाव में भी मिला. वो जीते और लोकसभा पहुंचे. लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ दिया और विदर्भ जनता कांग्रेस पार्टी की स्थापना की. हालांकि, वो दोबारा लोकसभा में नहीं आए.
पहली बार लड़े और मिली जीत
नितिन गडकरी नागपुर लोकसभा सीट से पहली बार 2014 में लोकसभा चुनाव जीते. उन्होंने कांग्रेस के विलास राव मुत्तेमवार को चुनाव हराया. मालूम हो कि नितिन गडकरी मोदी सरकार के सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस वाले मंत्रियों में गिने जाते हैं.
जातीय समीकरण
यहां के जातीय समीकरण की ओर देखा जाए तो यह सीट सवर्ण और दलित बाहुल्य सीट है. लेकिन हर चुनाव में यहां सवर्णों के वोट का असर दिखाई देता रहा है. यहां दलित उम्मीदवार महज एक या दो सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाते हैं. वहीं, सवर्ण समुदाय के प्रत्याशी यहां ज्यादा चुनकर आए हैं.
चुनाव की हर ख़बर मिलेगी सीधे आपके इनबॉक्स में. आम चुनाव की ताज़ा खबरों से अपडेट रहने के लिए सब्सक्राइब करें आजतक का इलेक्शन स्पेशल न्यूज़लेटर.
देवांग दुबे गौतम