चिराग पासवान: राजनीति में चमका रूपहले पर्दे पर फ्लॉप हुआ सितारा

लोक जनशक्ति पार्टी की दूसरी पीढ़ी की अगुवाई कर रहे चिराग पासवान एक बार फिर जमुई सीट से मैदान में हैं. राजनीति में उनकी पहचान राम विलास पासवान के चिराग के रूप में है.

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चिराग पासवान चिराग पासवान

विशाल कसौधन

  • नई दिल्ली,
  • 09 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST

लोक जनशक्ति पार्टी की दूसरी पीढ़ी की अगुवाई कर रहे चिराग पासवान एक बार फिर जमुई सीट से मैदान में हैं. राजनीति में उनकी पहचान राम विलास पासवान के 'चिराग' के रूप में है. वैसे चिराग ने एक अलग पहचान बनाने की कोशिश की थी. बॉलीवुड में बतौर एक्टर, लेकिन वह फ्लॉप हुए. फ्लॉप ऐसे की एक ही फिल्म के बाद वह बॉलीवुड को छोड़कर राजनीति में चले आए. राजनीति में आते ही वह सांसद बने.

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चिराग पासवान के राजनीतिक सफर की बात करने से पहले जानते हैं उनकी निजी जिंदगी के बारे में. राम विलास पासवान की दूसरी पत्नी रीना पासवान के बेटे चिराग का जन्म 31 अक्टूबर 1982 को बिहार के खगड़िया में हुआ. चिराग ने नई दिल्ली के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की. इसके बाद वह बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक करने पहुंचे, लेकिन यहां उन्होंने तीसरे सेमेस्टर तक की ही पढ़ाई की.

बीटेक की पढ़ाई बीच में छोड़ने के बाद चिराग पासवान मुंबई निकल गए. यहां वह फिल्मों में अपना करिअर बनाना चाहते थे. 2011 में उनकी फिल्म आई 'मिले न मिले हम'. तनवीर खान की इस फिल्म में चिराग के अलावा कंगना रनौत, नीरु बाजवा, सागरिका घाटगे थे. इस फिल्म में चिराग का श्वेता तिवारी के साथ एक आइटम नंबर भी था. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई. इसके साथ ही चिराग पासवान का बॉलीवुड का सफर भी थम गया.

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बॉलीवुड से लौटकर चिराग अपने पिता राम विलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी का काम देखने लगे. 2014 का चुनाव सिर पर था. राम विलास पासवान फैसला नहीं कर पा रहे थे कि वह यूपीए के साथ जाएं या एनडीए के साथ. कहते हैं कि चिराग पासवान ने एनडीए का हिस्सा बनने की सलाह दी. एनडीए से गठबंधन के बाद लोजपा बिहार की 7 सीटों पर लड़ी. खुद चिराग जमुई लोकसभा सीट से लड़े. लोजपा 6 सीटों पर जीतने में कामयाब रही. इसमें जमुई की भी सीट थी, जहां से चुनाव मैदान में चिराग थे. इस तरह राम विलास पासवान के 'चिराग' का सितारा चमक गया.

एनडीए सरकार में राम विलास पासवान केंद्रीय मंत्री बने. चिराग भी कई संसदीय समितियों के सदस्य बने. चिराग लोजपा संसदीय दल के अध्यक्ष हैं. 2019 में वह फिर जमुई से मैदान में हैं. इस बार उनका मुकाबला रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव सिंह से हैं. अब देखना होगा कि राम विलास पासवान के 'चिराग' क्या दोबारा जमुई से संसद तक का सफर तय कर पाते हैं या नहीं?

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