तेजस्वी यादव की मनमानी से कांग्रेस नाराज, बिहार में अकेले चुनाव लड़ने पर मंथन

बिहार महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस आरजेडी से नाराज होकर महागठबंधन से अलग हो सकती है और बिहार में सभी 40 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है.

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राहुल गांधी और तेजस्वी यादव (फोटो-  Reuters) राहुल गांधी और तेजस्वी यादव (फोटो- Reuters)

रोहित कुमार सिंह

  • पटना,
  • 28 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 8:15 PM IST

बिहार महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस आरजेडी से नाराज होकर महागठबंधन से अलग हो सकती है और बिहार में सभी 40 लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार सकती है.

बता दें कि महागठबंधन में सीटों के तालमेल के अनुसार कांग्रेस को 9 सीटें मिली हैं और पहले दो चरण के चुनाव के लिए पार्टी ने 3 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं जिसमें पूर्णिया से उदय सिंह, कटिहार से तारिक अनवर और किशनगंज से जावेद आलम शामिल हैं. महागठबंधन ने अब तक पहले 2 चरण के चुनाव के लिए अपने 9 उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं.

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आरजेडी की तरफ से कांग्रेस को जो अन्य 6 सीटें ऑफर की गई हैं उनमें सुपौल, सासाराम, समस्तीपुर, मुंगेर, पटना साहिब और वाल्मीकि नगर शामिल हैं. जबकि कांग्रेस इस बात पर अड़ी हुई है कि उसे दरभंगा और मधुबनी सीट मिलनी चाहिए क्योंकि यह ब्राह्मण बहुल इलाका है जो कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक है.

दरभंगा को लेकर भी नाराजगी

कांग्रेस की सबसे बड़ी नाराजगी दरभंगा सीट को लेकर है, क्योंकि वहां के मौजूदा सांसद कीर्ति आजाद को पार्टी में शामिल करने के बाद कांग्रेस उन्हें दरभंगा से उम्मीदवार बनाना चाहती थी, मगर आरजेडी ने भी इस सीट पर अपनी दावेदारी ठोक दी और विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी का नाम उम्मीदवार के तौर पर तय कर दिया. यह बात कांग्रेस को नागवार गुजरी है.

वहीं दूसरी तरफ सुपौल सीट को भी लेकर कांग्रेस और आरजेडी के बीच मामला फंसा हुआ है. कांग्रेस सुपौल से अपनी मौजूदा सांसद रंजीता रंजन को मैदान में उतारना चाहती है, मगर इसी सीट से आरजेडी भी अपना उम्मीदवार उतारने के लिए अड़ी हुई है. रंजीता रंजन के खिलाफ प्रत्याशी उतारने के पीछे आरजेडी का असली मकसद जन अधिकार पार्टी के नेता और सांसद पप्पू यादव के साथ दो दो हाथ करना है.

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रंजीता रंजन पप्पू यादव की पत्नी हैं और लालू परिवार का पप्पू यादव के साथ उस वक्त से 36 का आंकड़ा चल रहा है जब 4 साल पहले पप्पू यादव ने पार्टी से सांसद बनने के बाद आरजेडी का साथ छोड़ दिया और अपनी पार्टी बना ली. रंजीता रंजन के जरिए आरजेडी पप्पू यादव के साथ हिसाब चुकता करने की फिराक में है.

रंजीता रंजन के खिलाफ आरजेडी इस वजह से भी प्रत्याशी खड़ा करना चाहती है, क्योंकि मधेपुरा से आरजेडी प्रत्याशी शरद यादव के खिलाफ पप्पू यादव चुनाव में खड़े हो गए हैं. साथ ही मधुबनी सीट को भी लेकर दोनों पार्टियों के बीच में तकरार बढ़ गई है.

कांग्रेस मधुबनी सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है, मगर आरजेडी ने यह सीट मल्लाह नेता मुकेश साहनी की विकासशील इंसान पार्टी को दे दी है. इसको लेकर भई कांग्रेस काफी नाराज है.

कांग्रेस की नाराजगी औरंगाबाद सीट को लेकर भी है, क्योंकि यहां से वह पूर्व सांसद निखिल कुमार को उम्मीदवार बनाना चाहती थी मगर आरजेडी ने ये सीट हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा को दे दी.

कुल मिलाकर देखें तो कांग्रेस को इस बात का एहसास हो चुका है कि आरजेडी पूरी तरीके से महागठबंधन में मनमानी कर रही है और इसी वजह से बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा जिन्हें आज दिल्ली में कांग्रेस में शामिल होना था इसको लेकर भी पेच फंस गया है.

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अब इस बात के भी प्रबल कयास लगाए जा रहे हैं कि आरजेडी की मनमानी से कांग्रेस आलाकमान बेहद नाराज है और इस बात को लेकर भी फैसला लिया जा सकता है कि वह महागठबंधन से अलग होकर अकेले बिहार के सभी 40 सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगी.

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