बेगूसराय में दिग्गजों के आगे कहां टिकेंगे कन्हैया कुमार?

साल 2016 में दिल्ली के जेएनयू में कथित तौर पर राष्‍ट्रविरोधी नारे लगने के बाद चर्चा में आए कन्हैया कुमार आम चुनाव 2019 में लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर सामने आए हैं. कन्हैया कुमार बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं.

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कन्हैया कुमार कन्हैया कुमार

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 18 मई 2019,
  • अपडेटेड 11:48 PM IST

साल 2016 में दिल्ली के जेएनयू में कथित तौर पर राष्‍ट्रविरोधी नारे लगने के बाद चर्चा में आए कन्हैया कुमार आम चुनाव 2019 में लोकसभा उम्मीदवार के तौर पर सामने आए हैं. कन्हैया कुमार बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. कन्हैया के खिलाफ बेगूसराय से बीजेपी के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह और आरजेडी के तनवीर हसन हैं. बेगूसराय में भूमिहार वोटरों की तादाद काफी ज्यादा है. भूमिहारों के बाद यहां मुस्लिमों की आबादी है. वहीं 2 बार ऐसे मौके आए हैं जब यहां कोई गैर-भूमिहार नेता सांसद चुना गया हो, वरना हर बार यहां से भूमिहार नेता ही जीतते आए हैं.

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निजी जीवन

13 जनवरी 1987 में जन्में कन्हैया कुमार बिहार के बेगूसराय जिले से भूमिहार जाति के हैं. कन्हैया का बचपन बेगूसराय में ही गुजरा है. बचपन में कन्हैया की अभिनय में रुचि थी. कन्हैया इंडियन पीपल्स थियेटर एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य भी रह चुके हैं. साल 2016 में कथित तौर पर राष्‍ट्रविरोधी नारे लगाने के आरोप में कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार भी किया. हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर रिहा भी कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं किया गया.

राजनीतिक करियर

कन्हैया कुमार ने साल 2002 में पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दाखिला लिया और यहीं से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ. पटना में अपनी पढ़ाई के दौरान कन्हैया ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन (एआईएसएफ) के सदस्य बने. इसके अलावा साल 2015 में दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गए थे. इसके बाद साल 2019 में कन्हैया कुमार पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. कन्हैया एआईएसएफ के पहले सदस्य हैं जो जेएनयू में छात्र संघ के अध्यक्ष बने.

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बेगूसराय लोकसभा सीट

बेगूसराय बिहार का एक जिला है. राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि बेगूसराय को कभी लेनिनग्राद कहा जाता था. एक समय था जब बेगूसराय को वामपंथ का गढ़ माना जाता था. हालांकि आज के वक्त में यहां वामपंथ की जड़ें कमजोर हो चुकी हैं. बेगूसराय सीट पर कांग्रेस का काफी लंबे वक्त तक दबदबा रहा है. साल 1952 से 1967 तक कांग्रेस के मथुरा प्रसाद मिश्रा इस सीट से संसद पहुंचते रहे हैं. वहीं साल 2014 में मोदी लहर के कारण पहली बार बीजेपी के भोला सिंह ने यहां से जीत हासिल की.

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