पश्चिम बंगाल की वीआईपी लोकसभा सीट मिदनापुर में छठे चरण के तहत रविवार (12 मई) को वोट डाले गए. पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजामों के बीच 83.57% मतदान दर्ज किया गया. इस दौरान मिदनापुर में अर्द्धसैनिक बलों की 172 कंपनियां तैनात की गईं.
इस सीट पर बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को टिकट दिया है. सीपीआई ने यहां से बिपल्ब भट्ट को उम्मीदवार बनाया है, जबकि टीएमसी की ओर से मानस रंजन भुइयां उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने इस सीट से शंभूनाथ चट्टोपाध्याय को टिकट दिया है. इस सीट से कुल 9 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं.
बंगाल में वोटिंग के दौरान हिंसा
लोकसभा चुनाव के छठे चरण में बंगाल में वोटिंग होने के साथ हिंसा की भी खबर है. मिदनापुर में दो टीएमसी कार्यकर्ताओं को गोली मार दी गई. दोनों कार्यकर्ताओं को तमलुक के अस्पताल में भर्ती किया गया है. तो वहीं बेल्दा के टीएमसी कार्यालय पर भी हमला किया गया है. टीएमसी का आरोप है कि ये हमला बीजेपी ने करवाया है.
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मिदनापुर संसदीय सीट पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से एक महत्वपूर्ण संसदीय सीट है. यह संसदीय क्षेत्र 1951 में ही अस्तित्व में आ गया था. मिदनापुर शहर मेदिनीपुर पश्चिम का मुख्यालय भी है. यह कांग्सताबती नदी के किनारे है. यह संसदीय क्षेत्र सीपीएम के कद्दावार नेता इंद्रजीत गुप्ता की कर्मस्थली रहा है.
मिदनापुर का लिंगानुपात 960 है यानी 1000 पुरुषों पर 960 महिलाएं है. यहां की साक्षरता दर 90 फीसदी है. पुरुषों की साक्षरता दर 92 फीसदी है तो महिलाओं की साक्षरता दर 83 फीसदी है. बंगाली यहां की आधिकारिक भाषा है. इसके साथ ही हिंदी, ऊर्दू, मारवाड़ी और अंग्रेजी यहां पर आसानी से बोली जाती है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1952 में यह सीट मिदनापुर-झाड़ग्राम के नाम से जानी जाती थी. 1952 में यहां से कांग्रेस के भारत लाल टुडु जीते थे. 1957 में इस सीट का नाम मिदनापुर हो गया इस बार भी यहां कांग्रेस का उम्मीदार ही विजयी हुआ. 1962 में कांग्रेस के गोबिंद कुमार सिंघू सांसद बने.
1967 में यहां से बंगला कांग्रेस के सचिंद्र नाथ मैती जीते. 1971 में फिर कांग्रेस के सुबोध चंद्र हंसदा यहां से जीत गए. 1971 में भारतीय लोकदल के सुधीर कुमार घोषाल जीते. 1980 में सीपीएम ने इस सीट पर कब्जा कर लिया और नारायण चौबे को यहां से विजय मिली. 1984 में भी नारायण चौबे ही सांसद बने. 1989, 1991, 1996, 1998, 1999 तक लगातार 5 बार सीपीएम के इंद्रजीत गुप्ता मिदनापुर से सांसद रहे. 2001 के उपचुनाव में सीपीएम के प्रबोध पंडा को विजय मिली. 2004 में प्रबोध पंडा ही जीते.
2014 का चुनाव
पूरे पश्चिम बंगाल में लड़ाई तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम के बीच हुई लेकिन मिदनापुर में लड़ाई ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस और सीपीआई के बीच थी. 2009 के चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी दीपक कुमार घोष दूसरे नंबर पर रहे थे और सीपीआई के श्री प्रबोध पंडा जीत गए थे लेकिन 2014 में बाजी पलट गई.
मिदनापुर सामान्य सीट से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की संध्या रॉय को विजय मिली और सीपीआई के प्रबोध पंडा दूसरे स्थान पर रहे. संध्या रॉय को 5,79,860 वोट मिले. वहीं सीपीआई के प्रबोध पंडा को 3,95,194 वोट मिले. 2014 के चुनाव में यहां पर 84.22 फीसदी वोटिंग हुई थी जबकि 2009 में 82.54 फीसदी. 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को यहां 46.04 फीसदी, बीजेपी को 14.28 फीसदी और कांग्रेस को 3.88 फीसदी वोट मिले थे.
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