झाड़ग्राम संसदीय क्षेत्र पश्चिम मेदिनीपुर और पुरुलिया जिले में स्थित है. यह संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट का गठन परसीमन आयोग की सिफारिश पर 1962 में किया गया था. चुनाव आयोग की सिफारिश पर 2009 में इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया. आर्थिक रूप से देखा जाए तो इस इलाके को लोगों को जीवन कृषि पर आधारित है.
यह इलाका पश्चिम बंगाल के पिछड़े जिलों के तहत आता है. नेशनल हाइवे झाड़ग्राम को कई इलाकों से जोड़ता है. पहले इस सीट पर सीपीएम का कब्जा हुआ करता था लेकिन अब तृणमूल कांग्रेस ने सीपीएम को किनारे कर दिया है. 2019 के चुनाव में असली जंग तो ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस और सीपीएम के बीच में ही होगी लेकिन बीजेपी ने भी पूरा जोर लगाया हुआ है. अगर पिछले चुनाव को देखा जाए तो बीजेपी भले ही यहां मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की बात करे लेकिन इसे धरातल पर उतारना कठिन लग रहा है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1962 में झाड़ग्राम संसदीय सीट का गठन हुआ. इस सीट पर पहली सफलता कांग्रेस को मिली, इसके बाद एक क्षेत्रीय दल का सदस्य विजयी हुआ. इसके बाद सीपीएम ने इस पर कब्जा कर लिया और 2009 तक इस सीट पर काबिज रही. पहले जो लड़ाई कांग्रेस से होती थी वह अब ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के साथ होने लगी. 1962 के चुनाव में कांग्रेस के सुबोध हंसदा चुनाव जीते. 1967 में बीएसी के एके किस्कू को विजय मिली.
1971 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अमिय कुमार किस्कू को सफलता मिली. 1977 के चुनाव में जरूरत सीपीएम के जादूनाथ किस्कू ने यह सीट कांग्रेस से छीन ली. 1980 में सीपीएम के हसदा मतिलाल सांसद बने. 1984 और 1989 में भी सीपीएम के मतिलाल हसदा चुनाव जीते. 1991,1996,1998,1999 में सीपीएं के रूपचंद मुर्मू यहां से चुनाव जीतते रहे. 2004 में सीपीएम के डी पुलिन बिहारी सांसद चुने गए.
सामाजिक ताना-बाना
झाड़ग्राम संसदीय क्षेत्र पश्चिम मेदिनीपुर और पुरुलिया जिले में स्थित है. यह संसदीय सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस संसदीय क्षेत्र में बंगाली और हिंदू समाज का आधिपत्य है. बंगाली उर्दू और हिंदी शहर में बोली जाती है. यहां की औसत साक्षरता दर 80% है. 86 परसेंट पुरुष साक्षर हैं जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 76 फ़ीसदी है. यहां बहुत से कॉलेज और स्कूल हैं जहां पर हिंदी, बंगाली और अंग्रेजी में पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध है.
2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 2135425 है. इसमें से 94.37 फीसदी आबादी शहरी है जबकि 5.27 फीसदी आबादी शहरी. अनुसूचित जाति और जनजाति का रेश्यो 18.24 फीसदी और 25.76 फीसदी है. 2017 की जनगणना के अनुसार झाड़ग्राम में मतदाताओं की संख्या 1571180 है.
झाड़ग्राम में 7 विधानसभा सीटें हैं, सभी सीटों पर ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है.
1-नयाग्राम से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के दूलाल मूर्मू जीते हैं
2-गोपीबालवपुर में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के चूरामन मेहता सांसद हैं
3-झाड़ग्राम ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस केसुकुमार हंसदा जीते हैं
4-गरबेटा से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के आशीष चक्रबर्ती विधायक हैं
5-सलबोनी से ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के श्रीकांत महत्ता विधायक हैं
6-बंदवान (एसटी) ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के राजीब लोचन जीते हैं
7-बिनपुर (एसटी) ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस खगेंद्रनाथ हेंब्राम जीते हैं
2014 का जनादेश
2009 तक आते-आते ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस मजबूत हो चुकी थी. लेकिन 2009 के चुनाव में भी झाड़ग्राम संसदीय सीट पर कांग्रेस दूसरे नंबर पर थी. 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की डॉक्टर उमा सरीन ने सीपीएम के डॉक्टर पुलिन बिहारी को हरा दिया. उमा सरीन को 674504 वोट मिले तो पुलिन बिहारी को 326621.
2014 के चुनाव में यहां पर 85.26% फीसदी वोटिंग हुई थी. जबकि 2009 में 77.19 फीसदी. 2014 के चुनाव में AITC को 53.63 फीसदी, सीपीएम को 25.97 फीसदी, बीजेपी को 9.74 फीसदी और कांग्रेस को 3.22 फीसदी वोट मिले थे
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
2014 में जब उमा सरीन सांसद चुनी गई थीं तो उनकी आयु 34 साल थी. संसद में उनकी हाजिरी 60.44 फीसदी रही है. उन्होंने संसद में कोई सवाल नहीं पूछा है. किसी भी डिबेट में हिस्सा नहीं लिया है. कोई प्राइवेट मेंबर बिल भी उनके नाम नहीं है. सांसद विकास निधि के तौर पर जो 25 करोड़ रुपये जारी किए गए थे उसमें से 11.67 करोड़ रुपये यानि 46.68 करोड़ रुपये उन्होंने खर्च कर दिए हैं.
अमित राय