पहली बार ऑपरेशन जुपिटर में शामिल हुआ था आईएनएस विराट

साल 1989 में ऑपरेशन जुपिटर में पहली बार श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए ऑपरेशन में आईएनएस विराट की अहम भूमिका थी. तीस साल तक नौसेना की शक्ति का प्रतीक रहा आईएनएस विराट इन दिनों राजनीतिक चर्चाओं में हैं.

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टीके श्रीवास्तव

  • नई दिल्ली,
  • 09 मई 2019,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST

आईएनएस विराट विमानवाहक इन दिनों राजनीति के भंवर में फंस गया है. तीस साल तक नौसेना की शक्ति का प्रतीक रहा आईएनएस विराट भले ही रिटायर हो गया है, लेकिन उसकी समुद्री धाक का लोहा आज भी माना जाता है. आईएनएस विराट को नौसेना में 'ग्रैंड ओल्ड लेडी' भी कहा जाता था. भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद आईएनएस विराट ने जुलाई 1989 में ऑपरेशन जुपिटर में पहली बार श्रीलंका में शांति स्थापना के लिए ऑपरेशन में हिस्सा लिया था.

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आईएनएस विराट ने 30 साल इंडियन नेवी की सेवा की और 30 साल ब्रिटेन की रॉयल नेवी के साथ बिताए. साल 1987 में भारत ने इसे ब्रिटेन से खरीदा था. एचएमएस हर्मीस के नाम से पहचाने जाने वाला पोत 1959 से रॉयल नेवी की सेवा में था. 1980 के दशक में भारतीय नौसेना ने इसे साढ़े छह करोड़ डॉलर में खरीदा था और 12 मई 1987 को सेवा में शामिल किया.

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इस जहाज पर 1944 में काम शुरू हुआ था. रॉयल नेवी को लगा कि शायद आईएनएस की जरूरत न पड़े, इसलिए इस पर काम बंद कर दिया गया, लेकिन जहाज की उम्र 1944 से जोड़ी जाती है. इस विमानवाहक पर 15 साल काम हुआ. इसके बाद 1959 में इसे रॉयल नेवी के बेड़े में शामिल किया गया था.

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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल

आईएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल है. ये दुनिया का एकलौता ऐसा जहाज है जो इतने अधिक वर्षों तक इस्तेमाल किया गया. यह इतिहास में सबसे ज्यादा सेवा देने वाला पोत है. 

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को दिल्ली के रामलीला मैदान से गांधी परिवार पर निशाना साधा था. पीएम मोदी ने गांधी परिवार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि 1987 में राजीव गांधी जिस समय प्रधानमंत्री थे, उस समय वे 10 दिन की छुट्टी मनाने के लिए एक खास द्वीप पर गए थे. गांधी परिवार ने छुट्टी मनाने के लिए युद्धपोत आईएनएस विराट का इस्तेमाल किया था.

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