पीएम को चिट्ठी लिखना यशवंत सिंह को पड़ेगा महंगा? BJP में शामिल हुए नगीना से पूर्व सपा सांसद

वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि जब यशवंत सिंह ने दलितों की आवाज उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी तो उसके बाद से ही उनके खिलाफ माहौल नजर आ रहा था. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि पार्टी उनके खिलाफ कोई कदम उठाए.

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बीजेपी में शामिल हुए पूर्व सपा सांसद यशवीर सिंह बीजेपी में शामिल हुए पूर्व सपा सांसद यशवीर सिंह

जावेद अख़्तर

  • नई दिल्ली,
  • 13 मार्च 2019,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST

चुनाव तारीखों का ऐलान होने के बाद अब राजनीतिक दलों के सामने सबसे बड़ी परीक्षा उम्मीदवारों के नाम तय करना है. इस कड़ी में पार्टियां संभावित मजबूत उम्मीदवारों को अपने-अपने पाले में लाने का काम भी कर रही हैं. लखनऊ में मंगलवार को इसकी एक बानगी भी देखने को मिली, जब सपा-बसपा व रालोद से जुड़े नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामन लिया.

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बीजेपी ज्वाइन करने वालों में पश्चिम उत्तर प्रदेश की नगीना लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद यशवीर सिंह का नाम भी शामिल है. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट से सांसद रह चुके यशवीर सिंह का बीजेपी में जाना, इस सीट से उनकी प्रबल उम्मीदवारी का संकेत भी माना जा रहा है, जो मौजूदा बीजेपी सांसद डॉ यशवंत सिंह के लिए बड़ी चुनौती मानी जा रही है. पिछले साल दलितों की आवाज उठाते हुए उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की चिट्ठी लिखी थी, जिसके बाद से पार्टी लाइन के खिलाफ जाने वाले सांसदों में उनका नाम शुमार किया जाता है.

बिजनौर जिले के अंतर्गत आने वाली नगीना लोकसभा सीट पर 2009 में हुए पहले चुनाव में ही यशवीर सिंह ने सपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2014 में बीजेपी के टिकट डॉ यशवंत सिंह से उन्हें शिकस्त मिली. अब चर्चा ये है कि बीजेपी जिन सिटिंग सांसदों के टिकट काटने का मन बना रही है, उनमें नगीना सीट के सांसद का नाम भी शामिल है.

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वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक यूसुफ अंसारी ने आजतक से बातचीत में बताया कि पिछले साल नगीना सांसद डॉ यशवंत सिंह ने जब दलितों की आवाज उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी तो उसके बाद से ही उनके खिलाफ माहौल नजर आ रहा था. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि उनका टिकट काटा जाए.

पीएम मोदी को लिखी थी चिट्ठी

अप्रैल 2018 में देशभर के दलितों ने मोदी सरकार पर एससी-एसटी अत्याचार रोकथाम अधिनियम को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद ही बीजेपी सांसद यशवंत सिंह की यह चिट्ठी सामने आई थी, जिसमें उन्होंने लिखा था कि चार साल के दौरान दलितों कल्याण के लिए कोई काम नहीं किया गया. इसके बाद अपनी ही सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले दलित सांसदों में उनका नाम सार्वजनिक तौर पर चर्चा में आने लगा.

महागठबंधन ने बदले समीकरण

यशवीर सिंह मुलायम सिंह यादव और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने नगीना विधानसभा सीट से टिकट पाने के प्रयास किए थे, लेकिन एक बार लिस्ट में नाम आने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं हो सका, और परिवर्तित सूची में रामगोपाल यादव के करीबी कहे जाने वाले मनोज पारस को टिकट दिया गया. इस दौरान चर्चा ये चली कि सपा ने यशवीर सिंह को लोकसभा चुनाव लड़ाने का वादा किया है, लेकिन गठबंधन होने के चलते यह सीट बसपा के खाते में चली गई, जिससे यशवीर सिंह की दावेदारी को बड़ा झटका लगा.  

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यशवीर सिंह के साथ स्थानीय समीकरण

नगीना लोकसभा सीट पर गठबंधन उम्मीदवार के रूप में बसपा के गिरीश चंद्र का आना लगभग तय माना जा रहा है. जबकि सपा-बसपा व बीजेपी से होते हुए पूर्व विधायक ओमवती अब कांग्रेस में शामिल हो गई हैं. ऐसे में उनका कांग्रेस के टिकट पर लड़ना भी तय माना जा रहा है. उनका बाहरी होना भी यहां एक फैक्टर माना जाता रहा है, और 2014 में वो यहां से अपना पहला चुनाव ही हार गए थे. हालांकि, उन्हें करीब 26 फीसदी वोट मिला था. मौजूदा सांसद यशवंत सिंह मेरठ के रहने वाले हैं.

दूसरी तरफ यशवीर सिंह न सिर्फ स्थानीय नेता हैं, बल्कि इस सीट से सांसद भी रह चुके हैं. करीब 15 लाख वोटरों वाले नगीना लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम और दलित वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. 2014 में बीजेपी के यशवंत सिंह को 3,67,825 वोट मिले थे, सपा से यशवीर सिंह को 2,75,435 और बसपा के गिरीश चंद्र को 2,45,685 वोट मिले थे.

टिकट मिलने की स्थिति में यशवीर सिंह क्या बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर दलित व मुसलमान मतदाताओं को अपने पक्ष में कर पाएंगे, अब यह सबसे बड़ा सवाल है? वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ अंसारी का मानना है कि हर नेता को व्यक्तिगत छवि के आधार पर सभी वर्ग और जातियों में कुछ न कुछ वोट जरूर मिलता है. निश्चित ही यशवीर सिंह भी मुसलमानों का कुछ समर्थन जुटा सकते हैं. उन्होंने कहा कि जो मौजूदा हालात हैं, उसमें दलित व मुसलमान वोटरों की प्राथमिकता महागठबंधन का उम्मीदवार ही होगा. बता दें कि मुस्लिम समाज में यशवीर सिंह की खासी पकड़ है, लेकिन यह वोट में कितनी तब्दील हो सकती है, ये बड़ा सवाल है.

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2014 में यूपी में बीजेपी के 71 सांसद जीतकर आए थे. मौजूदा चुनाव को लेकर चर्चा है कि दो दर्जन से ज्यादा सिटिंग सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं. उन्नाव से सांसद साक्षी महाराज ऐसी आशंकाओं को अपनी चिट्ठी के जरिए साबित भी कर चुके हैं. अब देखना होगा कि दूसरे चरण के मतदान में शामिल की गई नगीना लोकसभा सीट पर बीजेपी किस नाम का ऐलान करती है.

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