ओडिशा: बारगढ़ लोकसभा सीट पर BJD-BJP ने बदले कैंडिडेट, त्रिकोणीय मुकाबले का समीकरण

बीजेपी से टिकट न मिलने पर सुभाष चौहान बागी हो गए हैं. उन्होंने ऐन मौके पर बीजू जनता दल ज्वाइन कर दिया है. सुभाष चौहान के अलावा पार्टी के कई और नेता भी बीजेपी छोड़कर बीजेडी में शामिल हो गए हैं. यही नहीं बीजेपी के बारगढ़ जिला के उपाध्यक्ष प्रशांत कुमार मांझी ने भी बीजेपी छोड़ दी है.

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ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक. फोटो-Twitter ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक. फोटो-Twitter

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 अप्रैल 2019,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST

बारगढ़ लोकसभा सीट पर मतदान 18 अप्रैल को है. पिछली बार इस सीट पर बीजेपी के सुभाष चौहान मात्र 11 हजार वोटों से चुनाव हार गए थे, लिहाजा बीजेपी इस बार इस सीट पर जी जान लगा रही है. हालांकि बीजेपी ने इस बार अपना उम्मीदवार बदल दिया है. बीजेडी ने इस बार इस सीट से राज्यसभा सांसद प्रसन्न आचार्य को टिकट दिया है. प्रसन्न आचार्य का मुकाबला कांग्रेस के प्रदीप देबाता और बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सुरेश पुजारी से है.

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बीजेपी से टिकट न मिलने पर सुभाष चौहान बागी हो गए हैं. उन्होंने ऐन मौके पर बीजू जनता दल ज्वाइन कर दिया है. सुभाष चौहान के अलावा पार्टी के कई और नेता भी बीजेपी छोड़कर बीजेडी में शामिल हो गए हैं. यही नहीं बीजेपी के बारगढ़ जिला के उपाध्यक्ष प्रशांत कुमार मांझी ने भी बीजेपी छोड़ दी है.

बारगढ़ लोकसभा क्षेत्र का विस्तार ओडिशा के बारगढ़ और झारसुगड़ा जिले में है. केन्द्र सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक बारगढ़ जिला ओडिशा के 15 नक्सल प्रभावित जिलों में से एक है.  

2011 की जनसंख्या के मुताबिक यहां की आबादी 20 लाख 60 हजार 433 है. यहां की 81.5 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है, जबकि 18.5 फीसदी जनसंख्या का निवास ग्रामीण और देहातो इलाकों में है. यहां की कुल आबादी में 19.58 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति का है, जबकि 22.21 प्रतिशत भाग अनुसूचित जनजातियों का है.

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बारगढ़ लोकसभा क्षेत्र के दायरे में विधान सभा की 7 सीटें आती हैं.  इनके नाम हैं पदमपुर, बीजेपुर, अट्टाबिरा, भटली, ब्रजराजनगर, झारसुगुड़ा.  2014 के विधानसभा चुनाव में पदमपुर और ब्रजराजनगर से बीजेपी जीती थी, जबकि बीजेपुर और झारसुगुड़ा सीट पर कांग्रेस के कैंडिडेट कामयाब रहे थे, बाकी बची तीन सीटों पर बीजू जनता दल ने कब्जा जमाया था.  हालांकि बीजेपुर सीट से कांग्रेस विधायक की मौत के बाद  फरवरी  2018 में हुए उपचुनाव में यहां से बी जे डी ने जीत हासिल की थी.

चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2014 में बारगढ़  में कुल वोटर्स की संख्या 14 लाख 30 हजार 717 थी. यहां पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 7 लाख 51 हजार 140 थी, अगर महिला वोटर्स का आंकड़ा देखे तो ये संख्या 6 लाख 79 हजार 577 थी.

2014 का जनादेश

2014 के सियासी रण में यहां रोमांचक टक्कर देखने को मिली. नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर सवार बीजेपी ने अपेक्षाकृत इस कमजोर सीट पर बीजेडी को जोरदार चुनौती दी. हालांकि बीजेपी ये सीट हार गई, लेकिन हार का फासला बेहद कम था. बीजद उम्मीदवार डॉ प्रभाष कुमार सिंह को यहां 383230 वोट मिले. जबकि दूसरे नम्बर पर रही बीजेपी को 372052 वोट मिले. इस तरह बीजेडी और बीजेपी के बीच वोटों का अंतर मात्र 11178 रहा.  2009 में इस सीट से विजयी रहने वाली कांग्रेस तीसरे नम्बर आ गई. पार्टी कैंडिडेट संजय भोई को 274610 वोट मिले. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां मतदान का प्रतिशत 78.71% रहा.

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सांसद का रिपोर्ट कार्ड

सांसद प्रभाष कुमार सिंह की लोकसभा में ये पहली पारी है. 54 साल के डॉ प्रभाष रिसर्च स्कॉलर रहे हैं. उन्होंने संभलपुर और उत्कल यूनिवर्सिटी से एम ए और पी एचडी की शिक्षा ली है. इतिहास,संस्कृति और पुरातत्व पर इनके कई शोध प्रकाशित हो चुके हैं. प्रभाष कुमार ओडिशा हिस्ट्री कांग्रेस के आजीवन सदस्य हैं.  

बारगढ़ सांसद डॉ प्रभाष कुमार लोकसभा की 321 में से 281 बैठकों में  उपस्थित रहे हैं. उन्होंने सदन में 151 सवाल पूछे. वह लोकसभा की 57 डिबेट्स में भी हाजिर रहे. डॉ प्रभाष कुमार ने 2 निजी बिल भी संसद में पेश किया है.

सांसद विकास निधि की बात करें तो उन्होंने पिछले 5 साल में अपने कोटे से 22.16 करोड रुपये विकास के अलग अलग मद पर खर्च किए हैं.

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